- रफी मोहम्मद शेख
इंदौर। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा किए गए गवर्नमेंट कॉलेजों में पदस्थ प्रोफेसर्स के ट्रांसफर मजाक बन गए हैं। सख्ती से किए ट्रांसफर के बाद जहां कई प्रोफेसर्स के ट्रांसफर निरस्त हो गए, तो वहीं उनके स्थान पर भेजे नए ऑर्डर में भी बड़ी गलतियां सामने आई हैं। ऐसा ही मामला ओल्ड जीडीसी में पदस्थ एक प्रोफेसर का है। उनका ट्रांसफर पहले स्वेच्छा के आधार पर कर दिया और फिर उसे संशोधित करने के स्थान पर उसी ऑर्डर क्रमांक पर बदलकर उसे प्रशासनिक आधार बता दिया गया। खुलासा होने के बाद अब मामला कोर्ट में ले जाने की तैयारी है।
ओल्ड जीडीसी मोतीतबेला के इकोनॉमिक्स डिपार्टमेंट की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. ज्योति शर्मा का ट्रांसफर शासन ने आदेश क्र. 1366/2017/36-1 के अंतर्गत गवर्नमेंट कॉलेज सरदारपुर किया था। शासन ने आदेश में साफ कहा इन प्रोफेसर्स को नए कर्तव्य स्थल पर ज्वाइन करना होगा। इसमें किसी प्रकार का कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।
22 साल से इंदौर में ही पदस्थ
11 जुलाई को किए ट्रांसफर के पीछे कारण गत 17 साल से उनके इसी कॉलेज, और पिछले 22 साल से इंदौर में ही पदस्थ होना बताया गया था। उन्होंने सरदारपुर कॉलेज में ज्वाइन भी कर लिया, लेकिन शासन ने अपना आदेश मात्र पांच दिन बाद ही वापस ले लिया। उन्हें पुन: ओल्ड जीडीसी में पदस्थ करने के आदेश जारी कर दिए गए। इस तरह सख्त आदेश हवा हो गए। जानकारी के अनुसार, पहले भी उनके कई ट्रांसफर हुए। ये हर बार उच्च संपर्क और प्रभाव के चलते निरस्त हो जाते हैं, जो ट्रांसफर नीति व अधिकारियों को मुंह चिढ़ाते हैं।
दूसरे का किया ट्रांसफर
वास्तव में ओल्ड जीडीसी से वर्तमान में उच्च शिक्षा विभाग के अतिरिक्त संचालक कार्यालय में पदस्थ इकोनॉमिक्स के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. एसबी सिंह का वेतन आहरित होता है, इसलिए एक पद खाली करना जरूरी था। इस कारण शासन ने उनके स्थान पर इकोनॉमिक्स डिपार्टमेंट में ही पदस्थ डॉ. संध्या कोथलेकर को गवर्नमेंट कॉलेज सरदारपुर पदस्थ कर दिया। शासन ने आदेश क्र. 1366 निकाला, जिसमें उनका ट्रांसफर स्वेच्छा से किया बताया। चूंकि उन्होंने ट्रांसफर स्वेच्छा से मांगा ही नहीं, इस कारण सरदारपुर ज्वाइन करने से इन्कार कर दिया।
आदेश क्रमांक नहीं बदला
जब स्वेच्छा के गलत आदेश वाली बात शासन के ध्यान में आई, तो डॉ. कोथलेकर के लिए नया आदेश जारी किया। इसमें उनका ट्रांसफर प्रशासनिक आधार पर सरदारपुर करना बताया। नियमानुसार नया आदेश संशोधित होना चाहिए था। उसका ऑर्डर क्रमांक भी बदला जाना था, लेकिन गलती के बाद फिर से शासन ने गलती की। जो नया आदेश निकाला उसका क्रमांक भी 1366 ही रखा। यहां तक कि पहले आदेश के अंत में दी शासन के नियमों के कड़ाई से पालन करने की कंडिका का हवाला भी हटा दिया गया। इस प्रकार नए आदेश में भी पेंच आ गया।
अब कोर्ट की तैयारी
इस पेंच को देखते हुए डॉ. कोथलेकर ने शासन के समक्ष मांग उठाई और कॉलेज में भी आवेदन दिया। इस आधार पर उन्हें कॉलेज से रिलीव नहीं किया गया, लेकिन 8 अगस्त को ट्रांसफर किए गए प्रोफेसर्स को नए स्थान पर तुरंत ज्वाइन करने और रिलीव करने के आदेश के बाद प्रिंसिपल ने 11 अगस्त को डॉ. कोथलेकर को रिलीव कर दिया है। अब वह पूरा मामला कोर्ट में ले जाने की तैयारी कर रही हैं। उन्होंने इस बात की पुष्टि की है। उधर, अतिरिक्त संचालक डॉ. केके चतुर्वेदी ने आदेश के बारे में ध्यान नहीं होने की बात कही है।