- पंकज भारती
इंदौर। 1 जुलाई से लागू हुआ नया कर कानून वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को एक माह पूरा हो गया है। इस दौरान जीएसटी से व्यापार व उद्योग जगत को कोई फायदा मिलता तो नजर नहीं आया, उलटे उन्हें नुकसान ही हो रहा है। सिर्फ इंदौर की ही बात करें तो जीएसटी के कारण इंदौर के आसपास स्थित लगभग 1500 कंपनियों ने अपने कुल 800 करोड़ रुपए के प्रोडक्ट बनाए ही नहीं। वहीं, व्यापार की हालत तो और भी खराब है। पिछले एक माह के दौरान इंदौर के बड़े बाजारों में 40 फीसदी व्यापार कम हुआ है। व्यापारिक संगठनों और अर्थशास्त्रियों के अनुसार, जीएसटी के चलते लगभग 1600 करोड़ के व्यापारिक सौदे नहीं हो पाए हैं। इस प्रकार मोटे-मोटे तौर पर एक माह में ही जीएसटी ने शहर की अर्थव्यवस्था को 2400 करोड़ (800+1600) रुपए का फटका लगा दिया है।
व्यापारियों के अनुसार, पहले अधिकांश वस्तुओं पर पांच फीसदी वैट लगता था या फिर शून्य फीसदी टैक्स था। लेकिन जीएसटी में इन वस्तुओं पर 28 फीसदी तक कर लगने लगा है। इससे आम जनता को महंगाई का सामना तो करना ही पड़ रहा है, साथ ही जटिल व अव्यवहारिक कर प्रणाली लागू होने से व्यापार में 40 फीसदी की कमी आई है। नोटबंदी से जो व्यापारिक मंदी आई थी, वह जीएसटी ने और बढ़ा दी है। हालात तो यह हैं कि छोटे कारोबारियों ने अपना काम-धंधा बंद करने के बारे में सोचना शुरू कर दिया है। अहिल्या चेंबर आॅफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज का कहना है कि ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले छह माह के अंदर ही छोटे व्यापारियों को अपना कारोबार बंद कर बड़े व्यापारी के यहां नौकरी करनी पड़ेगी।
बड़े बाजारों के हाल
शहर के विभिन्न व्यापारिक संगठनों के अनुसार, शहर के बड़े बाजारों में कपड़ा, किराना, लोहा, सराफा, बर्तन, मारोठिया आदि को शामिल किया जाता है। इन बाजारों में प्रतिदिन होने वाले व्यापारिक सौदों की बात करें तो कपड़ा बाजार में रोज 65 से 70 करोड़ रुपए के सौदे होते हैं। इसी प्रकार किराना बाजार में 70 से 80 करोड़, सराफा में 20 करोड़, लोहा बाजार में 10 करोड़, बर्तन बाजार में सात करोड़ और मारोठिया बाजार में प्रतिदिन लगभग पांच करोड़ रुपए का कारोबार होता है। बड़े बाजारों की ही बात की जाए तो एक माह में यहां औसतन 4060 करोड़ रुपए का कारोबार किया जाता है। लेकिन जीएसटी के चलते जुलाई के दौरान कारोबार में 40 फीसदी की कमी आई है।
इनका कहना है...
जीएसटी से छोटी कंपनियों को परेशानी हो रही है। पिछले एक माह में सिर्फ इंदौर की कंपनियों ने ही अपने 800 करोड़ के प्रोडक्ट का निर्माण कैंसल कर दिया है।
- डॉ. गौतम कोठारी, अध्यक्ष, पीथमपुर औद्योगिक संगठन
दवाइयों पर शून्य से लेकर 28 फीसदी जीएसटी लग रहा है। एक छोटा दवा व्यापारी सरकार की शर्तें पूरी कर दवा व्यापार नहीं कर सकता। व्यापार ठप है।
- नीलेश सोनी, कार्यालयीन मंत्री, दवा व्यापारी एसोसिएशन
जीएसटी लागू होने से सार्वजनिक क्षेत्र में हो रहे निर्माण कार्य प्रभावित हुए हैं। इंदौर के विभिन्न वार्डों में जो भी काम हो रहे थे, उन्हें ठेकेदारों ने रोक दिया है क्योंकि उनका टेंडर जीएसटी से पहले मिला था। ठेकेदारों ने जीएसटी से पहले की लागत के हिसाब से ठेका लिया था, लेकिन बाद में 15 से 20 फीसदी लागत बढ़ गई है।
- सुरेश काबरा, इंदौर कॉन्ट्रैक्टर एसोसिएशन
कहने को तो अनाज तिलहन पर शून्य फीसदी टैक्स है, लेकिन व्यापारी ने किसी सामान को साफ-सुथरा कर पैक करने के बाद बेचा, तो उस पर पांच फीसदी टैक्स लगेगा। वहीं, मंडी टैक्स भी लग रहा है, तो कहां है ‘एक देश-एक कर’ की अवधारणा।
- सुशील जैन, सचिव, अनाज-तिलहन संघ
सरकार 'एक देश-एक कर' के नाम पर देश की जनता से झूठ बोल रही है, जबकि जीएसटी में शून्य, तीन, पांच, 12, 18 और 28 फीसदी कर का स्लैब है। सरकार ने कहा था कि जीएसटी लागू होने के बाद व्यापारियों को सिर्फ एक कर (जीएसटी) का भुगतान करना होगा, जबकि इनकम टैक्स, प्रॉपर्टी टैक्स, बिजली के बिल पर टैक्स, पानी के बिल पर टैक्स व टोल प्लाजा पर टैक्स अभी भी देने पड़ रहे हैं। सरकार ने जीएसटी के बहाने बड़े कारोबारियों और व्यापारियों को भरपूर लाभ देने का प्रयास किया है, वहीं यह कदम छोटे व्यापारियों को समाप्त कर देगा।
- रमेश खंडेलवाल, अध्यक्ष, अहिल्या चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज