- केपी सिंह
इंदौर। नगर निगम में सुस्त कर्मचारियों की कार्यशैली में अचानक फूर्ति दिखी। पेड़ों के ट्रांसप्लांट का काम पहले बाहरी लोगों की मदद से लाखों रुपए खर्च कर किया जाता था, लेकिन अब उद्यान विभाग खुद जिम्मेदारी उठाने को तैयार है। पेड़ों को नया जीवनदान देने के उद्देश्य से पूरा स्टाफ सतर्क है और बगैर भोजन किए सुबह से रात तक जुटा रहा । विभाग द्वारा 13 घंटे की मशक्कत के बाद सफलतापूवर्क कनाड़िया रोड से पीपल के पेड़ को ट्रांसप्लांट कर बंगाली चौराहे पर लगाया। कनाड़िया रोड के 11 पेड़ों को भी ट्रांसप्लांट करने की प्लानिंग भी शुरू हो गई है। विशेषज्ञ भी निगमकर्मी की फूर्ति देख अचंभित हो रहे हैं।
मेयर मालिनी गौड़ व कमिश्नर मनीषसिंह का ध्यान शहर को हरा-भरा बनाने में है। इसीलिए सड़कों में बाधा पेड़ों को ट्रांसप्लांट किया जा रहा है। अब इसी तर्ज पर स्मार्ट सड़कों पर भी ढेरों पेड़ों को ट्रांसप्लांट करने की ‘बड़ी’ चुनौतियों को लिया जाएगा, ताकि शहरवासियों के सहयोग से स्वच्छता के बाद हरा-भरा इंदौर बनाया जाए।
पेड़ को दिया नया जीवन
विशेषज्ञ प्रेम जोशी ने बताया निगम द्वारा संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे , जिनकी मदद से ट्रांसप्लांट का काम किया जा रहा है। निगमकर्मी के सहयोग से पहली मर्तबा 13 घंटे में पीपल के पेड़ को सफलतापूवर्क ट्रांसप्लांट किया गया। इस दौरान किसी भी निगमकर्मी ने न तो भोजन किया और न ही नाश्ता। सिर्फ पेड़ों को नया जीवन देने में जुटे रहे। इससे पहले वल्लभ नगर से पेड़ को लालबाग में शिफ्ट किया था जो हरा-भरा है।
इधर ध्यान देने की जरूरत
विशेषज्ञों की मानें तो निगम द्वारा तेजी से सड़क बनाने का काम शुरू कर दिया जाता है और पेड़ों को बचाते हुए उसे कवर कर दिया जाता है। इस कारण पेड़ धीरे-धीरे सूखना शुरू हो जाता है। पेड़ों को ट्रांसप्लांट करने के लिए की जाने वाली खुदाई से आस-पास की सड़क व पैवर्स ब्लॉक को नुकसान होता है, इसमें प्लानिंग के तहत काम करना चाहिए, ताकि सड़क बनने से पहले ही पेड़ों को सफलतापूवर्क ट्रांसप्लांट कर दिया जाए। इससे ट्रांसप्लांट के दौरान ज्यादा तोड़फोड़ से बचा जा सकता है।
ये होती है परेशानी
कनाड़िया रोड तैयार होने के बाद उस पर ट्रैफिक भी शुरू हो गया है, इसके चलते ट्रांसप्लांट करने में खासी परेशानी होती है। ट्रैफिक के कारण पेड़ों के गिरने से हादसा होने का भय भी बना रहता है। इसीलिए निगम द्वारा लोगों को अवेयर करने के उद्देश्य से चूने की लाइन और मिट्टी डाली जाती है, लेकिन इससे किसी भी दिन बड़ा हादसा हो सकता है। क्योंकि अभी 11 पेड़ और बचे हैं।
ये हो सकते हैं ट्रांसप्लांट
निगम उपायुक्त कैलाश जोशी ने बताया कि पेड़ों की ज्यादातर प्रजातियों को ट्रांसप्लांट किया जा सकता है। इसमें पीपल, बरगद, फाइक्स, नीम, आम, गुलर आदि शामिल है। ट्रांसप्लांट में विधिवत प्रक्रिया अपनाकर पेड़ों को बचा रहे हैं। ट्रांसप्लांट में विशेषज्ञ की मदद ले रहे हैं, इनके रिजल्ट भी बेहतर है। इसी आधार पर प्लानिंग कर रहे हैं।
पेड़ों को करेंगे ट्रांसप्लांट
पेड़ों के ट्रांसप्लांट को लेकर अफसरों को आदेश दिए गए हैं। विकास कार्यों में जो पेड़ आते हैं, उन्हें नियमानुसार ट्रांसप्लांट किया जा रहा है। इस पर काम भी शुरू हो गया है और जल्द ही अन्य सड़कों पर आने वाले पेड़ों को भी ट्रांसप्लांट करेंगे। इसमें सालों पुराने पेड़ जो बच सकते हैं उनका उद्यान विभाग सावधानीपूवर्क ट्रांसप्लांट करवा रहा है।
-मालिनी गौड़, महापौर
नियमानुसार कर रहे काम
सड़क चौड़ीकरण या अन्य कामों में बाधा वाले पेड़ों को नियमानुसार ट्रांसप्लांट करते हैं। इस संबंध में सभी को स्पष्ट चेतावनी दी गई। इसीलिए कनाड़िया रोड पर उन पेड़ों को ट्रांसप्लांट कर रहे हैं जो दूसरे स्थान पर हरे-भरे हो सके। इसमें नियमानुसार ही काम कर रहे हैं। सड़क चौड़ीकरण में जहां भी पेड़ आएंगे उन्हें ट्रांसप्लांट करेंगे।
-मनीषसिंह, कमिश्नर, नगर निगम
ये हैं मुख्य ‘स्मार्ट’ सड़कें, जिन्हें पेड़ों के ट्रांसप्लांट का इंतजार...
- महूनाका से टोरी कॉर्नर।
- व्यास ब्रिज बड़ा गणपति से जिंसी डिपो
- राजमोहल्ला से बड़ा गणपति
- बड़ा गणपति से कृष्णपुरा ब्रिज
- जिंसी बस डिपो से रामबाग ब्रिज
- चंद्रभागा ब्रिज से गंगवाल बस स्टैंड
- जयरामपुर ब्रिज से गौराकुंड
- कृष्णपुरा ब्रिज से गौतमपुरा
- गौराकुंड से बड़वाली चौकी
- राजवाड़ा से सुभाष मार्ग
- जवाहर मार्ग ब्रिज से चंद्रभागा ब्रिज