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‘लिबरल’ ने बीएएलएलबी में भी बिना मान्यता दे दिए एडमिशन

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jul 25 2017 11:28AM | Updated Date: Jul 25 2017 11:40AM
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रफी मोहम्मद शेख-
इंदौर। राऊ स्थित लिबरल लॉ कॉलेज में न केवल एलएलबी और एलएलएम की मान्यता नहीं होने पर भी एडमिशन देने का खेल चल रहा है, बल्कि पिछले साल भी कॉलेज ने फीस के नाम पर लाखों वसूलने के बाद विद्यार्थियों से धोखा किया था। कॉलेज ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) की मान्यता के बगैर ही सत्र 2016-17 में बीएएलएलबी पांच साल के कोर्स में एडमिशन दे दिए। बीसीआई ने मात्र कॉलेज का निरीक्षण किया था, मान्यता नहीं दी थी। जब मामला यूनिवर्सिटी पहुंचा तो उसने विद्यार्थियों के रजिस्ट्रेशन करने से ही इन्कार कर दिया। बाद में बमुश्किल इन विद्यार्थियों की परीक्षा ली गई, लेकिन अब रिजल्ट रुकना निश्चित है।

मान्यता के बगैर यूनिवर्सिटी नहीं देती संबद्धता
लिबरल लॉ कॉलेज पिछले सत्र में शुरू हुआ है। पहले साल कॉलेज ने पांच साल के बीएएलएलबी कोर्स को शुरू करने के लिए बीसीआई में आवेदन किया था। इसके बाद बीसीआई ने अपनी टीम भेजकर कॉलेज का निरीक्षण करवाया था। इसमें इन्फ्रास्ट्रक्चर से लेकर शिक्षक-कर्मचारियों की संख्या तक को देखा जाता है। इसके बाद यूनिवर्सिटी निरीक्षण कर संबद्धता देती है, लेकिन उसमें साफ उल्लेख होता है कि एडमिशन तब तक नहीं दिया जा सकता जब तक बीसीआई की मान्यता नहीं मिल जाती।
 
कॉलेज के जाल में उलझे विद्यार्थी
उधर, कॉलेज ने सारे नियम-कानून ताक में रखकर विद्यार्थियों को केवल बीसीआई के निरीक्षण के आधार पर एडमिशन दे दिए। बीएएलएलबी के एक साल के लिए विद्यार्थियों से लाखों रुपए फीस वसूली और उन्हें धोखे में रखकर एडमिशन दिए गए। चूंकि कॉलेज अल्पसंख्यक की श्रेणी में आता है, इसलिए उसे सीधे एडमिशन (ऑफलाइन) की पात्रता है, इसलिए उच्च शिक्षा विभाग द्वारा भी एडमिशन पर कोई नजर नहीं रखी गई। इससे विद्यार्थी भी कॉलेज के जाल में उलझ गए। 
 
रजिस्ट्रेशन के समय खुली पोल
कॉलेज की पोल तब खुली जब यूनिवर्सिटी ने परीक्षा लेने के लिए बीएएलएलबी के विद्यार्थियों के रजिस्ट्रेशन शुरू किए। यूनिवर्सिटी ने लिबरल के विद्यार्थियों के रजिस्ट्रेशन के लिए लाइन ओपन नहीं की। परेशान विद्यार्थियों ने दबाव बनाया तो कॉलेज मैनेजमेंट ने यूनिवर्सिटी का रुख किया। यूनिवर्सिटी ने साफ कह दिया कि जब तक बीसीआई की मान्यता का पत्र नहीं आता, हम रजिस्ट्रेशन नहीं कर सकते, न परीक्षा ले सकते हैं। कॉलेज ने लाख सफाई दी, लेकिन यूनिवर्सिटी ने बात नहीं मानी।
 
खत्म नहीं हुई उलझन
इसके बाद कॉलेज ने कई बार बीसीआई के चक्कर काटे। चूंकि, कुछ और कॉलेजों का भी मामला इसी तरह का था, इसलिए बीसीआई ने देशभर के लिए नई व्यवस्था दी कि जिन कॉलेजों में निरीक्षण हो चुका है और उन्होंने फीस भर दी है, साथ ही यूनिवर्सिटी ने संबद्धता दे दी, उनके विद्यार्थियों को परीक्षा में शामिल किया जा सकता है। इस आधार यूनिवर्सिटी ने लिबरल के विद्यार्थियों की परीक्षा तो ले ली है, लेकिन रिजल्ट घोषित नहीं किया जाएगा। बीसीआई ने केवल परीक्षा में शामिल करने को कहा था, लेकिन रिजल्ट मान्यता लेटर के बाद ही घोषित होगा।
 
ऐेसे मिलती है मान्यता
केवल निरीक्षण करने से ही किसी कॉलेज को मान्यता नहीं मिल जाती है। इसके बाद बीसीआई की स्टैंडिंग कमेटी में यह मामला जाता है। जहां निरीक्षण कमेटी की रिपोर्ट का विश्लेषण होता है और उस आधार पर मान्यता देने की अनुशंसा की जाती है। बीसीआई की मुख्य कमेटी अपनी बैठक में स्टैंडिंग कमेटी की अनुशंसा के आधार पर अंतिम रूप से मान्यता पत्र जारी करती है। इसके बाद ही कोई कॉलेज उक्त कोर्स में विद्यार्थियों को एडमिशन दे सकता है। उधर, कॉलेज एलएलबी और एलएलएम की मान्यता नहीं होने के बाद भी फैकल्टी की कोचिंग सेंटर की मदद से एडमिशन के विज्ञापन कर रहा है, जबकि इन कोर्सेस का तो बीसीआई ने निरीक्षण तक नहीं किया है।

 

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