28 Mar 2024, 20:25:03 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

पंकज मुकाती, स्टेट एडिटर दैनिक दबंग दुनिया
साहिल देहलवी ( मशहूर कवि )
 
जो मेरी रूह को चैन दे, सुकून दे वो खुशी जो रंग देखो तो दिलरुबा है मजा जो चखो तो जांफजा है महक में फूलों से भी ज्यादा रूह अफ्जा सा कोई शरबत  न कभी बनेगा, न बन चुका है। 
 
किसी शरबत के लिए ऐसा शायराना अंदाज और वो भी किसी जानेमाने शायर का खुद उस शरबत की तलब को बता देता है।  ये दवा का शरबत है, या शरबत वाली दवा। समझना बड़ा मुश्किल है। 108 साल पुराने इस शरबत की तरावट के आगे सारे सॉफ्टड्रिंक बेकार है. दरसअल रूह अफ्जा कई मर्जों की दवा है। इसे पीने से डिहाइड्रेशन, लू, गरम हवा से सुरक्षा मिलती है,गर्मी से होने वाले ताप, उल्टियां, पेट दर्द को ठीक करती है. इसके अलावा ये शरीर को तरोताजा और एनर्जेटिक रखता है। दुनिया ने इसके पहले इतना स्वाद वाला और खूबसूरत रंग और पैकिंग वाला सीरप नहीं देखा। रूह अफ्जा ने दवा को मजे की चीज बना दिया। हमदर्द कंपनी ने 1908 में इसे दवा सूची में शामिल किया। 1907 में हमदर्द के संस्थापक हाकिम अब्दुल मजीद ने उत्तरप्रदेश के गाजियाबाद में इसे तैयार किया. शुरूआत में इसे प्रचारित करने के लिए कोई कोशिश नहीं की।  हमदर्द ने अपनी मेजबानी में दावत के बीच इसे पेश करके इसको चर्चित बनाया। हाकिम साहब का पूरा जोर बेमिसाल फॉमूर्ले पर था।  वे सफल भी रहे आज तक रूह अफ्जा जैसा कोई नहीं। इसके रंग और फ्लेवर ने सिर्फ आम लोगों को ही नहीं कई लेखकों को भी आकर्षित किया। मुशायरे और कवि सम्मेलनों का ये मशहूर ड्रिंक बन गया।  यही कारण है कि इस पर कई शायरियां लिखी गई। 
 
रू अफ्जा के पहले फलों के या हर्बल शरबत बाजार में थे।  इन शर्बतों में गुलाब या केवड़ा की खुशबू रहती थी. हमदर्द वाले हाकिम साहब ने ये तीनों खूबियां एक ही शरबत में देने का फामूर्ला तैयार किया।  यही फार्मूला रूह अफ्जा कहलाया।  इसमें पुदीना, धनिया, घीया सहित कुछ औषधि वाले पौधों का मिश्रण तैयार किया।  संतरे, तरबूज और गाजर का सत भी इसमें मिलाया गया।  इसमें खस और चंदन विशेष असर के लिए मिलाए जाते हैं। रूह अफ्जा के कंटेंट फॉमूर्ले में तब से आज तक कोई चेंज नहीं किया गया। कुछ मॉडिफिकेशन मशीन और प्रोसेस के लेवल पर हुए।  कुछ चीजे दवा के तौर पर मिक्स की गई पर असली फामूर्ला वही है। इसपर पांच वैज्ञानिक रीसर्च भी हुए जिन्होंने साबित किया कि ये कैसे लाभदायक है।  
 
रीसर्च के परिणाम कुछ यूं रहे
- दिल के खतरे कम करता है, और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखता है।
- शरीर में पानी और इलेक्टृो की मात्रा को नियंत्रित रखता है।  
- एनीमिया के रोगियों में हेमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ाने में सहायक।  
- तेज धुप से लू और जिस्म के दर्द में राहत देता है।
 
सरहद पार तक - रूह अफ्जा भारत के जितना ही पाकिस्तान और बंगलादेश में भी पसंद किया जाता है। इससे सभी देशों में अलग-अलग तरह के व्यंजन बनते  है।   इसकी खासियत है कि पानी, दूध, दही, आइसक्रीम, फ्रूट्स, केक किसी में भी मिक्स किया जा सकता है।
 
विशेष पैकेजिंग - दवा होने के बाद भी रूह अफ्जा की पैकिंग दवा बोतल जैसी, स्माल और उबाऊ नहीं थी।  इसका आकर्षक कलर ही इसकी पहचान है, इसलिए ये ट्रांसपेरेंट कांच की बोतल में पैक किया गया।  इसका साइज भी दवा बोतल जैसा ना होकर वाइन की साइज का रखा (750 मिलीग्राम ). इसकी बोतल पर एक शायरी भी होती थी, जिसने इसे चर्चित बनाया। 
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