जीएस यादव-
इंदौर। शहर की आधी आबादी और धार रोड पर बसे गांवों के लोगों का इलाज करने वाला जिला अस्पताल इन दिनों गंदगी के कारण खुद बीमार पड़ा है। सफाई के लिए नियुक्त ठेकेदार का भुगतान रोका, तो निगम ने भी हाथ खड़े कर दिए। पत्र लिखकर अस्पताल लगातार गुहार करता है, मगर निगम के सफाई कर्मचारी हर बार धता बता देते हैं।
सफाई में इंदौर नंबर वन का तमगा लगाने वाले शहर का जिला अस्पताल गंदगी से घिरा हुआ है। अस्पताल की सफाई का ठेका जिस कंपनी को दिया गया, उसने कर्मचारियों की छंटनी कर दी, जिससे अस्पताल की साफ-सफाई ठप हो गई। अस्पताल में गर्भवती महिलाओं की ब्लड और यूरिन की जांच के लिए लैब है, वहां भी गंदगी पसरी है। इतना ही नहीं, शौचालय की हालत दयनीय होने से मरीज खुले में शौच के लिए जाते हैं। वहीं जिस सम्पवेल से पानी का सप्लाय होता है, वहां डेनेज का गंदा पानी जमा रहता है, जिसके कारण संक्रामक बीमारी फैलने का खतरा बना रहता है।
वार्ड और ऑपरेशन थिएटर में गंदगी
अस्पताल के ऑपरेशन थिएटर और वार्ड नंबर एक, लेबर रूम और नर्सों के ड्यूटी रूम के आसपास भी गंदगी की भरमार है। वहीं कर्मचारियों के क्वार्टर के लिए डेनेज की लाइन डाली गई थी, मगर नाली खुदी होने से कीचड़ ही कीचड़ हो रहा है। गंदगी के कारण परिसर में सूअरों का विचरण करते नजर आते हैं।
लेबर लॉ का नहीं किया पालन
जिला अस्पताल की सफाई का ठेका महू की संतोष इंडस्ट्रियल को दिया गया था, जिसने लेबर लॉ का पालन नहीं किया, तो आठ माह का भुगतान नहीं किया, तो उसने अपने कर्मचारियों की संख्या कम कर दी, जिससे सफाई व्यवस्था प्रभावित हो गई। अब सितंबर में नए ठेके भोपाल से होंगे, तब व्यवस्था सुधरेगी। इधर, वर्तमान में नगर निगम का क ई बार पत्र लिखकर सफाई करने के लिए कहा, मगर न तो सफाई कर्मचारी भेजे जाते है और न ही कचरा उठाया जाता है।
- डॉं. एनएस मंडलोई, सिविल सर्जन