निगम में अधिकारी व कर्मचारियों पर लोकायुक्त तथा ईओडब्ल्यू में कई प्रकरण विचाराधीन हैं। कर्मचारियों के विरुद्ध विकास एवं निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार करने, रिश्वत लेने, कर्मचारियों की नियुक्ति, नक्शा स्वीकृति, सामग्री क्रय, नलकूप खनन आदि घोटालों से संबंधित कई मामले करीब 10 वर्षों से जांच के लिए लंबित हैं। इसके लिए एमआईसी एवं निगम प्रशासन अभियोजन की स्वीकृति प्रदान नहीं कर रहा है। इसी प्रकार कई अधिकारियों के विरुद्ध आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) में भी प्रकरण दर्ज हैं। लोकायुक्त एवं ईओडब्ल्यू में दर्ज प्रकरणों में जो जनप्रतिनिधि, अधिकारी एवं कर्मचारी शामिल हैं, उनके विरुद्ध ठोस कार्रवाई की जाना जरूरी है।
ये प्रकरण हुए थे पंजीबद्ध
- 23 जनवरी 2015- हीरालाल वर्मा उपयंत्री उद्यान विभाग, नगर निगम इंदौर में ( चिंटू चौकसे पार्षद, वार्ड 34, जोन 5 नगर निगम) पद का दुरुपयोग कर आपसी सांठगांठ कर वार्ड 34 अभिनंदन नगर में मंदिर स्थित उद्यान में पाथ-वे, मरम्मत, रंगाई पुताई का कार्य दोबारा करवाने व श्यामनगर एनेक्स-ए में सीमेंट कांक्रीट सड़क का घटिया निर्माण कर निगम को हानि पहुंचाने के संबंध में प्रकरण पंजीबद्ध किया।
- 23 मार्च 2015- नगर शिल्पज्ञ डीआर लोधी, किशोरसिंह कार्यपालन यंत्री, डीआर मीणा सहायक यंत्री, लोकेश शर्मा उपयंत्री, जनकार्य विभाग शिक्षा प्रकोष्ठ निगम के विरुद्ध मामला दर्ज किया। मामला मल्हार आश्रम स्थित यशवंत होटल में क्षतिग्रस्त चढ़ाव, छत एवं टॉयलेट का अतिरिक्त कार्य ठेकेदार के साथ आपराधित सांठगांठकर , बिना टेंडर एवं कार्यादेश जारी करते हुए करीब 9.05 लाख का अवैध लाभ ठेकेदार को पहुंचाकर बाद में निविदाएं आमंत्रित की गई।
- 2 अपै्रल 2015- नगर शिल्पज्ञ हंसकुमार जैन, कार्यपालन यंत्री राकेश अखंड, सहायक यंत्री राकेश सराफ, विद्युत यांत्रिकी विभाग निगम। वार्ड 43 साकेत नगर में साउथ केडिकेयर के पीछे तथा रामायण अपार्टमेंट के सामने प्रकाश व्यवस्था के लिए आर्मपोल एवं ऊर्जा बचत की फिटिंग करवाकर, राशि का भुगतान करने के बाद पद का दुरुपयोग कर सांठगांठ करते हुए आपराधिक तरीके से राशि आहरण के उद्देश्य से पुन: इन्हीं कार्यों के लिए निविदाएं आमंत्रित करने के विषय के संबंध में प्रकरण पंजीबद्ध किया।
इन्हें रख बाकी को बचाया
निगम के हंसकुमार जैन, शांतिलाल यादव, अश्विनी जनवदे, रजनीश पंचोलिया एवं रिटायर्ड उद्यान अधिकारी एयू खान के विरुद्ध अभियोजन की स्वीकृति के लिए प्रकरण को एमआईसी में रखा था। जहां अभियोजन की स्वीकृति पर विधिक राय लेने पर सहमति बनी, जबकि अन्य प्रकरणों पर कोई बात नहीं हुई और ये मामला भी लंबित हो गया।
विधिक राय के बाद लेंगे निर्णय
लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू में चल रहे प्रकरणों को लेकर विधिक राय ली जा रही है। इसके बाद अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
- मालिनी गौड़, मेयर
भ्रष्ट अफसरों के हौसले बुलंद
निगम में भ्रष्टाचार के कई प्रकरण 10 वर्षों से अभियोजन स्वीकृति के लंबित हैं। एमआईसी के बाद अब विधिक राय के बाद मामला विचाराधीन है। इससे निगम के भ्रष्ट अधिकारियों के हौसले बढ़ रहे हैं। तथा वह निगम में लगातार भ्रष्टाचार कर रहे हैं।
- फौजिया शेख अलीम
नेता प्रतिपक्ष, नगर निगम