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तीन महापौर हारे, अब चौथे ने दिखाया हवाई सपना

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jul 6 2017 10:16AM | Updated Date: Jul 6 2017 10:16AM
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केपी सिंह-
इंदौर। लकड़ियां सड़ चुकीं तो टपकती है छत। पानी रिसाव के कारण पूरी गैलरी में सीलन आ गई है। अंदर का हिस्सा हो गया है जर्जर, लकड़ियों को दीमक लग चुकी है। मेन गेट के ऊपर की खिड़कियां टूट चुकी। पानी रिसने से पूरे हिस्से में काई लग गई है। हॉल का पिछला हिस्सा खंडहर जैसा नजर आने लगा है। हम बात कर रहे हैं गांधी हॉल की। बाहरी शीशे टूट चुके हैं तो दीवारें काली पड़ गई हैं। गांधी हॉल को संवारने का प्लान 17 साल से बन रहा है, लेकिन काम का ‘श्रीगणेश’ एक बार भी नहीं हुआ। हर साल बजट प्रावधान रखकर इतिश्री कर ली जाती है।
 
फिर बात तत्कालीन महापौर कैलाश विजयवर्गीय की करें, उमाशशि शर्मा की या कृष्णमुरारी मोघे की। सभी ने तमाम दावे किए गांधी हॉल को संवारने के, जो समय के साथ हवा होते गए। तीन महापौर के कार्यकाल में फाइलें दौड़ी, लेकिन दम तोड़ गई। ये सभी हार गए। अब महापौर मालिनी गौड़ ने 16.41 करोड़ रुपए से गांधी हॉल को संवारने का हवा-हवाई सपना फिर से संजोया है। इसमें दो तरह से गांधी हॉल को 11 माह में संवारा जाएगा। गांधी हॉल भवन परिसर का पूरा विकास करने पर आठ करोड़ 99 लाख रुपए खर्च किए जाएंगे। वहीं इसके संरक्षण, जीर्णोद्धार तथा नवीनीकरण करने पर सात करोड़ 42 लाख रुपए खर्च करने की योजना है। समय रहते ऐसा नहीं किया तो गांधी हॉल भी राजबाड़ा की तरह ढह जाएगा। गांधी हॉल का निर्माण 1905 में कराया गया था, तब इसका नाम किंग एडवर्ड हॉल रखा गया। आजादी के बाद 1948 में इसका नाम महात्मा गांधी हॉल कर दिया गया। 
 
इनके कार्यकाल में हुई प्लानिंग 
कैलाश विजयवर्गीय 
2000-01 से 2005-06 
उमाशशि शर्मा 
2005-06 से 2010-11 
कृष्णमुरारी मोघे 
2010-11 से 2015-16
मालिनी गौड़ 
2015-16 से 2017
 
मोघे के समय का प्लान
- गांधी हॉल का पुराना स्वरूप लौटाने के लिए महापौर मोघे ने बजट में पांच करोड़ रुपए स्वीकृत किए थे। 
- प्लानिंग में मुख्य इमारत में नक्काशीदार दरवाजे, सीलिंग और फ्लोरिंग ठीक करना था।
- भवन के सामने बगीचे, सीधी तरफ पार्किंग की योजना।

धरोहर संवारने के अब तक हुए प्रयास...
- 2002-03 में तत्कालीन महापौर कैलाश विजयवर्गीय ने इंदौर गौरव यात्रा निकाली। अप्रवासी भारतीयों से गांधी हॉल को संवारने के लिए मदद मांगी, लेकिन योजना पर काम नहीं हुआ। तत्कालीन केंद्रीय मंत्री जगमोहन ने इसे हैरिटेज बिल्डिंग का दर्जा दिया।
- 2006-07 में महापौर उमाशशि शर्मा के कार्यकाल में भी तत्कालीन प्रमुख सचिव राघव चंद्रा के निर्देश पर योजना बनी, लेकिन फाइल धूल खाती रही।
- जून 2011 में भी प्रस्ताव बना, जिसमें ढाई करोड़ रुपए खर्चा बताया गया।
- 2011-12 में महापौर कृष्णमुरारी मोघे के कार्यकाल में जरूर दो करोड़ रुपए की लागत से जीर्णोद्धार के प्रस्ताव को एमआईसी से 13 अगस्त को मंजूरी मिली, लेकिन काम शुरू नहीं हो पाया। हालांकि 10 अक्टूबर को मुख्य अतिथि तत्कालीन मंत्री विजय शाह ने जीर्णोद्धार कार्य का शुभारंभ किया था। इसमें तत्कालीन कमिश्नर राकेश सिंह के साथ ही एमआईसी के नाम भी चस्पा कर दिए गए, पर काम शुरू नहीं हो पाया और कंपनी को ब्लैक लिस्टेड किया गया।

16 करोड़ रुपए की लागत से संवारेंगे
गांधी हॉल शहर की धरोहर है और हम हैरिटेज सिटी में इसे संरक्षित करने जा रहे हैं। कंसल्टेंट नियुक्त कर योजना बना ली है। गांधी हॉल में 16 करोड़ की लागत से काम किया जाएगा। बजट में भी इसके लिए विशेष मद का प्रावधान किया गया है।  
- मालिनी गौड़, मेयर 
 
11 माह में काम पूरा करना होगा
गांधी हॉल भवन परिसर का पूरा विकास किया जाएगा। इसके टेंडर जारी हो गए हैं। 11 माह में काम पूरा करना होगा, काम जल्द शुरू किया जाएगा।       
 - मनीषसिंह कमिश्नर, नगर निगम 
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