रफी मोहम्मद शेख-
इंदौर। एम्प्लाई प्रोविडेंट फंड ऑर्गेनाइजेशन से जुड़े सदस्य नौकरी छोड़ने के दो महीने के बाद अपना रुपया निकाल सकते हैं। यह प्रवृत्ति लगातार बढ़ रही है, इस कारण अब ईपीएफओ ऐसे सदस्यों को रोकने के लिए देशभर में जागरूकता अभियान चलाने जा रहा है। विभाग के अनुसार इससे सोशल सिक्यूरिटी का उसका लक्ष्य पूरा नहीं हो पा रहा है। लगातार रुपया निकालने का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। बहुत संभावना है कि भविष्य में इसके लिए नियमों में बदलाव किया जाए और इस पर कई प्रकार से रोक लगा दी जाए।
करेंगे जागरूक
प्रदेश के रीजनल पीएफ कमिश्नर अजय मेहरा के अनुसार ईपीएफओ मुख्यालय ने देशभर के सभी रीजनल ऑफिस को इस संबंध में निर्देशित किया है। जुलाई से लेकर सितंबर तक इसके लिए विभिन्न सर्कल और ऑफिसों में जाकर इसके लिए सदस्यों को जागरूक करने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें मुख्य थीम सोशल सिक्यूरिटी स्कीम को रखा जाएगा।
सदस्यों को बताया जाएगा कि प्रोविडेंट फंड में रुपया जमा करने का मुख्य मकसद रिटायरमेंट के बाद मिलने वाले लाभ हैं। इसमें न केवल प्रोविडेंट फंड बल्कि पेंशन भी शामिल है। इसके अतिरिक्त एक्सीडेंट या मृत्यु की स्थिति में इंश्युरेंस और अन्य रकम का लाभ भी परिजनों को मिलता है।
नहीं मिलता है पेंशन में लाभ
10 साल से ज्यादा समय तक नौकरी करने के बाद इसे छोड़ने पर कर्मचारी का पेंशन फंड का रुपया वापस नहीं किया जाता है। वहीं बीच में रुपया निकालने के कारण उनका पुराना पीएफ अकाउंट खत्म हो जाता है। रुपया भी जमा नहीं रहता और साथ ही पेंशन के लिए पीएफ का समय भी दर्ज नहीं होता है। पेंशन के लिए लगातार 10 साल नौकरी होना जरूरी होता है।
इसके साथ ही यह कर्मचारी बाद में एडवांस के लिए रुपया भी नहीं निकाल सकते हैं, क्योंकि इसके लिए डिपार्टमेंट ने कम से कम तीन साल तक पीएफ की कटौती होना जरूरी कर दिया है। पीएफ का लक्ष्य इससे प्रभावित हो रहा है और पीएफ की दृष्टि में इस आंशिक भुगतान की प्रवृत्ति लगातार बढ़ती जा रही है।
दो महीने के बाद पात्र
वर्तमान नियमों के अनुसार अगर कोई सदस्य किसी स्थान से नौकरी छोड़ता है और दो महीने तक कोई अन्य नए स्थान पर नौकरी ज्वाइन नहीं करता है तो वो अपना रुपया निकालने के लिए पात्र होता है। इसमें अलग-अलग शर्तें होती हैं। सामान्यत: प्रवृत्ति यह है कि अधिकांश ऐसे कर्मचारी अपना प्रोविडेंट फंड निकाल लेते हैं। नौकरी छोड़ने वाले ऐसे कर्मचारियों की संख्या 70 प्रतिशत तक है।
इसके बाद वो नई नौकरी भी ज्वाइन कर लेते हैं। उधर, कई तो तुरंत नौकरी ज्वाइन करने के बाद भी नया अकाउंट खुलवा लेते हैं और पुराना रुपया ट्रांसफर करने के बजाय निकाल लेते हैं। समस्या यह है कि मूल राशि के अतिरिक्त पेंशन फंड की राशि भी निकाल लेते हैं।
बन सकते हैं कड़े नियम
सूत्रों के अनुसार सोशल सिक्यूरिटी स्कीम के अतिरिक्त ईपीएफओ के सामने नया संकट है। नौकरी छोड़ने के बाद पीएफ ट्रांसफर करने के बजाय इसे निकालने वाले कर्मचारियों को मध्यप्रदेश रीजन में वर्ष 2016-17 में ही ईपीएफ क्लैम के रूप में 729.47 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया। इसी तरह नौकरी छोड़ने के बाद 204.09 करोड़ का भुगतान हुआ। यह आंकड़ा करीब 30 प्रतिशत है।
इससे पीएफ का अरबों का एकत्रित फंड कम होता जा रहा है। इसी आधार पर अन्य स्थान से ज्यादा ब्याज की घोषणा की जाती है। संभावना है कि जागरूकता अभियान के बाद ईपीएफओ इसके लिए कड़े नियमों की घोषणा कर दे ताकि कर्मचारी यह निकाल नहीं सकें।