विकास सोनी-
रायपुर। शौचालय निर्माण पूरा होने से पहले ही इस योजना की ‘गंदगी’ उफनकर सामने आने लगी है। शौचालय ठेकेदारों के माध्यम से हितग्राहियों को गुमराह किया जा रहा है। पैसे लेने के बावजूद ठेकेदार रसीद नहीं दे रहा है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत घर-घर में शौचालय का निर्माण पूरे देश में जोरों से चल रहा है। इसके प्रावधानों के अनुसार प्रत्येक हितग्राही को दो हजार रुपए की राशि स्वयं से व शेष राशि नगरीय निकाय के माध्यम से दी जानी है, लेकिन दुर्भाग्यजनक है कि राजधानी में ही इस योजना का बेहद बुरा हाल है। नई शिकायत शहर के वामनराव लाखे वार्ड क्रं-64 के अंतर्गत उत्कल बस्ती से है।
आरोप है कि हितग्राहियों से दो-दो हजार रुपए लेने के बाद भी ठेकेदार उन्हें रसीद नहीं दे रहा है। ऐसे में इस योजना के प्रति लोगों का मोहभंग होने लगा है। हितग्राहियों का कहना है कि ठेके दार ने शासकीय योजना का हवाला देकर पैसे तो ले लिए, पावती नहीं दी। इधर, निगम के अधिकारियों का कहना है कि यह पैसे हितग्राहियों के ही माध्यम से जोन कार्यालय में जमा कर तत्काल रसीद देने का प्रावधान है। इसके बावजूद यदि ठेकेदार ने पैसे लिए हैं तो उसे दो से तीन दिनों के भीतर रसीद देना अनिवार्य है।
केस-1
उत्कल बस्ती निवासी पद्मादीप का कहना है कि ठेकेदार के कहने पर उन्होंने दो हजार रुपए की राशि दी, लेकिन रसीद अब तक नहीं मिली है। ठेकेदार का काम बेहद धीमा है। शौचालय निर्माण जल्द पूरा हो जाए, इसीलिए हम खुद भी इसमें हाथ बंटाते हैं। हमने मिट्टी खुद ही फेंकी है, ठेकेदार ने मजदूर नहीं लगाए थे।
केस-2
टंकू सोना का कहना है कि हमें भी अग्रिम राशि की कोई रसीद नहीं मिली है। हमने भी पैसे ठेकेदार को ही दिए थे। अपने शौचालय को और भी अच्छा बनाने के लिए कुछ कार्य हमने अलग से कराए। इसके लिए भी ठेकेदार को अलग से पैसे दिए हैं।
नियमत: हितग्राहियों को यह राशि जोन कार्यालय में खुद जाकर जमा करना होता है। यदि ठेकेदार ने पैसे लिए हैं तो उसे दो से तीन दिनों के भीतर ही रसीद देना चाहिए। रसीद न देने की शिकायत पर हम त्वरित रूप से ठेकेदार से बात कर हितग्राहियों को उसकी पावती दिलवाएंगे।
-हरेंद्र साहू, परियोजना अधिकारी, नगरनिगम इस संदर्भ में जोन आयुक्त हेमंत शर्मा से भी मोबाइल (9424134337) पर चर्चा का प्रयास किया गया, लेकिन संपर्क नहीं हुआ।
मेहनत भी हितग्राहियों की
इस योजना की निविदा की शर्तों के तहत खुदाई से लेकर पूरे निर्माण में हुई गंदगी की सफाई का जिम्मा ठेकेदार का है। लेकिन, खुदाई से निकली मिट्टी खुद हितग्राहियों को ही फेंकना पड़ रहा है। हितग्राहियों का कहना है कि ठेकेदार के भरोसे रहेंगे तो शौचालय निर्माण कभी पूरा ही नहीं होगा। वग काफी-लेतीफी करता है। इसीलिए खुद ही इसमें हाथ बंटाते हैं। यानी साफ है कि ठेकेदार अब मजदूरी के पैसे भी डकार रहा है।
महीनों से चल रहा है निर्माण
उत्कल बस्तीवासियों को शौचालय की दरकार कई वर्षों से थी, इसके बावजूद वहां शौचालय निर्माण कार्य नहीं हो रहा था। दबंग दुनिया ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए खबर भी प्रकाशित की और तब जाकर शौचालय निर्माण शुरू हुआ है। लगभग तीन महीने से काम चलने के बावजूद निर्माण अभी तक अधूरा है। ठेकेदार का कहना है कि कार्य अपने अंतिम पड़ाव पर है। सिर्फ दरवाजे व पुताई का कार्य ही बाकी है।
अपनी व्यवस्था बनाने में लगे हैं ठेकेदार
रसीद न देने के सवाल पर ठेकेदार ने अजीबो-गरीब तर्क दिया। कहा हम कार्य पूर्ण होने के बाद सारी राशि एकमुश्त जमा करते हैं और उसके बाद ही हितग्राहियों को रसीद देते हैं। इसके अलावा आर्थिक अनियमितता की बात आने पर खुद ही पैसे का उपयोग करने की बात कही, जो ठेकेदार की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगाती है।
जल्द पूरा हो जाएगा काम
हां, हमने सभी हितग्राहियों से निर्धारित दो-दो हजार रुपए लिए हैं, उस पैसे को हम एकमुश्त जोन कार्यालय में जमा करेंगे और उसके बाद सभी को रसीद देंगे। अभी काम पूरा नहीं हुआ है। दरवाजों की अलग-अलग माप की वजह से थोड़ा विलंब हुआ, पर जल्द ही यह काम कंप्लीट हो जाएगा।
- ठेकेदार नगर निगम शौचालय