विनोद शर्मा-
इंदौर। ‘आप आशा वर्कर हैं। सरकार को छोड़िए, हमारी मदद कीजिए। हमारे अस्पताल में पेशेंट लाओ, आपको कमीशन मिलेगा। 20, 30, 40 हजार वाले मरीजों को पहुंचाना है। इस पर 20 प्रतिशत आपका रहेगा। सबके लिए यह चीज नॉर्मल है। आशा करती हूं कि आशा वर्कर इन चीजों को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ेंगी और अस्पताल को भी आगे बढ़ाएंगी।’ यह निर्णय कलेक्टर, संयुक्त संचालक स्वास्थ्य या सीएमएचओ के स्तर पर ली गई किसी सरकारी बैठक में तय नहीं हुआ। तय हुआ ‘नर्स दीदी’ कहलाने वाली आशा कार्यकर्ताओं की नखराली ढाणी में हुई पार्टी में, जो दादा निर्भयसिंह पटेल के नाम से हॉस्पिटल संचालित करते आ रहे पाकिस्तान मूल के डॉ. अनिल घई द्वारा दी गई थी।
पार्टी शनिवार दोपहर दो बजे शुरू हुई और शाम 4.30 बजे तक चली। आशा कार्यकर्ताओं को लाने ले जाने की व्यवस्था भी अस्पताल प्रबंधन द्वारा की गई थी। इस बात की पुष्टि नखराली ढाणी के स्टाफ ने भी की। स्टाफ ने बताया कि करीब 70-80 आशा कार्यकर्ताएं आई थीं। पार्टी की साक्षी बनी दबंग दुनिया टीम। आशा कार्यकर्ताओं कों भोजन कराकर एक कमरे में बैठाया गया जहां डॉ. मीनल शुक्ला ने संबोधित किया। उन्होंने कहा कि सबकी समस्या हल हो जाएगी। किसी भी काम में दिक्कत आती है तो मुझे बताओ। आपकी खुशी से हमारी खुशी है। इसी आशा से सारी आशा बहनें नखराली ढाणी में मौज करो, मस्ती करो। ठीक है। आप भी कुछ करो, हम भी कुछ करें।
आप भी कमाएं, हमारी कमाई भी बढ़वाएं
डॉ. मीनल ने कहा, आशा दीदी भी कमाएं। हमारी कमाई भी बढ़वाएं। हम सबको साथ लेकर चलना चाहते हैं। साथ में रहेंगे, एक अच्छा बाउंडेशन बनाएंगे। आगे भी अच्छे से काम कर पाएंगे। आज पार्टी देने का यही मकसद है। आज सभी आशा दीदी हमसे मिली। मिलकर अच्छा लगा। हम एक टीम बना लेते हैं। इस टीम की जरूरत हमें भी है, आपको भी है। सिर्फ पे्रग्नेंसी के केस ही नहीं हर्निया, अपेंडिक्स व अन्य मामले भी लाएं। आसपास कोई बीमार है तो बताएं।
दादा निर्भयसिंह हॉस्पिटल में लेकर आओ। हम बैठे हैं, आपका मामला भी तय कर देंगे। किसी को कुछ पूछना है तो मैं हूं। आप मेरा नंबर नोट कर लीजिए। 9752769900, दोबारा सुन लो। यदि मेरा नंबर न लगे तो 7415920304 पर फोन लगा लें, यहां डॉ. शुक्ला आपकी मदद करेंगी।
पेशेंट पर 20 और सोनोग्राफी पर 30 प्रतिशत कमीशन
जीपीओ एरिया की आशा कार्यकर्ता भी यहां पहुंची थीं। उनमें से एक शहनाज दीदी ने बताया कि मीटिंग तो अच्छी है। पेशेंट पर 20 प्रतिशत और सोनोग्राफी पर 30 प्रतिशत कमीशन मिलता है। दिक्कत यह है कि अस्पताल में कहते हैं कि आप अपने साथ जिस मरीज को लाएंगे उसी पर कमीशन मिलेगा। चिट्ठी लिखकर पहुंचाने पर नहीं मिलेगा। अब ऐसे थोड़ी होता है। हम दिनभर एक मरीज में ही थोड़े लगे रहेंगे।
नौकरी सरकार की चाकरी डॉ. घई की
आशा कार्यकर्ताएं सरकारी सेवक हैं। गर्भवती की सेवा को लेकर उन्हें मानदेय मिलता है। ये जिन महिलाओं को प्रसव के लिए सरकारी अस्पताल पहुंचाती हैं उन्हें जननी सुरक्षा के तहत 1400 रुपए मिलते हैं जबकि इन्हें 600 रुपए। ऐसे में डॉ. घई जैसे धंधेबाज डॉक्टरों के चक्कर में आई आशा कार्यकर्ताएं सरकार को धोखा देकर पीड़ित महिलाओं को निजी अस्पतालों में पहुंचा रही हैं। इससे महिलाओं को सरकारी मदद तो नहीं मिलती उलटा अस्पताल की मोटी फीस अलग चुकाना पड़ जाती है।