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गोधा इस्टेट का धोखा, बिना खरीदे जोड़ी दूसरे की जमीन

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jun 30 2017 10:06AM | Updated Date: Jun 30 2017 10:06AM
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विनोद शर्मा-
इंदौर। जमीन मालिक की सहमति के बिना ही नगर निगम की कॉलोनी सेल ने उसकी जमीन कॉलोनी में जोड़ दी। जानकारी मिलते ही जमीन मालिक ने आपत्ति दर्ज कराई। तब कॉलोनी सेल के अधिकारियों की आंख खुली, किंतु आधी-अधूरी।  सेल ने किसान की जमीन जोड़कर अनुमति लेने वाले कॉलोनाइजर पर कार्रवाई नहीं की, उलटा उसे फायदा पहुंचाते हुए जिस कॉलोनी परमिशन को रद्द किया जाना था, उसे सस्पेंड कर दिया। कहा जाओ और टॉउन एंड कंट्री प्लानिंग से ले-आउट दुरुस्त करा लाओ। 
 
मामला छोटा बांगड़दा का 
मामला छोटा बांगड़दा स्थित सर्वे नं. 301/2, 310/1, 310/5, 309/2, 310/2, 306/1, 310/4, 309/1 और 301/1/2 की 9.272 हेक्टेयर (करीब 23 एकड़) जमीन पर आकार ले रही मेसर्स गोधा इस्टेट की गोधा इस्टेट कॉलोनी का है। गोधा परिवार ने इसमें 301/1/2/1 की 0.254 हेक्टेयर जमीन को भी शामिल कर दिया। रही सही कसर नगर निगम ने 1 जनवरी 2015 को विकास अनुमति (674) जारी करके पूरी कर दी। यह जमीन प्रीति पति नितिन अग्रवाल निवासी चार रावराजा पार्क कॉलोनी के नाम दर्ज है। बावजूद इसके नगर निगम ने 1 जनवरी 2015 को विकास अनुमति जारी कर दी। 

ऐसे किया खेल
जो जमीन प्रीति अग्रवाल के नाम है वह आशुतोष पिता केके मित्तल से खरीदी थी। जिस वक्त टीएनसी होना थी, उस वक्त भी जमीन मित्तल के नाम थी। मित्तल व गोधा ने मिलकर टीएनसी व डायवर्शन करवाया। बाद में सहमति नहीं बनी, इसीलिए तय हुआ कि इस जमीन को छोड़कर विकास होगा। विकास अनुबंध भी गोधा व मित्तल के बीच साइन नहीं हुआ। बाद में मित्तल ने जमीन प्रीति अग्रवाल को बेच दी। बावजूद इसके गोधा परिवार ने उक्त जमीन जोड़कर 1 मई 2014 को विकास अनुमति के लिए आवेदन (24) कर दिया।
 
जवाब में निगम ने भी 12 मई 2014 को अनुबंध की प्रमाणित प्रति प्रस्तुत करने के निर्देश (57/कॉलोनी सेल/14) दिए। चूंकि जमीन का कोई पंजीकृत अनुबंध साइन नहीं हुआ था, इसलिए गोधा परिवार को विकास मंजूरी पाने का कोई हक नहीं था। उक्त जमीन हम खरीद लेंगे गोधा के इसी आश्वासन पर कॉलोनी सेल ने जमीन को जोड़कर 1  जनवरी 2015 को विकास मंजूरी (674/ कॉलोनी सेल/14) जारी कर दी।

शिकायत में हुआ खुलासा 
मामले का खुलासा नगर निगम आयुक्त को प्रीति अग्रवाल द्वारा की गई शिकायत में हुआ। शिकायत के अनुसार सिर्फ गोधा के आश्वासन मात्र पर ही कॉलोनी सेल ने मेरी जमीन पर विकास अनुमति जारी कर दी। विकास अनुमति प्राप्त करने के बाद गोधा परिवार ने सबसे पहले मेरी जमीन पर अवैध कब्जे का प्रयास किया, किंतु असफल रहे, इसीलिए उन्होंने मुझ पर जमीन बेचने का दबाव बनाया, कहा भी कि बेच दो जमीन वरना हम कब्जा कर लेंगे। जब कॉलोनी सेल से सत्यप्रति निकाली गई, तो पता चला कि मेरी जमीन पर विकास अनुमति जारी हो चुकी है। 
 
जागा निगम
शिकायत के बाद 17 मई 2017 को कॉलोनी सेल ने प्रभा पति सुरेशचंद्र, मनीष पिता सुरेशचंद्र, दिलीप पिता घीसालाल, आशुतोष पिता केके मित्तल सभी निवासी बड़ा बांगड़दा के साथ ही विकासकर्ता मेसर्स गोधा इस्टेट तर्फे पार्टनर मनीष गोधा पिता सुरेशचंद्र को नोटिस (566/कॉलोनी सेल) जारी किया। कहा विकास अनुमति प्राप्त करते समय आपने कहा था कि 301/1/2/1 की 0.254 हेक्टेयर जमीन गोधा इस्टेट चार महीने में अपने नाम से करवा लेगा।
 
रजिस्ट्री भी प्रस्तुत कर देंगे। आपने इस शर्त का पालन निर्धारित अवधि में नहीं किया। चूंकि आप प्रीति अग्रवाल से जमीन नहीं खरीद पाए हैं, इसीलिए आपके शपथ-पत्र की पूर्ति संभव नहीं है। सात दिन में स्पष्टीकरण दें। अन्यथा निगम जारी की गई विकास अनुमति निरस्त कर देगा, जिसकी जवाबदारी आपकी होगी। 
 
निरस्त क्यों नहीं की अनुमति 
जब 17 मई को जारी पत्र में नगर निगम की कॉलोनी सेल ने संतोषजनक जवाब न होने की स्थिति में मप्र नगर पालिका (कॉलोनाइजर का रजिस्ट्रीकरण निर्बंधन तथा शर्तें) नियम-1998 के प्रावधानों के तहत विकास अनुमति निरस्त करने का कहा था। 31 मई 2017 को भी इसी संदर्भ में पत्र लिखा गया था। जवाब संतोषजनक नहीं मिला।
 
बावजूद इसके बिल्डर को फायदा पहुंचाने के लिए विकास अनुमति निरस्त नहीं की गई। उलटा, 13 जून 2017 को पत्र लिखकर कॉलोनी सेल ने कहा कि जब तक विवादित जमीन को प्लानिंग से बाहर नहीं करवाया जाता तब तक के लिए विकास अनुमति स्थागित रहेगी। 
 
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