बीएल मारण-
भोपाल। एक तरफ जहां नगर सरकार और इसके मुखिया (महापौर) राजधानीवासियों को स्मार्ट सिटी का सपना दिखा रहे हैं, वहीं राजधानी में शुमार(नगर निगम वार्ड 74) कोलुआ कलां स्मार्ट सिटी भोपाल का सबसे बदहाल हिस्सा बना हुआ है। लगभग 15 साल से विकास की बाट जोह रहे इस वार्ड में अब तक मुख्य सड़क भी अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रही है।
ऐसा नहीं है कि यहां के रहवासी या क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों ने इस दिशा में कोई प्रयास ही नहीं किए, किंतु निगम सरकार के नुमाइंदों ने कभी भी इस क्षेत्र के विकास को तवज्जों नहीं दी। हालात ये हैं कि एक तरफ जहां पातरा नाले का गंदा पानी यहां के रहवासियों के लिए जहर का काम कर रहा है, वहीं बदहाल सड़कें, गंदी नालियां और जगह-जगह कचरे का अंबार निगम सरकार की कार्यशैली की कलई खोल रहा है।
150 रुपए में चार किमी का सफर
शहरी आवागमन के संसाधनों के अभाव और ऊबड़-खाबड़ सड़कों के चलते शहर के मुख्य रेलवे स्टेशन का मात्र चार किमी का सफर भी कोलुआ कलां के निवासियों को लगभग 150 रुपए में तय करना पड़ता है। लोगों का कहना है कि कोलुआ से एक तरफ गोविंदपुरा औद्योगिक क्षेत्र व जेके रोड और दूसरी ओर अयोध्या बाइपास रोड की मुख्य सड़क है, लेकिन बीच के हिस्से (कोलुआ कलां) में संकरी गलीनुमां टूटी-फूटी सड़कें और गंदगीयुक्त मार्ग नगर प्रशासन की उपेक्षापूर्ण नीतियों की ही कलई खोल रहे हैं।
एक करोड़ का टेंडर, अतिक्रमण बना मुसीबत
उधर क्षेत्रीय पार्षद किशनलाल माली का कहना है कि वार्ड-74 के अंतर्गत कोलुआ कलां क्षेत्र सबसे पिछड़ा क्षेत्र माना जाता है, लेकिन इसके पीछे केवल प्रशासन ही दोषी नहीं है। दरअसल यहां व्यापक पैमाने पर अतिक्रमण के चलते विकास के कार्यों में अवरोध होता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में यहां सड़क निर्माण के लिए एक करोड़ 10 लाख रुपए का टेंडर हुआ है, किंतु अतिक्रमण हटाने बिना निर्माण कार्य शुरू करना भी दूभर हो रहा है। इस संबंध में नगर निगम प्रशासन शीघ्र ही ठोस पहल करेगा, ताकि सड़क निर्माण सहित अन्य विकास कार्य भी हो सकेंगे।
बदहाली पर नहीं किसी का ध्यान
रहवासियों को रेलवे स्टेशन से घर आना हो या घर से स्टेशन जाना हो, तो उन्हें जेब हमेशा गर्म रखनी पड़ती है। रहवासियों का कहना है जेके रोड से रेलवे स्टेशन जाने के लिए एक मात्र मार्ग यही है। मजेदार बात यह है कि पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर, सहकारिता राज्यमंत्री विश्वास सांरग सहित कई दिग्गज नेता जैसे इस रास्ते से अक्सर गुजरते हैं, किंतु यहां की बदहाली को लेकर अब तक कोई कार्रवाई अब तक नहीं हो पाई है।
सड़क के खस्ता हाल
स्मार्ट सिटी का सपना देख रहे कोलआवासियों को करीब 15 साल से गड्ढे वाली सड़कों से गिरते-पड़ते गुजरना पड़ रहा है। हालांकि क्षेत्रीय पार्षद किशनलाल माली का कहना है कि पांच साल पहले ही यहां की सड़कों की मरम्मत की गई थी। उन्होंने कहा कि रहवासियों ने सड़क किनारे व्यापक पैमाने पर अतिक्रमण कर रखा है, जिससे सड़कों और नालियों की समय पर सफाई या मरम्मत नहीं हो पाती।
उधर रहवासियों का कहना है कि पार्षदों की मनमानी और पक्षपातपूर्ण कार्यप्रणाली के चलते कोलुआ क्षेत्र हमेशा ही उपेक्षा का दंश झेल रहा हैं। नाम न छापने की शर्त पर रहवासियों ने बताया कि नेता और जनप्रतिनिधि शिकायतों और समस्याओं के आवेदनों पर केवल कागजों में विकास दर्शाकर पल्ला झाड़ लेते हैं। पूर्व पार्षदद्वय तुलसा वर्मा और आशा जैन की यही कार्यशैली क्षेत्र विकास में हमेशा रोड़ा बनी रही है। अब पार्षद किशनलाल माली की सक्रियता से कुछ उम्मीद बनी है।