19 Mar 2024, 13:27:29 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

रामगोपाल सिंह राजपूत-

भोपाल। राज्य सरकार प्रदेश के सरकारी और निजी कॉलेजों से निकलने वाले छात्रों को बेहतर रोजगार दिलाने के लिए रोजगार का प्रशिक्षण दे रही है। इसके लिए साल में सैंकड़ों बार कॉलेजों में कैरियर मेले लगाए जाते हैं। कैरियर मेलों और रोजगार प्रशिक्षण से पिछले पांच साल में स्वामी विवेकानंद कैरियर मार्गदर्शन योजना के तहत 21 लाख से अधिक छात्र, छात्राओं को रोजगार का प्रशिक्षण दिया गया। प्लेसमेंट के लिए बुलाई जा रही कंपनियों में भी ये शामिल हुए। इसके बाद रोजगार के काबिल इनमें से 19246 ही बन पाए यानी 1 फीसदी से भी कम को नौकरी मिल पाई। इससे प्रदेश की उच्च शिक्षा और युवाओं के लिए चलाई जा रही योजनाओं के क्रियान्वयन पर सवाल उठने लगे हैं। 
 
प्रदेश सरकार ने सरकारी और निजी कॉलेजों से उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्र, छात्राओं के लिए स्वामी विवेकानंद कैरियर मार्गदर्शन।
योजना साल 2007 से शुरू की है। इस योजना के तहत कॉलेजों में कैरियर मेलों का आयोजन किया जाता है। इन मेलों में छात्रों की सुविधा के लिए बड़ी कंपनियां और शिक्षा ऋण उपलब्ध कराने बैंकों को भी बुलाया जाता है। कैरियर मेलों का मुख्य उद्देश्य छात्रों को बड़ी-बड़ी कंपनियों में रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना हैं। 
 
इधर, स्थिति यह है कि प्रशिक्षण दिलाने वाले छात्रों की संख्या तो लाखों में है, लेकिन उसके माध्यम से रोजगार पाने वाले छात्रों हजारों में सिमट गए हैं। इससे सरकार की कैरियर मार्गदर्शन योजना भी सवालों के घेरे में है। 

हर साल 50 लाख खर्च 
कैरियर मार्गदर्शन मेलों में हर साल 50 लाख से अधिक रुपए खर्च होते हैं। यह बजट सरकार छात्रों को नौकरी के लिए प्रशिक्षण दिलाने और रोजगार मेलों का आयोजन करने के लिए देती है। इसके बाद भी स्वामी विवेकानंद कैरियर मार्गदर्शन योजना छात्रों को रोजगार के बेहतर अवसर उपलब्ध नहीं करा पा रही है।
 
यह है हकीकत
स्वामी विवेकानंद कैरियर मेलों में बड़ी कंपनियां हिस्सा तक नहीं लेते हैं। अगर कोई बड़ी कंपनी आ भी जाती है, तो वह इन छात्रों को नौकरी नहीं देती। इस वजह से अब इन कैरियर मेलों में जाने वाले छात्रों की संख्या भी घट गई है। 
 
इनका कहना है
कैरियर मार्गदर्शन योजना के तहत हर साल कॉलेजों में मेले लगाए जाते हैं। छात्रों को प्रशिक्षण भी दिया जाता है। इन छात्रों को अच्छी कंपनियों में नौकरी दिलाने के प्रयास भी किए जा रहे हैं। 
 
-डॉ. डीसी राठी, 
डिप्टी डायरेक्टर, मार्गदर्शन योजना
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