विनोद शर्मा इंदौर। सामाजिक, फिर राजनीतिक और अब जमीनी कामों के कारण चर्चा में रहने वाले कांग्रेस नेता कमलेश खंडेलवाल के पिता और लक्ष्मीबाई अनाज मंडी व्यापारी एसोसिएशन के अध्यक्ष पे्रमस्वरूप खंडेलवाल के खिलाफ मंडी व्यापारियों ने मोर्चा खोल दिया है। खंडेलवाल पर व्यापारियों की एफडी पर मिलने वाले ब्याज और सोरन में इकट्ठा होने वाले अनाज की कीमत हजम करने जैसे संगीन आरोप हैं।
मामला 1962 से संचालित लक्ष्मीबाई नगर अनाज मंडी का है। इस मंडी में चार दशक से बिना पंजीयन के ही व्यापारी एसोसिएशन चल रही है। यह दो लोगों में ही सिमटी हुई है। अध्यक्ष प्रेमस्वरूप खंडेलवाल और मंत्री गोपाल शारडा। इसके अलावा न कोई उपाध्यक्ष है, न कोषाध्यक्ष। न कोई हिसाब लेने वाला। अध्यक्ष और मंत्री ही सारे लेन-देन करते हैं। इसीलिए उनकी मनमानी जारी है। व्यापारियों और हम्मालों के हित पर खर्च होने वाले पैसे को दोनों ने व्यक्तिगत झांकी के लिए दान का जरिया बना लिया है। इस पूर मामले का खुलासा बीते दिनों कलेक्टर को हुई शिकायत में किया गया है।
25 साल से नहीं हुए एसोसिएशन के चुनाव
340 व्यापारियों और 400 से ज्यादा हम्मालों वाली इस मंडी की एसोसिएशन में 25 साल से चुनाव नहीं हुए हैं। वर्षों पहले ही पेड़ी (दुकान) व अपना व्यापार बंद होने के बाद भी प्रेमस्वरूप खंडेलवाल एसोसिएशन की कुर्सी छोड़ने को तैयार नहीं है। न ही आय-व्यय का हिसाब देने में रुचि है। मंडी के नारायण गर्ग की मानें तो चुनाव के लिए कई बार कहा लेकिन हमारी बात हंसी में उड़ा दी गई। अब तो खंडेलवाल स्वयं को संस्था का आजीवन अध्यक्ष कहने लगे हैं। कहते हैं जिसमें दम है, हटाकर दिखाए।
लाखों की हेराफेरी की
व्यापारी राम अग्रवाल, देवेंद्र जैन, पंकज गर्ग, दीपक जायसवाल, अशोक छाबड़ा, राजकुमार गोधा और आनंद गर्ग ने बताया कि वर्तमान में जो बॉडी है वह चुनाव कराना नहीं चाहती, न हिसाब देना। विरोध करो तो कहते हैं आपकी प्रतिभूति राशि लो और चलते बनो। व्यापारियों की एफडी का ब्याज भी हजम कर गए। हर दिन सोरन में एक बोरी से ज्यादा अनाज निकलता है, इसे एसो. भवन में रखते हैं और बाद में बेच देते हैं। इससे हर महीने 25-50 हजार रुपए की आय होती है लेकिन इससे 25 साल की आय नहीं बता रहे हैं।
बैठक में हिसाब मांगने का हुआ निर्णय
बीते सप्ताह करीब 100 व्यापारियों की बैठक हुई। इसमें अध्यक्ष को लेकर जमकर नाराजगी जाहिर की गई। तय हुआ कि खंडेलवाल जब से अध्यक्ष हैं तब से अब तक का हिसाब मांगा जाए। इसीलिए सदस्यों के दस्तखत के साथ खंडेलवाल को पत्र लिखकर उनसे हिसाब भी मांगा गया है।
यहां हमारा कैलेंडर चलता है
स्वयं को मंडी का आजीवन अध्यक्ष कहते आ रहे खंडेलवाल से हम्माल तक खफा हैं। हम्माल संघ के अध्यक्ष मोहनलाल शर्मा ने बताया कि खंडेलवाल का जब दिल करता है, मंडी की छुट्टी हो जाती है। हम कैलेंडर की बात करते हैं तो खंडेलवाल गाली-गलौज करते हुए कहते हैं यहां लाला रामस्वरूप का नहीं, प्रेमस्वरूप का कैलेंडर चलता है। मुकादम प्रताप चौधरी ने बताया कि अमावस शनिवार की है तो छुट्टी सोमवार की रखी जाती है।
ट्रैक्टर ले आओ तो पता चलता है मंडी बंद है
अध्यक्ष की मनमानी के कारण आए दिन मंडी की तालाबंदी से अनाज लेकर आने वाले किसान भी परेशान हैं। उनकी मानें तो सोमवार सुबह सौदा करना है तो रविवार रात घर से रवाना होते हैं। मंडी पहुंचो तो ताला मिलता है। वापस जाओ-आओ तो भाड़ा महंगा पड़ता है। यहां डेरा डालकर बैठो तो समय खराब होता है। करें भी तो क्या।
लालच के कारण उपजा विरोध
यह सही है कि मंडी में मेरा व्यापार नहीं है, लेकिन मैं मंडी की सेवा के लिए जुड़ा हुआ हूं। अब 25-30 साल का हिसाब कोई जेब में लेकर तो चलता नहीं हूं। कोषाध्यक्ष थे, जो शांत हो गए। हिसाब देने में वक्त लगेगा। घपले के आरोप बेबुनियाद हैं। लालच के कारण कुछ व्यापारी विरोध कर रहे हैं। उससे मुझे कोई फर्क पड़ता भी नहीं है। मैं हाथी हूं, चलता रहूंगा...।
- प्रेमस्वरूप खंडेलवाल, अध्यक्ष व्यापारी एसोसिएशन