विनोद शर्मा इंदौर। हाईवे किनारे 500 मीटर तक शराब दुकानें नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने जहां इंदौर की 50 से अधिक शराब दुकानों की जमीन हिला दी है वहीं आबकारी विभाग के अफसर दुकानदारों पर रिनुअल के लिए दबाव बना रहे हैं। दुकानदार असमंजस में हैं वहीं अफसर कह रहे हैं कि आप तो रिनुअल कराओ, बाकी हम देख लेंगे।
जिले में चालू वित्त वर्ष में 64 समूहों को 169 शराब दुकानें ठेके पर दी गई थी। इसमें से 24 समूहों की 48 दुकानें नेशनल हाईवे या स्टेट हाईवे से है, जिनका ठेका 31 मार्च तक है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अपै्रल से इन्हें हाईवे 500 मीटर दूर करना है। हालांकि आबकारी नियम में नगर निगम और नगर पालिका सीमा से गुजरने वाले राज्य व राष्ट्रीय राजमार्ग को हाईवे का दर्जा नहीं है।
इन्हें सामान्य सड़क मानकर इनके किनारे शराब दुकान के ठेके दिए जाते हैं। आदेश के बाद हाईवे से लगी दुकानों की जानकारी ली जा रही है। वहीं रिनुअल के लिए दबाव बनाकर अफसरों ने दुकानदारों की नींद उड़ा दी है जबकि यह तय नहीं है कि दुकानें रहेंगी भी या नहीं।
सुपड़ा ही साफ हो जाएगा फिर रिनुअल क्यों?
जितनी दुकानें चिह्नित की गई हैं उनमें कुछ तो ऐसी है, जिनका सिरे से सुपड़ा ही साफ हो जाएगा। चाहकर भी दुकानों को पीछे शिफ्ट नहीं किया जा सकेगा। इनमें ट्रांसपोर्ट नगर, बाणगंगा, खंडवा नाका, चंदन नगर, गंगानगर, सिरपुर, लाबरिया भेरू की देशी-विदेशी दुकानें शामिल हैं। हाईवे पर तीन से 300 मीटर तक दूर इन दुकानों के पीछे घनी आबादी हैं या फिर औद्योगिक या व्यावसायिक क्षेत्र जहां दुकानें शिफ्ट करना मुश्किल है। बावजूद इसके अधिकारी रिनुअल का दबाव बना रहे हैं।
200 करोड़ रुपए का एडजस्टमेंट बड़ी चिंता
अफसरों की चिंता दुकानों का हित नहीं बल्कि आबकारी विभाग का सालाना टारगेट है। 2016-17 वित्त वर्ष में जो 169 दुकानें नीलाम की थी उससे 641 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ था। 2017-18 में इसमें 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी करके रिनुअल करना है। मतलब मौजूदा परिस्थिति के हिसाब से ही 737.30 करोड़ की नीलामी या रिनुअल होना चाहिए। इसलिए वे अपने माथे पर लटकी टारगेट की तलवार को दुकानदारों के माथे करना चाहते हैं।
विरोधियों के लिए राहतभरी खबर
सांवेर, पीथमपुर, देवास, मानपुर, धार, झाबुआ, आलीराजपुर, सेंधवा, बुरहानपुर जैसे शहर और कस्बों की करीब-करीब सभी दुकानें नेशनल हाईवे या स्टेट हाईवे के किनारे ही हैं। दुकानें बंद होने से शराबियों को दिक्कत हो सकती है, लेकिन शराब विरोधियों के लिए यह राहतभरी खबर है।