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यूनिवर्सिटी में 100 से ज्यादा दैवेभो होंगे परमानेंट

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jan 20 2017 10:44AM | Updated Date: Jan 20 2017 10:44AM
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रफी मोहम्मद शेख इंदौर। यूनिवर्सिटी में कार्यरत दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को स्थायी करने की प्रक्रिया फिर शुरू हो गई है। मध्यप्रदेश शासन के निर्देशानुसार यूनिवर्सिटी ने 2007 के पहले तक काम कर रहे ऐसे कर्मचारियों की लिस्ट बनाना शुरू कर दी है, जो निरंतर काम कर रहे हैं। पहले भी ऐसे आदेश आए थे, लेकिन यूनिवर्सिटी ने शासन के निर्देश नहीं होने की बात कहकर प्रक्रिया टाल दी थी। करीब 100 से ज्यादा कर्मचारियों को फायदा होने की उम्मीद है। यूनिवर्सिटी में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के करीब 224 स्थायी पद खाली हैं।

शासन ने प्रदेश के कॉलेजों में कार्यरत दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को नियमित करने के बाद अब यूनिवर्सिटी में कार्यरत कर्मचारियों को नियमित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। तीन सदस्यीय कमेटी ने बैठक कर स्थापना विभाग को ऐसी लिस्ट बनाने को कहा है ताकि प्रक्रिया जल्द शुरू की जा सके।

निरंतर सेवा में रहना शर्त

शासन के निर्देशानुसार इसमें दो बातों का मुख्य रूप से ध्यान रखा जाएगा। अभी ऐसे कर्मचारियों की लिस्ट बनाई जाएगी जो 1 अप्रैल 2007 के पहले यूनिवर्सिटी में नियुक्त हुए थे। यह भी शर्त रखी गई है कि लिस्ट में शामिल कर्मचारी 2007 से लेकर अभी तक निरंतर कार्यरत रहे हो। अगर किसी कर्मचारी की सेवा बीच में निरंतर नहीं रही है तो उसे लिस्ट में शामिल नहीं किया जाएगा। लिस्ट में केवल 10 साल से ज्यादा समय से काम कर रहे नियमित दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी ही शामिल किए जाएंगे।

350 से ज्यादा कर्मचारी कार्यरत
यूनिवर्सिटी में वर्तमान में स्थायी कर्मचारियों के रिटायरमेंट के बाद कुल 224 पद खाली है। तृतीय श्रेणी के 378 पद स्वीकृत हैं। इसमें से 250 कर्मचारी ही कार्यरत हैं और 138 पद खाली हैं। इसी प्रकार चतुर्थ श्रेणी के यूनिवर्सिटी में 282 पद है, लेकिन इसमें से 86 पद अभी खाली है। उधर, यूनिवर्सिटी में 350 से ज्यादा दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी कार्यरत हैं।

तीन साल से चल रही प्रक्रिया
यह प्रक्रिया तीन साल से चल रही है। दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों में से कई 15 साल से इसी पद पर हैं। यूनिवर्सिटी ने तीन साल पहले 10 साल से ज्यादा समय से कार्यरत दैनिक वेतनभोगियों को नियमित किया था। राज्यपाल रामनरेश यादव ने दो साल पहले प्रदेश की सभी यूनिवर्सिटीज से प्रशासनिक और शैक्षणिक रिक्त पदों की जानकारी मांगी। इसके बाद राजभवन ने उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को 1 मार्च 2014 को पत्र भेजकर खाली पड़े इन पदों पर नियुक्तियां करने को कहा था। राजभवन ने इसके लिए निश्चित समय सीमा तय करने को भी कहा था।

कर्मचारियों का विरोध

उच्च शिक्षा विभाग ने 19 मई 2014 को देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी सहित प्रदेश की नौ सरकारी यूनिवर्सिटीज को इन पदों पर एक माह में नियुक्ति करने को कहा था लेकिन अधिकारियों ने नियुक्ति की अलग प्रक्रिया और रोस्टर का पालन करने का पेंच फंसाकर नियुक्तियां नहीं की। कार्यपरिषद ने भी इन कर्मचारियों का समर्थन किया था लेकिन अधिकारियों की कमेटी ने सीधी नियुक्ति करने की ही अनुशंसा की। इसमें कार्यरत कर्मचारियों को सीधे कुछ नंबर देने की बात कही गई थी। कर्मचारियों ने यह कहकर विरोध किया था कि फिर उनकी इतने साल की नौकरी का क्या होगा?

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