कपिल राठौर इंदौर। पुलिस विभाग के एक नियम की सराफा थाने के हेडसाब, सिपाही और थाना प्रभारी ने धज्जियां उड़ा रखी हैं। यहां तीन माह में बदलने वाले बीट सिस्टम को उन्होंने वर्षों से नहीं बदला। ये नियम तोड़ने से किसे नुकसान और फायदा हुआ, ये तो नहीं पता, लेकिन थाने की आवक जरूर बढ़ गई।
शहरभर के थानों में बीट सिस्टम तीन माह में बदलने का नियम है, ताकि थाने का प्रत्येक जवान अच्छे से उस इलाके से परिचित हो जाए। इसके बावजूद सराफा थाने की बीट के सिपाही इस नियम में बंधे नहीं हैं, क्योंकि थाना प्रभारी सतनाम सिंह ने उनकी बीट बदलना उचित नहीं समझा।
सूत्रों के मुताबिक यहां हेडसाब प्रवेश, आरक्षक सुरेंद्र, दूसरी बीट पर हेडसाब मिश्रा, आरक्षक ध्रुव, तीसरे नंबर पर हेडसाब सुभाष व आरक्षक माजिद खान, वहीं रोहित और उनके साथी वर्षों से जमे हैं। ये सराफा कॉर्नर, कबाड़ा बाजार, निहालपुरा का चोर बाजार संभालते हैं। बताते हैं कि कबाड़ा बाजार व निहालपुरा के चोर बाजार में कभी भी बीट अधिकारी किसी दुकान का माल चेक नहीं करता, न ही कभी सामान अव्यवस्थित पटकने वाले से पूछताछ करता है। इसका कारण है कि यहां का प्रत्येक व्यापारी सीधे साहब से जुड़ा है।
बंगाली नौकरों की लिस्ट अपडेट नहीं
सूत्रों का कहना है सराफा थाने में दो साल से सराफा दुकानों में कार्यरत बंगाली कारीगरों की लिस्ट अपडेट नहीं की गई। न ही यहां स्थित बिल्डिंगों में रहने वाले किराएदारों और पार्किंग में काम करने वाले युवकों की जानकारी अपडेट है, क्योंकि पूरा हिसाब-किताब टीआई साहब से कर लिया जाता है।
ट्रांसफर लेकर फिर आ जमे
सराफा थाने के हेडसाब सुभाष का दो-तीन बार यहां से ट्रांसफर हो चुका, लेकिन वे फिर यहीं जम जाते हैं। सूत्रों के मुताबिक बीट की सबसे मोटी कमाई वाली जगह सुभाष हेडसाब के पाले में ही आती है। यहां पूर्व में बजाजखाना और कपड़ा मार्केट में अध्यक्ष ने रात नौ बजे तक लोडिंग रिक्शा की आवाजाही की परमिशन ली थी, जो थाने की मदद से रात दो बजे तक चलती रहती है।
मामले की जांच कराएंगे
इस मामले में एसपी (पश्चिम) मनीष अग्रवाल से बात की गई तो उन्होंने बताया कि विभाग में तीन माह में बीट बदलने का नियम है। साथ ही नौकर, किराएदारों और अन्य की जानकारी समय-समय पर अपडेट होना जरूरी है। वे मामले की जांच कराएंगे।