25 Apr 2024, 04:39:21 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

अमरीन खान इंदौर। खादी का विकास और उपयोग तो 15वीं शताब्दी में हो गया था, लेकिन भारत के हर घर तक  पहुंचाने का श्रेय 19वीं शताब्दी में गांधी को है। हालांकि 209 साल बाद खादी को बढ़ावा देने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को है। मोदी की अपील के बाद शहर में खादी की बिक्री करीब 20 फीसदी बढ़ी है।      

खादी हमारे देश की विरासत है। यह चंद लोगों तक सिमट गई थी। मोदी ने जब इस धरोहर का महत्व समझाया और उसे जिंदगी में शामिल करने की बात कही, तो लोगों ने इस पर अमल किया। इसलिए देश व शहर में खादी की बिक्री बढ़ी।

मशीनों के दौर में खादी की जीवंतता फिर देखने मिली। युवाओं ने कुर्ते, शर्ट से लेकर टॉवेल तक खरीदे। युवाओं में इस बदलाव को देख खादी ग्रामोद्योग और खादी भंडार सहित खादी से जुड़ी संस्थाओं को ऊर्जा दी। पारंपरिक खादी वस्त्रों में इन संस्थानों ने फैशन को जोड़ा। दो सालों में वक्त की रफ्तार के साथ इन्होंने कदम मिलाए।

हमने भी किया सुधार
एक वक्त था नागपुर, अमरावती, खंडवा, उज्जैन और शहर को मिलकार 13 दुकान थीं, जो एक दुकान तक सिमटकर रह गई। दो-पांच पीढ़ी की विरासत को हमने बंद करने के लिए सोच लिया था। दो साल पहले जब मोदी ने खादी को महत्व दिया। देश से आह्वान किया, तब लोगों ने सोचा हमें सुधार करने की जरूरत है। खादी वस्त्र भंडार के शांतानू लोखंडे ने कहा परदादा ने महाराष्ट्र से शुरुआत की थी। मोदी ने जब खादी की बात की, तब हमने भी सोचा कुछ बदलाव करें, ताकि हर देशवासी खादी पहन सकें। फैशन से जोड़ा। नतीजा यह है कुछ आॅनलाइन साइट्स से भी बात चल रही है।

युवा हुए आकर्षित
खादी ग्रामोद्योग प्रबंधक अरुण चौहान ने बताया खादी को किसी ब्रांड एबेंसेडर की जरूरत नहीं। खादी को गांधी से अलग भी नहीं कर सकते। हालांकि खादी का आकर्षण मोदी की अपील के बाद बढ़ा है। साल में 24 लाख की बिक्री 30 लाख पर पहुंची। अब युवा आकर खादी खरीदते हैं। हमने भी नेहरू जैकेट, कुर्ता-पायजामा के साथ ही कंपलीट सेट बनवाने शुरू किए हैं।

कहां से : उत्तरप्रदेश, गुजरात, बिहार, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र और बंगाल से खादी मंगवाई जाती है।
धूप में न सुखाएं : खादी के कपड़ों को धूप में नहीं सुखाना चाहिए। प्राकृतिक कलर होने से रंग उड़ जाता है।
कीमत : 90 रुपए मीटर से लेकर पांच हजार रुपए मीटर तक।
खादी के प्रकार : सूती , पोली, ऊनी, रेशम, कोसा सिल्क, मटका सिल्क, रॉ सिल्क आदि।

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