अनिल धारवा इंदौर। हुंडी पर चलाने के लिए पहले लोगों से करोड़ों रुपए उधार लिए, जब लौटाने की बारी आई तो सूदखोरी का आरोप लगाते हुए शिकायत कर दी। पुलिस ने भी दगाबाज का खूब साथ दिया। न जांच आगे बढ़ी, न पीड़ितों को उनका पैसा मिला।
मामला शहर के बड़े हुंडी कारोबारी शरद दरक से जुड़ा है। दरक ने हुंडी पर चलाने के लिए शहर के कुछ बड़े कारोबारियों से पैसा लिया। जब लौटाने का वक्त आया तो उनके खिलाफ ही पुलिस में शिकायत कर दी। तत्कालीन डीआईजी संतोष कुमार सिंह ने भी दरक की शिकायत पर जांच बैठा दी। अन्नपूर्णा सीएसपी सुनील पाटीदार ने जांच के नाम पर कागजों को काला-पीला तो किया, लेकिन मामला फाइलों में ही दफन कर दिया। सूचना के अधिकार के तहत इस मामले की जानकारी देने से पुलिस टालमटोली कर रही है, ताकि हुंडी कारोबारी के झूठ से पर्दा न उठे।
यह था मामला
अन्नपूर्णा निवासी हुंडी कारोबारी शरद दरक ने आठ लोगों के खिलाफ नामजद शिकायत की थी। शिकायत में कहा था कि इन लोगों से मुझे जान का खतरा है। मैंने इन लोगों से ब्याज पर पैसा लिया था। मय ब्याज के पैसा देने के बाद भी पुरानी चिट्ठियां जो इन लोगों ने डरा-धमकाकर लिखा ली थी, वापस नहीं दे रहे हैं और मुझे परेशान कर रहे हैं। इन लोगों की वजह से मैं तनाव में हूं और आत्महत्या तक कर सकता हूं। यदि मुझे कुछ हो जाता है तो इन लोगों पर सूदखोरी का केस दर्ज किया जाए।
शिकायत के बाद चेक दिए, जो बाउंस हो गए
पुलिस ने इस मामले में जांच शुरू की। दरक ने जिन लोगों पर आरोप लगाया था उनमें एमएस सोमानी नामक कारोबारी भी शामिल है। सोमानी ने बताया कि दरक ने पहले मेरी शिकायत की। जब खुद को उलझते देखा तो समझौते के तौर पर परिवार के नाम पर चेक दे दिया, लेकिन वह भी बाउंस हो गया।
जांच में सहयोग नहीं किया
फरियादी ने जांच में सहयोग नहीं किया। उसे बयान के लिए बुलाया था। शिकायत को प्रमाणित करने के लिए तथ्य मांगे तो वह भी नहीं दे पाया।
- सुनील पाटीदार, सीएसपी अन्नपूर्णा एवं जांच अधिकारी