रफी मोहम्मद शेख इंदौर। भारतीय सेना के बैस कैंप नगरोटा में 29 नवंबर को हुए आतंकी हमले के साक्षी और जवाबी कार्रवाई में आतंकवादियों को ढेर करने वाले वीर फौजी की मां की बंद पेंशन प्रोविडेंट फंड के रीजनल आॅफिस ने मात्र 15 मिनट में ही शुरू कर दी। पीथमपुर में पिता की मृत्यु के बाद दो साल से यह पेंशन बंद थी। फौजी को बॉर्डर पर होने के कारण इसे फिर से शुरू करवाने का वक्त ही नहीं मिला।
शुक्रवार दोपहर 12 बजे एक फौजी बेटा अपनी मां के साथ पीएफ आॅफिस पहुंचा। पूछताछ केंद्र के बाहर प्रतिदिन की तरह पीएफ रीजनल कमिश्नर अजय मेहरा समस्या लेकर आए लोगों से बातचीत कर रहे थे तो उन्होंने मां के साथ आए फौजी से भी बात की। उसने अपना नाम अजीत सिंह बताते हुए अपनी समस्या बताई। साथ ही सेना में नौकरी होने के कारण बार-बार नहीं आ पाने का कारण भी बताया।
पैतृक गांव चली गई
अजीत सिंह ने बताया कि उसके पिता पीथमपुर स्थित परसरामपुरिया इंटरनेशनल में सुपरवाइजर थे। 2014 में उनकी मृत्यु के बाद उनकी पेंशन शुरू हुई लेकिन जनवरी 2015 से इसे बंद कर दिया गया, क्योंकि उनकी मां फूलकुमारी इंदौर में जीवित होने का प्रमाण-पत्र जमा नहीं कर पाई थी। इसके बाद वो मार्च में इलाहाबाद के पास स्थित अपने पैतृक गांव हड़िया चली गईं, तबसे ही पेंशन बंद हो गई। उसके साथ ही यहां खाता भी बंद कर दिया। दो साल से मां परेशान हो रही थी लेकिन यहां आने के लिए कोई साथ नहीं था।
एरियर भी तैयार कर दिया
श्री मेहरा ने इस मामले में कर्मचारियों की एक टीम बनाकर तुरंत निराकरण करने को कहा। कर्मचारियों ने मामले की गंभीरता को समझते हुए मात्र 15 मिनट में ही पेंशन प्रमाण-पत्र तैयार करने के साथ ही उनका जीवनपर्यंत आधार पेंशन लिंक कर दिया। इसके साथ ही दो साल का पेंशन एरियर-पत्रक भी तैयार कर दे दिया। स्टाफ ने हाथोहाथ इलाहाबाद के पास स्थित बैंक आॅफ इंडिया की जिस शाखा में खाता था, उसके मैनेजर से बात कर डिजिटल प्रमाण-पत्र और अन्य डॉक्यूमेंट फैक्स कर दिए।
सेना मेडल की सिफारिश
जब श्री मेहरा ने पेंशन प्रमाण-पत्र और एरियर की राशि के दस्तावेज फूलकुमारी और अजीत सिंह को सौंपे तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। अजीत सिंह ने बताया कि वह 25 राजपूताना रेजीमेंट में है और वर्तमान में जम्मू से 180 किलोमीटर दूर 58-आरआर में नियुक्त है। उसने बताया कि 29 नवंबर को नगरोटा में हुए आतंकी हमले के बाद जवाबी कार्रवाई की टीम में वह शामिल था, जिसमें आतंकियों को घेरकर मारा गया था। इसके बाद उसे सेना मेडल के लिए अनुशंसित किया गया है। इससे पहले वह सैनिक हनुमंतथप्पा को बर्फ से निकालने वाले रेस्क्यू आॅपरेशन की टीम में भी शामिल रहा था।
अतिरिक्त संवेदनशीलता दिखाई
ऐसे मामलों में हम अतिरिक्त संवेदनशीलता दिखाते हैं। इतनी दूर से आए फौजी और विधवा मां को भी हमने तुरंत राहत दी है। - अजय मेहरा, रीजनल कमिश्नर, पीएफ मप्र