मुकेश मुवाल इंदौर। केंद्र सरकार की योजना पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) के नाम से साथी के साथ कई लोगों को ठग चुका जालसाज कानपुर में स्कूल चलाता था। वह स्कूलों से जुड़ी सरकार की योजनाओं पर नजर भी रखने लगा। इस दौरान उसने पीपीपी योजना के एमपी में कुछ स्कूल खोलने की खबर टीवी पर देखी। इसे ठगी का जरिया बनाने की ठानी और इंटरनेट के जरिये इससे संबंधित जानकारी जुटाई। फिर प्रदेश के एजुकेशन हब इंदौर आ गया। यहां उसे एक जोड़ीदार मिला और दोनों ने कई एनजीओ व स्कूल संचालकों को शिकार बनाकर एक करोड़ रुपए से ज्यादा ठग लिए।
पिछले दिनों क्राइम ब्रांच और तुकोगंज पुलिस ने मालवा मिल क्षेत्र की दिव्य पैलेस होटल से राजेश तिवारी उर्फ राजेंद्र दीक्षित को पकड़ा था। आरोपी मेरिना इंटरनेशनल स्कूल (क्लासिक नोवा कॉलोनी, महू) के अतुल डेविड और उनके साथियों को फोन कर पीपीपी योजना के नाम पर रुपए मांग रहा था। पुलिस ने उसे कोर्ट में पेश कर 16 जनवरी तक रिमांड पर लिया है। फिलहाल एएसआई अशोक शर्मा के नेतृत्व में एक टीम उसे लेकर दिल्ली गई है, जो उससे जब्त मानव संसाधन विकास मंत्रालय के दस्तावेजों और सील-सिक्कों की जांच कर रही है।
बेकारी में कट रहे थे दिन
पूछताछ में बीकॉम पास राजेश पिता स्व. चंद्रशेखर तिवारी निवासी कोमलगिरि कॉलोनी, कानपुर (उप्र) ने पुलिस को बताया था कि परिवार में पत्नी निशा, बेटा दीपक, बहू नूपुर और छोटा बेटा अंकित हैं। वह देहली, सुजानपुर (कानपुर) में मां सरस्वती शिशु मंदिर नाम से पहली से 10वीं तक स्कूल चलाता था। कुछ साल से उसे घाटा हो रहा था। बेटे दीपक ने स्कूल को किड्स डीपीएस स्कूल में बदल दिया, जो चल निकला, लेकिन मेरे पास कोई काम नहीं रहता था।
टीवी पर खबर देख बनाई योजना
खबर थी कि 2006 में केंद्र की तत्कालीन सरकार ने पीपीपी योजना शुरू की थी। हालांकि ये सफल नहीं हुई। इस बीच उसने टीवी पर खबर देखी कि मप्र सरकार को 2013 में उक्त योजना के नाम पर पैसा मिला है। इसके लिए प्रदेशभर में पीपीपी के तहत 600 स्कूल खोले जाना हैं। इनके लिए 90 प्रतिशत पैसा सरकार देगी। 40 लाख स्कूल भवन के, 10 लाख जमीन के, 25 लाख स्कूल बस, टीचर व स्टाफ की तनख्वाह व अन्य मद सहित कुल 75 लाख रुपए सरकार से मिलना थे तो 10 प्रतिशत स्कूल संचालकों को देना था। यहीं से उसके दिमाग में ठगी का आईडिया आया और वह दिसंबर 2015 में इंदौर आ गया।
दो होटलों को बनाया ठिकाना
यहां होटल सम्राट और दिव्य पैलेस को उसने ठिकाना बनाया। जनवरी 2016 में एक सांध्य दैनिक अखबार में उक्त योजना का फायदा दिलाने का विज्ञापन स्कूल व एनजीओ संचालकों के लिए दिया। साथ ही आॅफिस स्टाफ का भी विज्ञापन दे दिया। रत्नमणि कॉम्प्लेक्स, न्यू पलासिया में प्रयास सेवा समिति नाम से आॅफिस खोल लिया। आॅफिस में निर्मला राव निवासी जनता कॉलोनी, अशोक सोनवणे निवासी नेहरू नगर, रामगोपाल वर्मा निवासी राम नगर (मूसाखेड़ी) व संतोष भाऊ निवासी शिवाजी नगर को नौकरी पर रख लिया।
मैं ठगने आया, मुझे मिला बड़ा ठग
बकौल राजेश, कर्मचारी अशोक ने ही मुझे आरके शर्मा से मिलवाया था। शर्मा को मैंने स्कीम समझाई तो वह ठगी का मेरा प्लान समझ गया। उसने ही मुझे साथ में ठगी करने का कहकर विश्वास में लिया। इसके बाद हम स्कूल व एनजीओ संचालकों को ठगने लगे। शर्मा ने 730/9, नेहरू नगर में टैलेंट कोचिंग क्लासेस नाम से आॅफिस खोलकर लोगों से आवेदन, फाइलें लेकर मिनिस्ट्री से प्रोजेक्ट स्वीकृत कराने के नाम पर 2.50 से चार लाख रुपए तक लिए।
सारा पैसा आरके लेकर भाग गया
राजेश ने बताया आरके ही केस मेरे पास भेजता था। मुझे तो ठगी के करीब 25 लाख रुपए मिले। सारा पैसा आरके शर्मा लेकर चंपत हो गया। मुझे जो रुपए मिले, उनसे मैं सालभर शहर की होटलों में ठहर पाया। आॅफिस और स्टाफ की सैलेरी भी मुझे ही देना पड़ती थी। बहू नूपुर को गंभीर बीमारी थी। उसके इलाज में भी मेरा काफी रुपया खर्च हो गया, लेकिन शर्मा पौन करोड़ रुपए तक लेकर गायब हो गया।