24 Apr 2024, 20:34:04 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

सुधीर शिंदे इंदौर। प्रदेश की ऐतिहासिक धरोहरों में शामिल मेडिकल कॉलेज परिसर में बना करीब 150 साल पुराना केईएम मेडिकल स्कूल (किंग एडवर्ड हॉस्पिटल एंड मेडिकल स्कूल) अब पर्यटन विभाग का हो गया।

सूत्रों के मुताबिक, पुरातत्व विभाग के प्रमुख सचिव हरिरंजन राव ने चिकित्सा शिक्षा विभाग के अफसरों से भोपाल में बैठे-बैठे इस खेल की जमावट की और शासन स्तर पर इसकी मंजूरी कर आदेश जारी करवा लिया। इतना ही नहीं बिल्डिंग के साथ उसके पीछे खाली पड़ी एक एकड़ जमीन भी देने का फैसला हो गया। दो दिन पहले भोपाल से आदेश पहुंचा तब कॉलेज प्रबंधन को पता चला कि केईएम स्कूल और जमीन अब उनकी नहीं रही।

आदेश से कॉलेज प्रबंधन सहमत नहीं
कॉलेज प्रबंधन शासन के आदेश से सहमत नहीं है। नाम नहीं छापने के आग्रह पर एक सीनियर प्रोफेसर का कहना है कि करीब 150 साल से ज्यादा पुरानी इस ऐतिहासिक बिल्डिंग को सुरक्षित और संरक्षित रखने के लिए पुरातत्व विभाग को सौंपी जाना चाहिए थी। इसे पर्यटन विभाग को देने का कोई औचित्य नहीं है।

म्यूजियम बनाने की थी योजना
कॉलेज परिसर में स्थित इस बिल्डिंग के महत्व और इमारत की भव्यता को देखते हुए पूर्व में यहां मेडिकल से संबंधित म्यूजियम और लाइब्रेरी बनाने की योजना बनी थी, किंतु वह ठंडे बस्ते में चली गई।

जमीन देने से किया इनकार
ऐतिहासिक बिल्डिंग और जमीन पर्यटन विभाग को सौंपे जाने के भोपाल से आए आदेश के बाद कॉलेज प्रबंधन ने बिल्डिंग को लेकर तो सहमति दे दी, किंतु जमीन देने से साफ इनकार कर दिया। इसे लेकर चिकित्सा शिक्षा और पर्यटन विभाग को पत्र लिखकर अवगत भी करा दिया। इसके पीछे कारण बताया गया कि सुपर स्पेशलिटी सेंटर के साथ ही केंद्र और राज्य सरकार से कई आवश्यक प्रोजेक्ट स्वीकृति हो चुके हैं, जिसके लिए जमीन की जरूरत है। 

यह है बिल्डिंग का इतिहास : यूरोप शैली में बनी इस इमारत की आधारशिला 1848 में रखी गई थी, जबकि 1878 में यहां एलोपैथी की पढ़ाई शुरू हुई थी। शुरू में पांच स्टूडेंटों को ही प्रवेश दिया गया था। यह मध्यभारत का पहला मेडिकल स्कूल था।

जानकारी नहीं है

मेडिकल कॉलेज में इससे संबंधित पत्र आया होगा, लेकिन मुझे इसकी जानकारी नहीं है।
- एसके गुप्ता, जनरल मैनेजर, पर्यटन विभाग

पत्र मिला है
केईएम बिल्डिंग और जमीन पर्यटन विभाग को सौंपने के संबंध में पत्र मिला है। जमीन रोकने को लेकर असमर्थ हैं, इसके लिए शासन को अवगत करा दिया है।
- डॉ. शरद थोरा, डीन,
एमजीएम मेडिकल कॉलेज,

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