अनिल धारवा इंदौर। इंदौर-देवास बायपास पर बनी ओमेक्स सिटी वन के कर्ताधर्ताओं पर प्रशासन के अफसर मेहरबान हैं। यही कारण है कि तहसीलदार कोर्ट के आदेश के तीन साल बाद भी अफसर सरकारी जमीन से कब्जा नहीं हटवा पाए। वहीं 30 लाख रुपए का अर्थदंड भी नहीं वसूला। इधर, कर्ताधर्ताओं ने कॉलोनी में निर्माण भी घटिया स्तर का किया है, जिससे बाउंड्रीवॉल भी दम तोड़ने लगी है और रहवासी खुद को असुरक्षित महसूस करने लगे हैं।
ओमेक्स वन (बायपास) में की गई गड़बड़ियों को लेकर प्रशासन ने भले ही कोई ठोस कार्रवाई नहीं की, लेकिन पिछले दिनों राज्य आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने ओमेक्स के कर्ताधर्ताओं के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर लिया। तहसीलदार कोर्ट ने 2013 में ही ओमेक्स के कर्ताधर्ताओं द्वारा सरकारी जमीन पर कब्जा किए जाने को लेकर 30 लाख के अर्थदंड के साथ बेदखली के आदेश पारित किए थे। हालांकि ओमेक्स सिटी के संचालक इस आदेश के खिलाफ राजस्व मंडल चले गए थे। इसके बाद प्रशासन के अफसरों ने इस मामले को ठंडे बस्ते में ही डाल दिया।
अफसर ने नहीं देखी फाइल
ईओडब्ल्यू में प्रकरण दर्ज होने के बाद भी प्रशासन के अधिकारियों ने अपने ही द्वारा दिए गए आदेश की फाइल देखना तक उचित नहीं समझा। तत्कालीन तहसीलदार ने क्या आदेश दिए थे और उस पर क्या कार्रवाई की गई, तहसीलदार अशोक डेहरिया को इसकी कोई जानकारी नहीं है। एक सप्ताह से अधिक समय बीतने के बाद भी उन्होंने प्रकरण की फाइल नहीं देखी। उनका कहना है, अभी फाइल नहीं देखी है। वरिष्ठ न्यायालय के निर्देशों का पालन कराया जाएगा। दूसरी ओर ओमेक्स के कर्ताधर्ताओं का कहना है कि मामला राजस्व मंडल में विचारधीन है।
घटिया निर्माण से टूटने लगी बाउंड्रीवॉल
इस कॉलोनी के निर्माण में उपयोग की गई सामग्री की गुणवत्ता पर अब सवाल उठने लगे हैं। रहवासियों की मानें तो सुरक्षा के लिए बनाई गई बाउंड्रीवॉल का कुछ हिस्सा टूट गया है। इसका फायदा आसपास बसी झोपड़पट्टी के लोगों ने उठा लिया और बाउंड्रीवॉल से सटाकर मकान तक बना लिए। इन अवैध निर्माणों से रहवासियों की सुरक्षा खतरे में है, लेकिन कॉलोनाइजर बेखबर है। कई बार रहवासियों ने शिकायत की, लेकिन निर्माण हटाने के बजाए मामले को टाला जा रहा है।
बढ़ने लगी अनैतिक गतिविधियां
रहवासियों की मानें तो पास की बस्ती में अनैतिक काम होने के साथ ही शराब की अवैध भट्टी भी चल रही है। इसका असर कॉलोनी में भी हो रहा है। रहवासियों का कहना है कि कई बार लसूड़िया थाने पर सूचना भी दी गई और कार्रवाई भी हुई, लेकिन कॉलोनाइजर इस मामले को कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है।