गौरीशंकर दुबे इंदौर। सुप्रीम कोर्ट ने 18 जुलाई 2016 व 2 तथा 3 जनवरी 2017 को जो आॅर्डर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) एवं राज्य संघों को दिए हैं, उनके खिलाफ जाकर मिलिंद कनमड़ीकर अभी भी मप्र क्रिकेट एसोसिएशन (एमपीसीए) के सचिव बने हुए हैं। प्रवीण कासलीवाल कोषाध्यक्ष तथा नरेंद्र हिरवानी उपाध्यक्ष पद नहीं छोड़ रहे। कनमड़ीकर तथा कासलीवाल कूलिंग पीरियड के दायरे में आए हैं, जबकि हिरवानी कनफ्लिक्ट आॅफ इंट्रस्ट के घेरे में।
आॅफिस बेयरर भी नहीं...
जो व्यक्ति नौ साल तक बीसीसीआई या राज्य एसोसिएशन में आॅफिस बेयरर रहे हैं, वे भी भविष्य में सेवा देने की स्थिति से वंचित रहेंगे। इसका सीधा मतलब यह हुआ कि सिंधिया एवं जगदाले की प्रशासक के रूप में पारी खत्म हो गई है।
यह भी अवमानना है...
एक राज्य एक स्टेडियम नियम का पालन नहीं करते हुए एमपीसीए ने ग्वालियर में स्टेडियम का निर्माण तब शुरू करवा दिया, जबकि लोढ़ा कमेटी का नियम लागू हो गया था। यह भी कोर्ट की अवमानना की श्रेणी में आ रहा है। ज्योतिरादित्य इसी स्टेडियम को बनवाने के लिए एक्टिव हैं और उनपर कड़ी कार्रवाई होगी। वैसे भी ग्वालियर स्टेडियम की जमीन विवादित है, क्योंकि जहां यह बन रहा है, वह जमीन विक्रेता ने एमपीसीए के पहले किसी और को भी बेच दी थी। इस जमीन और स्टेडियम निर्माण पर खर्च किए गए पैसों के बाद भविष्य में एमपीसीए आर्थिक कंगाली झेल सकता है।
अनियमितताएं आएंगी सामने...
केग इंडिया जब पिछले दस साल की री आॅडिट करेगा, तो एमपीसीए में हुईं सारी अनियमितताएं उजागर हो जाएंगी। उल्लेखनीय है कि वरिष्ठ सदस्य डॉ. लीलाधर पालीवाल ने कालांतार में प्रश्न उठाए थे कि हजार रुपए स्क्वेयर फीट का टफन ग्लास चौदह हजार रुपए स्क्वेयर फिट में कैसा लगाया गया?, होलकर स्टेडियम के अच्छे भले रूम के रिनोवेशन के नाम पर 56 लाख रुपए क्यों खर्च किए गए?, प्रशासनिक भवन के निर्माण की दरें चौगुनी कीमत में क्यों दी गईं?, कई संभागीय एसोसिएशन के पदाधिकारियों को उपकृत करने लिए क्यों मोटी तनख्वाह दी गई?, आखिर क्यों पदाधिकारियों के रिश्तेदार एवं परिजन एमपीसीए में तथाकथित नौकरी के नाम पर मोटी तनख्वाह वसूलते आए हैं?
शंकरनारायणन को शिकायत
नरेंद्र मेनन के सचिव काल में कनमड़ीकर सह सचिव थे। सचिव पद पर भी उनके दो साल और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ढाई साल पूरे हो गए। उन्हें उपाध्यक्ष डॉ. महेंद्रकुमार भार्गव व अशोक जगदाले की तरह पद छोड़ देना था। वहीं, कासलीवाल मेनन तथा कनमड़ीकर के सचिव काल में कोषाध्यक्ष रहे और उन्हें भी ऐसा ही करना था। हिरवानी अनुबंध के तहत बैंगलुरु स्थित बीसीसीआई की नेशनल क्रिकेट एकेडमी में स्पिन गेंदबाजी कोच हैं व एमपीसीए में उपाध्यक्ष। उन्होंने भी उपाध्यक्ष पद नहीं छोड़ा। एमपीसीए में सिंधिया विरोधी गुट ने इसकी जानकारी शनिवार को जस्टिस आरएम लोढ़ा कमेटी के सचिव गोपाल शंकरनारायणन को की है।
ये आगे नहीं करेंगे काम
ज्योतिरादित्य सिंधिया और संजय जगदाले का एमपीसीए में कार्यकाल नौ -नौ साल का हो चुका है। इसलिए भविष्य में वे प्रशासक के रूप में न ही एमपीसीए और न ही बीसीसीआई में काम कर सकेंगे। एमपीसीए की मैनेजिंग कमेटी एवं एजीएम का संचालन भी नहीं कर पाएंगे। एक सामान्य लाइफ मेंबर के रूप में एजीएम अटेंड करेंगे।
सभी को करना है आदेश का पालन
2 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद चेयरमैन, प्रेसीडेंट, वाइस प्रेसीडेंट अपने पदों को छोड़ चुके हैं। कनमड़ीकर, कासलीवाल, हिरवानी के बारे में मुझे पता नहीं है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन सभी को
करना है।
- रोहित डी पंडित, सीओए एमपीसीए