विनोद शर्मा इंदौर। पंचायत की कथित अनुमति का हवाला देकर नगर निगम की आंख में धूल झोंकते आ रहे ट्रूबा कॉलेज का नया प्रशासनिक भवन जिस जमीन पर बन रहा है, मास्टर प्लान 2021 में उसका लैंडयूज ग्रीन बेल्ट आरक्षित है। लैंडयूज बदलवाने के लिए कॉलेज प्रबंधन का आवेदन टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट और प्रमुख सचिव आवास एवं पर्यावरण विभाग के पास विचाराधीन है। फैसला आने से पहले ही कॉलेज ने ग्रीन बेल्ट पर बिल्डिंग बनाना शुरू कर दी।
मास्टर प्लान में आया जमीन का बड़ा हिस्सा
बायपास पर कैलोद करताल के सर्वे क्रमांक 286, 287, 288, 289 और 290 की 4.213 हेक्टेयर जमीन पर टीएंडसीपी ने जनवरी 2005 को कॉलेज का नक्शा मंजूर किया था। इसमें सर्वे नं. 287 की जमीन कॉलेज के पीछे से शुरू होकर बायपास की ओर से कॉलेज के सामने बने झोपड़ों के पीछे तक जाती है। नक्शे में पूरी जमीन एमओएस और पार्किंग के लिए आरक्षित रही है। जनवरी 2008 में मास्टर प्लान-2021 लागू हुआ तो पूरा क्षेत्र प्लानिंग एरिया में आ गया जो 2005 में कॉलेज का ले-आउट मंजूर होते वक्त प्लानिंग से बाहर था। मास्टर प्लान में सर्वे नंबर 287 का बड़ा हिस्सा एमआर-3 और ग्रीन बेल्ट के रूप में आरक्षित कर दिया गया।
271 का आवेदन किया है, 287 का नहीं
कॉलेज का रियल एस्टेट सेगमेंट देख रहे एक अधिकारी ने बताया कि 286, 287, 288, 289 और 290 की 4.213 हेक्टेयर जमीन ट्रूबा एजुकेशन सोसायटी की है। अतिरिक्त जमीन के आवंटन के लिए वर्ष 2008 में आवेदन किया था। इस पर सकारात्मक रुख दिखाते हुए अधिकारियों ने सर्वे नं. 271 की जमीन आवंटित कर दी जो 287 और बायपास के बीच है। इस जमीन के बड़े हिस्से पर बायपास भी बना है और एमआर-3 भी प्रस्तावित है। करीब ढाई एकड़ जमीन का भू-उपयोग ग्रीन बेल्ट है, उसे ही बदलने के लिए आवेदन लगाया है, अभी बदला नहीं है। बदलेगा तो वहां नक्शा पास करवाकर ही बिल्डिंग बनाएंगे।
कैसे बनने लगी बिल्डिंग
मास्टर प्लान में जिस जमीन के हिस्से का भू-उपयोग ग्रीन बेल्ट के रूप में आरक्षित है तो उसके 10 हजार वर्गफीट हिस्से में दो महीने पहले बिल्डिंग का काम कैसे शुरू हो गया? बिल्डिंग को कॉलेज का प्रशासनिक भवन बताया जा रहा है। बिल्डिंग जी+3 बनना है। अब तक ग्राउंड की स्लैब डल चुकी है। उस पर भी अगली स्लैब तक का काम हो गया है।
भू-उपयोग परिवर्तन विचाराधीन
टीएंडसीपी के अधिकारियों ने बताया कि ट्रूबा एजुकेशन सोसायटी का कॉलेज जिस जमीन पर बना है, उसका भू-उपयोग पीएसपी है जबकि बायपास की ओर खूली भूमि का लैंडयूज ग्रीन बेल्ट और रोड है। कॉलेज प्रबंधन ने ग्रीन बेल्ट लैंडयूज पर आपत्ति दर्ज कराई थी। बाद में एक आवेदन किया और लैंडयूज बदलने की मांग की। मामला शासन स्तर पर विचाराधीन है। इससे पहले यदि कॉलेज प्रबंधन ने बिल्डिंग बनाना शुरू कर दी तो यह गलत है और अवैधानिक है।