आदित्य शुक्ला इंदौर। शासन ने प्राचार्यों को डीईओ बनाने की परंपरा पर रोक लगाते हुए उप संचालक स्तर के अधिकारी को ही डीईओ बनाने का नियम लागू किया है। स्कूल शिक्षा मंत्री इस नियम को बदलने के लिए प्रयास कर रहे हैं, ताकि अपने चहेतों को उपकृत कर सकेंगे।
जानकारी के अनुसार शिक्षा विभाग में स्थायी डीईओ की कमी बनी हुई है, जिसके चलते कई जिलों में प्रभारी डीईओ जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। ऐसे में स्थायी डीईओ की नियुक्तिके लिए स्कूल शिक्षा मंत्री विजय शाह ने पुराने नियम को लागू कराने की कोशिश शुरू कर दी है, जिससे प्राचार्य को डीईओ बनाने का रास्ता साफ हो जाएगा। यदि शासन मंत्री के सुझाव को मंजूर कर प्राचार्य को डीईओ बनाने पर सहमति देता है, तो इंदौर के कई प्राचार्य डीईओ बन सकेंगे। गौरतलब है कि शासन ने वर्ष 2012 में प्राचार्यों को डीईओ बनाने के नियम पर रोक लगा दी थी। साथ ही नए नियम लागू करते हुए उप संचालक को ही डीईओ बनाने का नियम लागू किया था। इसके बाद से प्रदेश के आधे जिलों में स्थायी डीईओ की नियुक्तियां नहीं हो सकी।
अपनों को उपकृत
स्कूल शिक्षा मंत्री बनने के बाद शाह के पास इंदौर के कई प्राचार्य पहुंचे और डीईओ बनने की इच्छा जताई थी, किंतु नियमों के कारण एक भी प्राचार्य कुर्सी हासिल नहीं कर सका। उसके बाद ही मंत्री ने शासन को पुराना नियम लागू करने का सुझाव दिया है, ताकि वे अपने चहेतों को उपकृत कर सकें। प्राचार्य को डीईओ बनाने का रास्ता साफ होते ही इंदौर के आधा दर्जन प्राचार्य डीईओ बनाए जा सकते हैं।
डाईट प्राचार्य भी दावेदार
जिला शिक्षण और प्रशिक्षण संस्थान में पदस्थ प्राचार्य उपसंचालक स्तर का अधिकारी है, जो प्रथम ग्रेड में आते हैं, जबकि हायर सेकंडरी स्कूल का प्राचार्य द्वितीय ग्रेड में आते हैं। ऐसे में कई उप संचालक डाईट प्राचार्य बने हुए हैं, जिन्हें प्राथमिकता से डीईओ बनाया जा सकता है, किंतु उन्हें कुर्सी देने की बजाय क्लास-टू ग्रेड के प्राचार्य को डीईओ बनाने की तैयारी शुरू हो गई है, जबकि कई डाईट प्राचार्य डीईओ की दावेदारी कर रहे हैं।
डीईओ पहले डाईट प्राचार्य थे
इंदौर के डीईओ अनुराग जायसवाल नीमच में डाईट प्राचार्य थे, उन्हें शासन ने डीईओ बनाकर पदस्थ किया है। इसी तरह कई अन्य संस्थान है। जहां मापदंडों के अनुरूप अधिकारी है, किंतु उन्हें मौका देने की बजाए निचले अधिकारियों को उच्च पद देने की कोशिशें शुरू हो गई हैं।