अनूप सोनी इंदौर। आरबीआई ने कुछ दिनों में कई बैंकों का एमसीएलआर तय किया है। यह बैंक के फंड की स्थिति को देखकर तय होता है। अर्थात जिस बैंक में सबसे ज्यादा फंड (विभिन्न तरह की जमा राशि) है, उससे ही लोगों को सबसे सस्ता होम लोन आदि मिलेगा। हर बैंक एमसीएलआर के ऊपर अपना खर्च और फायदा जोड़कर ही लोन देती है।
एमसीएलआर का मतलब मार्जिनल कॉस्ट आॅफ लैंडिंग रेट होता है, लेकिन इसमें फंड्स बेस्ड जुड़ा हुआ है। आरबीआई जब बैंकों का एमसीएलआर तय करती है, उससे पहले बैंक के बचत, चालू खाते, एफडी आदि में जमा राशि का आंकड़ा देखती है। यही कारण है कि हर बैंक का एमसीएलआर अलग-अलग होता है। जो एमसीएलआर तय होता है, उसमें बैंक अपने खर्च और फायदे का प्रतिशत जोड़कर लोन दे सकती है। यह बैंक पर निर्भर करता है कि वह होम लोन आदि में कितना फायदा लेना चाहती है। यदि बैंक ने फायदे का प्रतिशत बढ़ाया तो लोन लेने वालों का प्रतिशत भी कम हो सकता है। ऐेसे में जिस बैंक का एमसीएलआर सबसे कम होगा, उसी बैंक से लोगों को अन्य बैंकों की तुलना में सस्ता लोन मिलेगा।
बैंकों में एक साल का एमसीएलआर
एसबीआई 8 प्रश
सेंट्रल बैंक 8.50 प्रश
बैंक आॅफ इंडिया 8.50 प्रश
देना बैंक 8.55 प्रश
कैनरा बैंक 8.45 प्रश
एचडीएफसी 8.15 प्रश
पंजाब नेशनल बैंक 8.45 प्रश
यूनियन बैंक 8.65 प्रश
(इस प्रतिशत के ऊपर बैंक अपना खर्च और फायदा जोड़कर लोन के ब्याज का प्रतिशत तय करती है।)
घट गया है ब्याज का प्रतिशत
आरबीआई ने 1 जनवरी 2017 के बाद अब तक कई बैंकों के एमसीएलआर में बदलाव किया है। अधिकांश बैंकों के एमसीएलआर कम हो गए हैं अर्थात अब लोगों को बीते साल की तुलना में इस साल कम प्रतिशत पर होम लोन आदि मिलेगा।
ऐसे बढ़ जाता है प्रतिशत
बैंक अपने खर्च और फायदे को बीपीएस (बेसिस पाइंट्स) कहती है जो पाइंट के रूप में बैंक तैयार करती है। यदि इसमें 1 बीपीएस है तो लोन का प्रतिशत 0.01 बढ़ेगा। 10 बीपीएस में 0.1 प्रतिशत, 50 बीपीएस में 0.5 प्रतिशत और 100 बीपीएस में 1 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी। बैंक द्वारा एमसीएलआर में बीपीएस जोड़ा जाता है जो होम लोन आदि के ब्याज का प्रतिशत हो जाता है।