विनोद शर्मा इंदौर। नगर निगम की अनुमति के बिना एक के बाद एक बिल्डिंग ताने जा रहे सागर इंस्टिट्यूट आॅफ रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी के ट्रूबा कॉलेज पर टाउन एंड कंट्री प्लानिंग (टीएंडसीपी) भी मेहरबान रहा। अधिकारियों ने कॉलेज को फायदा पहुंचाने के लिए 30 मीटर चौड़ी प्रस्तावित रोड को एक जगह से उठाकर दूसरी जगह पटक दिया। फिर जिला प्रशासन के अधिकारी क्यों साथ न निभाते। उन्होंने भी कॉलेज की अपनी जमीन होने के बावजूद सरकारी जमीन कॉलेज के नाम कर दी।
बायपास पर कैलोद करताल के सर्वे नंबर 286, 287, 288, 289 और 290 की 4.213 हेक्टेयर जमीन पर टाउन एंड कंट्री प्लानिंग (टीएंडसीपी) ने जनवरी 2005 को कॉलेज का नक्शा मंजूर किया था। उस वक्त क्षेत्र प्लानिंग एरिया से बाहर था। तब कॉलेज के पीछे कैलोद करताल और निहालपुर मुंडी के बीच कांकड़ को 30 मीटर चौड़ी सड़क के रूप में दर्शाया गया था। इसी नक्शे से कॉलेज बना भी, लेकिन नक्शा मंजूर करने वाले अधिकारी ने मास्टर प्लान 2021 बनाते वक्त पीछे की सड़क का खांका कॉलेज के सामने खींच दिया ताकि नई सड़क का फायदा कॉलेज को मिल सके।
2005 में हुआ था कॉलेज का नक्शा पास
ताकि सामने न रहे झोपड़े
कॉलेज और बायपास के बीच सर्वे नंबर 271 की 5.473 हेक्टेयर जमीन सरकारी है। इसी जमीन पर जहां कॉलेज जाने का निजी रास्ता बना हुआ है वहीं कॉलेज के सामने ही करीब 30 झोपड़े हैं। कॉलेज के बनने से पहले गिनती के घर थे। इनकी संख्या कॉलेज की कथित कीर्ति के साथ ही बढ़ती गई जो कि प्रबंधन को नागवारा थी। इसीलिए 2008 में सर्वे नंबर 271 की जमीन के बड़े हिस्से के आवंटन के लिए आवेदन भी किया गया। जमीन मिल भी गई लेकिन भू-उपयोग ग्रीन बेल्ट था इसीलिए प्रबंधन चुप बैठ गया।
पुरानी सड़क
कैलोद करताल के सर्वे नंबर 287, 288, 291
निहालपुर मुंडी के सर्वे नंबर 987, 988, 993, 994 पर।
मास्टर प्लान में सड़क
कैलोद करताल के सर्वे नंबर 271, 287, 285, 284, 282 पर।
अब पीछे की सड़क पर कब्जा!
कॉलेज कैंपस के सामने से सड़क गुजरने के बाद प्रबंधन ने पीछे प्रस्तावित सड़क की जमीन को बपौती मानकर कब्जा शुरू कर दिया। इस कड़ी में पहाड़ की ढलान को भराव कर पहले कैंटीन बनाया और अब आॅडिटोरियम और डिपार्टमेंट का काम भी जारी है।
अलाइनमेंट ही नहीं मिलता
जिस सड़क को प्लान किया गया है वह 1975 से प्लान है जिसे एमआर-3 के नाम से जाना जाता है। सड़क रीजनल पार्क से शुरू होकर बिलावली, फतनखेड़ी, मुंडी की जमीन से होते हुए बायपास को क्रॉस करती है। इसीलिए टीएंडसीपी के अधिकारी यह भी नहीं कह सकते कि ले-आउट पहले मंजूर हुआ और नक्शा बाद में बना इसीलिए गफलत हुई।
यदि ऐसा नहीं होता तो कॉलेज के ले-आउट में भी 30 मीटर चौड़ी सड़क का जिक्र नहीं होता। निहालपुर मुंडी की ओर से आने वाली सड़क जहां आकर छूटती है उसके सामने से ही ट्रूबा कॉलेज तक पहुंचने की चढ़ाई शुरू होती है। आगे जाकर ओमेक्स सिटी वालों के नक्शे में भी रास्ता छुड़वाया गया है जो कि इस रास्ते के अलाइनमेंट से मिलता है लेकिन टीएंडसीपी के नक्शे में नजर आने वाले नक्शे का अलाइनमेंट नहीं मिलता।