गौरीशंकर दुबे इंदौर। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) अध्यक्ष पद से अनुराग ठाकुर और सचिव अजय शिर्के को बर्खास्त करने के बाद मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (एमपीसीए) के चेयरमैन ज्योतिरादित्य सिंधिया, अध्यक्ष संजय जगदाले, उपाध्यक्ष डॉ. एमके भार्गव, अशोक जगदाले ने अपने पदों से इस्तीफा नहीं दिया, बल्कि वे स्वत: हटा दिए गए। एमपीसीए के सीओए रोहित डी पंडित ने इस बात का खुलासा किया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से जो आदेश मिला है, वह अंग्रेजी भाषा में है। उसका असल अनुवाद यह है कि पदाधिकारी पद से स्वत: हटा दिए गए। हालांकि कईयों ने इसका अनुवाद गलत किया है और कहा है कि पदाधिकारियों ने इस्तीफे दिए। गौरतलब है कि 2 जनवरी 16 को सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद उन पदाधिकारियों के पद की जिम्मेदारी स्वत: ही समाप्त हो गई थी, जो जस्टिस आरएम लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों के खिलाफ काम कर रहे थे।
अनुराग की तरह जगदाले भी कटघरे में?
जैसी कि खबरें हैं -बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने पद पर रहते सुप्रीम कोर्ट की अवमानना की थी। यदि वे बिना शर्त माफी नहीं मांगते, तो जेल भी जा सकते हैं। यही बात एमपीसीए के अध्यक्ष संजय जगदाले पर भी लागू होती है, क्योंकि उन्होंने 25 अगस्त 2016 को सुबह 9 बजकर 20 मिनट पर मिला वह मेल एमपी हाईकोर्ट को नहीं दिया, जिसमें स्पष्ट निर्देश था कि चुनाव कराने के लिए एजीएम न करें। यह मेल जगदाले ने यह कहकर छुपाए रखा कि वे कभी -कभी ई मेल नहीं खोलते। (इस पर वरिष्ठ सदस्य डॉ. लीलाधर पालीवाल के वकील का तर्क था कि यदि आप जिम्मेदार पद पर हैं, तो आपको ऐसी लापरवाही क्यों की?) गौरतलब है कि यह मेल लोढ़ा कमेटी के सचिव गोपाल शंकरनारायणन एमपीसीए को भेजा था।
कोर्ट के आदेश का अनुवाद गलत किया
इसलिए बुलाया था दादा को
एमपीसीए ने वार्षिक पुरस्कार वितरण के लिए बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष सौरव गांगुली को बुलाया था। पदाधिकारियों को ये भनक पहले ही थी कि लोढ़ा कमेटी की सिफारिशें लागू होंगी। इसलिए गांगुली को लुभाने की कोशिश की गई, ताकि वे बोर्ड अध्यक्ष बनें, तो संजय जगदाले फिर बोर्ड में एंट्री कर सकें।
कोर्ट से बचने के लिए ये सब किया
कोर्ट से बचने के लिए एमपीसीए के पूर्व पदाधिकारियों ने यह सब किया है। ई मेल छिपाने के लिए संजय के खिलाफ कोर्ट की अवमानना का केस बनता है। जहां तक मेरी जानकारी है, यदि उन्होंने बिना शर्त माफी नहीं मांगी, तो अनुराग ठाकुर की तरह जेल जाने की संभावना बन जाएगी।
- डॉ. लीलाधर पालीवाल, वरिष्ठ सदस्य एमपीसीए
कार्रवाई की मांग कर रहे हैं
मेरे मुवक्किलों ने एमपीसीए के पदाधिकारियों के खिलाफ याचिका लगाई थी। 16 जुलाई को माननीय न्यायालय को बताया था लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों को लागू करें, लेकिन उन्होंने तर्क दिया था कि लोढ़ा कमेटी की सिफारिशें हमपर लागू नहीं होती। रही बात ई मेल छिपाने की, तो कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
- सुमित संवत्सर, वकील