सुधीर शिंदे इंदौर। एमवायएच परिसर में श्रीकृष्ण मल्होत्रा चेरिटीज द्वारा 45 लाख रुपए से ज्यादा की लागत से बनवाई गई श्रीकृष्ण मल्होत्रा आकस्मिक चिकित्सा केंद्र की आधुनिक बिल्डिंग को अस्पताल प्रबंधन ने निजी हाथों में सौंप दी है। हकीकत तो यह है कि इसकी जानकारी कॉलेज प्रशासन तक को नहीं है। अस्पताल अधीक्षक डॉ. वीएस पाल ने इस बिल्डिंग का बड़ा हिस्सा पाकीजा चेरिटेबल ट्रस्ट और सुन्नी वेलफेयर कमेटी, सुफलाम सेवा न्यास और संस्था सहयोग को सौंप दिया है।
दान की राशि से बनी बिल्डिंग का हिस्सा निजी हाथों में देने का प्रस्ताव न तो कॉलेज काउंसिल में रखा, न जनरल काउंसिल की बैठक में। जबकि पूर्व में बिल्डिंग के एक हिस्से में एआरटी सेंटर के साथ अलग-अलग विभागों को सौंपने की योजना थी, लेकिन कई सालों तक इस संबंध में फैसला नहीं हो सका था, लेकिन निजी संस्थानों को सौंपने में अधीक्षक ने नियमों को ताक पर रखकर फैसला ले लिया।
यह है नियम : सूत्रों के मुताबिक, राज्य शासन की अनुमति के बिना शासकीय संपत्ति निजी हाथों में नहीं दी जा सकती। इसके लिए प्रमुख सचिव या आयुक्त की सहमति जरूरी है।
सेवा के नाम पर खेल : शासन द्वारा नि:शुल्क जांच और दवा के साथ तमाम इलाज भी नि:शुल्क किया जाता है। अस्पताल में मरीजों को पौष्टिक खाना दिया जाता, जबकि परिजन के लिए लाइंस क्लब द्वारा नाममात्र शुल्क पर भोजनशाला शुरू की गई है। इसके बावजूद डॉ. पाल ने सेवा के नाम पर तीन-तीन संस्थानों को कीमती स्थान दे दिया।
खाली करवाने में आएगी परेशानी : पूर्व में अस्पताल प्रबंधन ने मरीजों को राहत देने के लिए मेडिकल स्टोर खोला था, लेकिन जब कैजुअल्टी और अस्पताल के बीच प्लेटफॉर्म बनाने के लिए दुकान खाली करवाने की कोशिश की गई तो दुकानदार कोर्ट चला गया। साथ ही राजनीतिक दबाव-प्रभाव भी डाला गया। ऐसे में भविष्य में तीनों संस्थानों को दी गई जगह खाली करवाने को लेकर भी अस्पताल प्रबंधन को कई तरह की दिक्कतों का समाना करना पड़ सकता है।
गंभीर मरीजों के लिए ट्रस्ट ने की थी पहल
पूर्व डीन डॉ. डीके तनेजा के कार्यकाल के दौरान अस्पताल में तोड़फोड़ की घटना हुई थी। उस दौरान अस्पताल में ही कैजुअल्टी थी और गंभीर मरीजों को इलाज नहीं मिल पाया। इसे देखते हुए चेरिटीज ने आकस्मिक चिकित्सा केंद्र के निर्माण करवाया था ताकि मरीजों को 24 घंटे इलाज मिल सके।
बैठक में प्रस्ताव रखा था
सेवा कार्यों के लिए कैजुअल्टी का स्थान दिया है। संभागायुक्त को भी इसकी जानकारी है। बैठक में प्रस्ताव भी रखा गया था। वैसे भी अधीक्षक होने के नाते ये निर्णय मेरे अधिकार क्षेत्र में आता है।
- डॉ. वीएस पाल, प्रभारी अधीक्षक, एमवाय अस्पताल
ऐसा प्रस्ताव नहीं आया
निजी संस्थानों को कैजुअल्टी का हिस्सा दिया, इसकी जानकारी मुझे नहीं है। बैठक में इस तरह का कोई प्रस्ताव नहीं था। मैं उनसे पूछकर ही कोई जानकारी दे सकूंगा।
- डॉ. शरद थोरा, डीन, एमजीएम
मेडिकल कॉलेज