विनोद शर्मा इंदौर। कैलोद करताल स्थित ट्रूबा कॉलेज आॅफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में नगर निगम की अनुमति के बिना ही बड़ा अवैध निर्माण किया जा रहा है। अनुमति के नाम पर पंचायत का हवाला दिया जाता है, जिसे भंग हुए तीन साल हो चुके हैं। सोमवार को मौके पर पहुंचे निगम अधिकारियों ने कॉलेज का काम रुकवा दिया। चेतावनी भी दी कि यदि बिना अनुमति के काम हुआ तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
मामला बायपास स्थित न्ग्राम कैलोद करताल की 4.213 हेक्टेयर जमीन (सर्वे नं. 286, 287, 288, 289 और 290) पर 2005-06 से संचालित हो रहे ट्रूबा इंजीनियरिंग कॉलेज का है। सोमवार को निगम अधिकारियों ने औचक निरीक्षण में बिल्डिंग परमिशन के बारे में पूछा तो पता चला कि 2013 से 2 जनवरी 2017 के बीच निगम ने कॉलेज को कोई बिल्डिंग परमिशन नहीं दी। प्रबंधन ने कहा, पंचायत से ली गई अनुमति के आधार पर निर्माण हो रहा है। जवाब संतोषजनक नहीं था, इसीलिए काम रुकवा दिया।
एक साल तक ही वैध रहता है पंचायत का नक्शा
जिस कैलोद करताल पंचायत से ट्रूबा कॉलेज प्रबंधन अनुमति लेने की बात कह रहा है नगर निगम सीमा में गांव के विलय के बाद 2013 से ही उसके अधिकार समाप्त हो चुके हैं। पंचायत राज अधिनियम की धारा-55 के तहत ग्राम पंचायत किसी भी इमारत का नक्शा पास कर सकती है। हालांकि इस स्वीकृति की अवधि सिर्फ एक वर्ष रहती है। यानी जिस साल में मंजूरी ली गई है उसी साल में काम शुरू करना जरूरी है। अन्यथा मंजूरी स्वत: ही निरस्त हो जाती है। चूंकि 2013 में पंचायत के अधिकार समाप्त हो चुके थे लिहाजा यदि मंजूरी दी भी होगी तो 2012 में जो कि 2013 में स्वत: ही रद्द हो गई। क्योंकि बिल्डिंग का काम शुरू हुआ है जुलाई 2016 के बाद।
हो रहा था अवैध निर्माण
जमीन पर रामचंद्र पिता शिवाजीराम एवं अन्य के नाम से 7 जनवरी 2005 को टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट ने 7680 वर्गमीटर प्रस्तावित निर्माण के साथ 17887 वर्गमीटर की अनुमति दी थी। नक्शे के हिसाब से 10207 वर्गमीटर पर कॉलेज बनना था। यह भी स्पष्ट था कि बिल्डिंग की ऊंचाई 10 मीटर (जी+2) से अधिक नहीं होगी। कॉलेज जी+2 ही बना था लेकिन बीते दिनों नए निर्माण के साथ पुरानी बिल्डिंग पर भी एक-एक मंजिल और बढ़ा दी गई।
कॉलेज की मूल बिल्डिंग के ठीक सामने तकरीबन 10 हजार वर्गफीट पर एक बिल्डिंग बन रही है बिना अनुमति के। इसका काम भी ग्राउंड लेवल से ऊपर आ चुका है।
इसी तरह जी+3 होस्टल बिल्डिंग भी बनाई गई है जो भी पूरी तरह अवैध है। इसकी भी अनुमति नहीं है।
टीएनसी भी नहीं हुई
जमीन की आखिरी टीएनसी(81/नग्रानि/एसएसटी/2005/इंदौर) जनवरी 05 में ही हुई थी जो कि 8 जनवरी 2008 तक ही वैध थी। 2008 से 2017 के बीच दूसरा नक्शा या पूर्व स्वीकृत नक्शे के संशोधन के लिए भी आवेदन नहीं किया गया।
बिक चुका कॉलेज
कॉलेज को 2005 में ट्रूबा एजुकेशन सोसायटी के बैनर तले शुरू किया था, जिसके डायरेक्टर डॉ. राजीव आर्या हैं और चेयरमैन सुनील डंडीर। ग्रुप ने बीते वर्ष कॉलेज को सागर इंस्टिट्यूट आॅफ रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी को बेच दिया। इसके सीएमडी संजीव अग्रवाल हैं।