28 Mar 2024, 18:22:34 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

विनोद शर्मा इंदौर। महिला एवं बाल विकास मंत्री अर्चना चिटनीस की इंदौर स्वयंसिद्ध महिला को-आॅपरेटिव बैंक में हुई इनकम टैक्स इन्वेस्टिगेशन विंग की छापामार कार्रवाई में आरबीआई के नियमों की  अनदेखी भी मिली है। बैंक स्टाफ की मिलीभगत से बिना केवायसी और पैनकार्ड के लाखों रुपए का लेनदेन होता रहा। शरद दरक जैसे हुंडी-चिट्ठी कारोबारी की इंट्रियां मिली हैं, वहीं दर्जनभर बिल्डरों और होटल संचालकों के खाते भी शंकास्पद हैं।

बैंक में विंग की कार्रवाई शनिवार सुबह संपन्न हुई। करीब 20 घंटे चली कार्रवाई में 450 नए बचत और सात चालू खाते सामने आए हैं जो 8 नवंबर के बाद खोले गए हैं। 52 दिन में 10.50 करोड़ का लेनदेन मिला है। इसमें करीब तीन करोड़ रुपए का लेनदेन शंकास्पद है। जांच अधिकारियों का पूरा फोकस बैंक का काम देखने वाले राजेंद्र पारिख और दुर्गेश सिंह ठाकुर पर रहा। दोनों के फोन भी जब्त कर लिए गए।

नियम विरुद्ध खुले खाते
आरबीआई के नियम के हिसाब से केवायसी फॉर्म के बिना बैंक अकाउंट नहीं खोले जा सकते। यदि पुराने खाते हैं तो केवायसी अपडेशन भी जरूरी है। बावजूद इसके बैंक में कई खाते बिना केवायसी के मिले हैं। इसमें एक खाता शुभम आॅटोमोबाइल का है। जिसे विंग की कार्रवाई के बाद केवायसी अपडेशन के लिए लेटर लिखा गया है।

नकली नोट का भी खेल
जांच के दौरान बैंक आॅफ इंडिया की तरफ से मिली एक सूचना भी विभाग के हाथ लगी है जिसमें नोटबंदी के बाद बैंक द्वारा जमा कराए गए पुराने नोटों में नकली नोट निकलने की बात कही थी। बैंक आॅफ इंडिया ने कहा था कि हर गड्डी में चार-पांच नोट नकली निकले।

पारिख ने डीडी से किया खेल
राजेंद्र पारिख ने 8 नवंबर से अब तक 35 डीडी बनाई हैं। कुछ दिन पहले एक डीडी बड़ी रकम की बनी है। डीडी के लिए पारिख हमेशा परिवार में 24 दिसंबर को हुई शादी की खरीदी के लिए पैसों की जरूरत का हवाला देते रहे। उन्होंने डीडी से 20 प्रश कमीशन पर पुराने नोट भी बदले हैं।

बुरहानपुर में है बैंक की सहयोगी संस्था
बैंक की सहयोगी संस्था इस्वम के्रडिट सोसायटी बुरहानपुर में है। इसमें सदस्य बनाने की जिम्मेदारी दुर्गेश सिंह, अभिषेक मिश्रा और अरजरे को दी गई है। महीने में कुछ वक्त ये लोग वहां रहते हैं और सदस्य बनाते हैं। दोनों बैंकों के बीच भी हिसाब सेटलमेंट होता है।

500 रुपए रोज जमा होते थे, 5000 होने लगे
जिस बिल्डिंग में बैंक है उसके नीचे एक दुकान है। उसका डेली डिपॉजिट खाता है। जिसमें नोटबंदी से पहले हर दिन 500 रुपए जमा होते थे, लेकिन नोटबंदी के बाद 5000 से लेकर 8000 रुपए तक जमा हुए हैं।

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