रफी मोहम्मद शेख इंदौर। किसी भी कोर्स की परीक्षा के लिए फॉर्म भरना जरूरी होता है, लेकिन देअविवि में आप इसके बगैर भी परीक्षा दे सकते हैं। भले ही आपके पास प्रवेश-पत्र और रोल नंबर भी न हो। बस, किसी अधिकारी से पहचान या प्रभावशाली नेता का समर्थन होना जरूरी है। ऐसे विद्यार्थी सीधे परीक्षा के समय सेंटर पहुंचते हैं और केंद्राध्यक्ष द्वारा उन्हें परीक्षा देने की छूट दी जा रही है। उनसे मात्र एक सादे कागज पर यह लिखवाया जा रहा है कि अगर विवि ने उनका रिजल्ट घोषित नहीं किया तो जवाबदारी उन्हीं की होगी। नियम-कायदों को ताक में रख यह खेल पिछली परीक्षाओं से विद्यार्थीहित के नाम पर चलाया जा रहा है। इससे विवि के साथ परीक्षा सेंटर को भी खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
नियमानुसार किसी भी परीक्षा सेंटर के केंद्राध्यक्ष को यह अधिकार नहीं है कि वो किसी भी ऐसे परीक्षार्थी को परीक्षा में शामिल करे, जिसने परीक्षा के तीन दिन पहले या परीक्षा शुरू होने के पहले तक फॉर्म जमा नहीं किया है। ये फॉर्म आॅनलाइन जमा होते हैं और सेंटर के पास विवि द्वारा एमपी आॅनलाइन के माध्यम से परीक्षा में शामिल होने के एडमिट कार्ड भेजे जाते हैं। इससे ही परीक्षा कराई जाती है। केंद्राध्यक्ष अपनी मर्जी से यह खेल कर रहे हैं, जिसमें अधिकांश प्राइवेट कॉलेज शामिल हैं। आपस में बदले गए ये सेंटर अपनी दोस्ती के नाम पर एक-दूसरे के सेंटर पर बिना फॉर्म वाले परीक्षार्थियों को बैठा रहे हैं।
इनकार करो तो अधिकारी फोन कर बनाते हैं दबाव
किसी कॉलेज द्वारा ऐसे विद्यार्थियों को परीक्षा में बैठाने से इनकार करने पर ये तुरंत अपने प्रभाव के चलते सीधे विवि के आला अधिकारियों से फोन पर दबाव बनवाते हैं। कई मामलों में कर्मचारियों द्वारा पेट-पूजा के बाद ऐसा करने की बात भी विवि के गलियारों में आम है। वहीं छात्र संगठनों के नेता भी इसमें पीछे नहीं हैं। ऐसे में परीक्षा सेंटर को इन्हें मजबूरन बैठाना पड़ता है।
पहला पेपर देने के बाद हो रहे फॉर्म जमा
हद तो यह कि एक पेपर देने के बाद ये विद्यार्थी अपने संबंधों के चलते विवि में जाकर परीक्षा फॉर्म आॅफलाइन जमा कर रहे हैं, जबकि नियम आॅनलाइन का है। परीक्षा फॉर्म भरने की तारीख एक महीना पहले घोषित की जाती है और कम से कम 15 दिन का समय सामान्य फीस के साथ दिया जाता है। इसके बाद तीन से पांच दिन लेट फीस के साथ फॉर्म जमा किया जा सकता है। वहीं परीक्षा के तीन दिन पहले तक कुलपति की विशेष अनुमति और एक हजार रुपए लेट फीस के साथ फॉर्म जमा करने का नियम है। इसके बाद फॉर्म जमा नहीं होता।
पहचान नहीं तो अनुमति भी नहीं
यह भी देखने में आया है कि विवि में परीक्षा के एक दिन पहले विशेष अनुमति लेने वाले कई विद्यार्थियों को इनकार कर दिया जाता है, क्योंकि उनकी न तो कोई पहचान होती है और न ही अधिकारी या कर्मचारी से सेटिंग। सवाल यह है कि फिर नियम बनाया ही क्यों गया। उधर, इससे परीक्षा कराने वाले कर्मचारी और परीक्षा सेंटर अंतिम समय में व्यवस्थाएं करने के कारण परेशान हो रहे हैं।
मैं खुद नजर रखूंगा
अगर ऐसा हो रहा है तो बिलकुल गलत है। ऐसे विद्यार्थियों का रिजल्ट ही नहीं निकाला जाएगा। अधिकारियों से अनुमति लेकर जा रहे हैं तो विद्यार्थीहित में ऐसा हो सकता है। मैं खुद इस पर नजर रखूंगा।
-डॉ. नरेंद्र धाकड़, कुलपति, देअविवि