29 Mar 2024, 11:08:34 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

विनोद शर्मा इंदौर। 20 हजार रुपए देकर कब्जाई 75 लाख की जमीन पर तुलसियाना रेसीडेंसी में जी प्लस की छह मंजिला जो इमारत बनाई जा रही है, उसका टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट से लेआउट मंजूर नहीं है। सात साल पुराने नक्शे को रिनुअल कराए बिना अवैध निर्माण के साथ बिल्डिंग तान दी गई। पूरी होने से पहले ही बिल्डिंग के फ्लैट्स की दो-दो रजिस्ट्रियां सामने आने लगी हैं।

मामला ग्राम निपानिया के सर्वे नं. 163/1/3 और 132/2 की करीब दो एकड़ जमीन पर आकार ले रही तुलसियाना टाउनशिप का है। दोनों खसरों पर सबसे पहले 24 दिसंबर 2004 को आनंदराव पिता गिरधारीलाल के नाम से स्वयं के आवास का टीएनसी लेआउट (एलपी/नग्रानि/ जिका /2002/ 2928) मंजूर हुआ था। इसके बाद 4 जनवरी 2010 को इसी जमीन का ले-आउट (118/एसपी/415/नग्रानि/09) महेंद्र सिंह के नाम से मंजूर हुआ। इस नक्शे के आधार पर टाउनशिप का काम शुरू हुआ। तीन ब्लॉक बने भी। चौथा ब्लॉक जमीन के मालिकाना हक के विवाद के कारण रुक गया। सौदा हुआ अगस्त 2016 में। इसके बाद काम शुरू किया, लेकिन बिल्डर ने जनवरी 2013 में एक्सपायर हो चुके नक्शे को रिनुअल तक नहीं करवाया और बिल्डिंग बनाना शुरू कर दी।

बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण
चूंकि निपानिया गांव 2014-15 में नगर निगम सीमा में शामिल हुआ है और प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो चुका था। 2010 से लिहाजा इस प्रोजेक्ट में तकनीकी निगरानी न होने का फायदा उठाते हुए महेंद्र सिंह और सुनील भाटिया ने मनमाना निर्माण किया। एमओएस कवर किया गया। हैंगिंग कर बिल्डिंग बनाई गई। सार्वजनिक उपयोग की जगह भी जरूरत से कम छोड़ी गई। अब तक बने तीन ब्लॉक को चिपकाकर बनाया गया है।

बैंकों व एमपीएफसी को लगाया चूना

भाटिया की वी वैल्यू होम्स डेवलपर्स ने तीन लोन लिए थे। 6 अक्टूबर 2010 में 1.10 करोड़, 5 नवंबर 2011 को सात करोड़ औक 17 दिसंबर 2012 को पांच लाख का टॉपअप लोन लिया, लेकिन इसे चुकाया नहीं। इनमें बैंकों के साथ मप्र फाइनेंस कॉरपोरेशन भी शामिल है, जिसने कंपनी की प्रोजेक्ट डिटेल, जमीन का टाइटल चेक  किए बिना लोन दे दिया। प्रोजेक्ट का हिस्सा एमपीएफसी में गिरवी है, जिसे सीज करने की चेतावनी देते हुए 2014 में कॉरपोरेशन ने एक करोड़ रुपया जमा करने का दबाव बनाया था। एमपीएफसी के क्लीयरेंस के पहले भाटिया ने फ्लैट बेच दिए थे।

एक फ्लैट दो लोगों को बेचा
क्लीयरेंस न होने का खामियाजा कई बार रहवासियों को चुकाना पड़ता है। इस संबंध में रेसीडेंसी के रहवासी एमपीएफसी भी जा चुके हैं। रहवासियों ने ही बताया था कि कुछ लोगों को ऐसे भी धोखा दिया कि सौदा किसी और फ्लैट का किया, लेकिन बाद में रहने के लिए दूसरा फ्लैट दे दिया। बताया जाता है कि कुछ फ्लैट रहवासियों को भी बेच दिए बाद में वही फ्लैट इंवेस्टर्स को भी बेच दिए गए।

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