मुनीष शर्मा इंदौर। जिला कोर्ट की बिल्डिंग बनने से पहले एक बार फिर उलझती नजर आ रही है। राज्य शासन ने जिला प्रशासन के भरोसे जो जमीन कोर्ट को देने की बात कर ली, उसे कृषि कॉलेज अपनी बता रहा है। कॉलेज ने इस जमीन को नजूल की लिखने पर भी अपत्ति ली है।
मामला रिंग रोड स्थित वर्ल्ड कप चौराहा और मूसाखेड़ी के बीच की खसरा नंबर 260 की जमीन का है। इस खसरे की 56 हेक्टेयर जमीन राज्य शासन ने जिला कोर्ट की बिल्डिंग के लिए प्रस्तावित की थी। इसे लेकर मुख्य सचिव बीपी सिंह के यहां बैठक भी हो चुकी है। अब इसमें कृषि कॉलेज ने पेंच डाल दिया है। कॉलेज प्रबंधन ने इस पर आपत्ति लेते हुए तहसीलदार राजेश सोनी को पत्र लिखा है। साथ में वर्ष 1924-25 से लेकर अब तक के दस्तावेज लगाए हैं, जिसमें उक्त जमीन को होलकर सरकार से कॉलेज को प्राप्त होना बताया है।
यह लिखा पत्र में
कॉलेज प्रबंधन ने पत्र में लिखा, खसरा नंबर 260 की जिस जमीन को आप नजूल की बता रहे हैं, उसमें से रिंगरोड के लिए 8.690 हेक्टेयर जमीन आपने ही आईडीए को दिलवाई थी। जिसका मुआवजा तत्कालीन कलेक्टर ने 13.89 लाख रुपए कॉलेज को दिलवाया था। तो अब इस जमीन को नजूल की कैसे बता रहे हैं?
दरगाह भी कर दी शिफ्ट
जब रिंगरोड बना तो यहां स्थित दरगाह भी खसरा नंबर 260 की जमीन पर शिफ्ट कर दी गई। 1500 स्क्वेयर फीट की इस जमीन का मामला भी छह सालों से कोर्ट में विचाराधीन है। इस मामले में कॉलेज प्रबंधन का कहना था कि कलेक्टर ने हमारी जमीन पर जबरदस्ती दरगाह शिफ्ट करवा दी।
होलकरों की अन्य जमीन पहले लेने का बनेगा दबाव
कृषि कॉलेज उक्त जमीन होलकर स्टेट से मिलने की बात कह रहा है। ऐसे में जिला प्रशासन इस पर कब्जा भी नहीं कर सकता या होलकरों की होने के कारण इसे छीन भी नहीं सकता। इसके लिए भी कॉलेज प्रबंधन कोर्ट जा सकता है, जिसमें वह अपील करेगा कि होलकरों द्वारा अन्य लोगों या संस्थाओं को दी गई जमीन प्रशासन पहले अपने कब्जे में ले।
एकाएक कैसे बदला गया रिकॉर्ड?
कॉलेज प्रबंधन ने प्रशासन द्वारा जारी 2014-15 की खसरा सूची भी तहसीलदार को खत के साथ भेजी है, जिसमें खसरा नंबर 260 का नजूल भूमि में कहीं उल्लेख नहीं है। खसरा फॉर्म पी टू में जुलाई 2015-16 में उक्त जमीन को नजूल की होना बताया जा रहा है, जिसे कॉलेज प्रबंधन षड्यंत्र बता रहा है। उसका कहना है, कोर्ट की बिल्डिंग के लिए जब पीपल्याहाना तालाब की जमीन पर बात बनते नहीं दिखी तो हमारी जमीन पर प्रशासन ने नजरें गढ़ा लीं।
कॉलेज का पत्र मिला है
कृषि कॉलेज का पत्र मिला जरूर है, लेकिन मैं अभी उसे देख नहीं पाया हूं। पत्र देखने के बाद ही कुछ कह पाऊंगा।
- राजेश सोनी, तहसीलदार