कृष्णपाल सिंह इंदौर। शहर की सफाई व्यवस्था में मिलीभगत कर बिना काम किए तनख्वाह लेने वालों पर नगर निगम ने नकेल कस दी है, क्योंकि पहले सेटिंग कर हाजिरी के नाम पर लाखों रुपए हजम कर जाते थे। इसका पता चलते ही सुबह से थंब मशीन से हाजिरी ली जाने लगी है, जिससे कामचोरी करने वाले बौखला उठे। इधर, अफसरों द्वारा नई व्यवस्था लागू करने का असर साफ-सफाई पर दिखने लगा है, क्योंकि थंब मशीनों से हाजिरी लगने से सभी सफाई कर्मचारियों को आना पड़ता है। इतना ही नहीं, इनकी हाजिरी सीधे आॅनलाइन अपडेट भी हो रही है। इससे उनका सेटिंग का खेल भी फेल हो गया।
बताया जा रहा है कि ये व्यवस्था होने से इनकी दूसरी नौकरी पर संकट खड़ा हो गया है। ये लोग पहले दो से तीन घंटे काम करके हॉस्पिटल, बड़ी बिल्डिंग, मकान या शॉपिंग मॉल का काम करते थे।
प्राप्त आंकड़ों की मानें तो निगम में करीब छह हजार सफाईकर्मी है, जिसमें दो हजार मिलीभगत कर से काम कर रहे थे। इनका अतिरिक्त काम उन चार से साढ़े चार हजार सफाईकर्मियों को करना पड़ता था, जिन्हें ये ही नहीं पता था कि वो अपने काम के साथ दूसरे का काम भी कर रहे हैं। जैसे कामचोरी करने वालों का भंडाफोड़ हुआ, तो सफाईकर्मी भी जागरूक होने लगे हंै।
दरोगाओं से मिलती थी शह
निगम के दरोगाओं की शह पर सफाईकर्मी हाजिरी लगाकर रवाना हो जाते थे और हर महीने सीधे खाते में वेतन जमा हो जाता था। इतना ही नहीं, इस शह के बदले में डेढ़ से दो हजार रुपए सिर्फ इस काम के देते हैं। इधर, ऐसी धांधली पर अंकुश लगाने के लिए निगम ने सफाई व्यवस्थाओं में पूरी ताकत झोंक दी। इसके नतीजे भी आने लगे हैं और सालों से बिगड़ा ढर्रा फिर सुधरना शुरू हो गया है।
कागजों में दिखती है संख्या
सूत्रों की मानें तो निगम में मस्टर पर काम करने वालों की संख्या बहुत है, किंतु मैदान स्तर पर संख्या देखने को नहीं मिलती है। कागजों में दिखने वाले मस्टरकर्मी कहां काम कर रहे हैं या नहीं, ये तो स्थापना विभाग के अफसरों को भी पता नहीं है। साथ ही जिन विभागों में मस्टरकर्मी नियुक्ति पर लगे हैें, उन विभागों को तो नाम तक पता नहीं है। यह सब कागजों पर जादूगरी कर गुपचुप तरीके से पगार निकाली जा रही हैं।
यहां होती है सेटिंग
निगम में स्थायी बेलदारों का वेतन 20 से 25 हजार रुपए होता है। ये लोग कम वेतन के कर्मचारी रखकर सफाई करवाते हैं, जबकि नाम इन्हीं का रहता है।
कुछ बेलदार स्वास्थ्य निरीक्षकों से मिलीभगत कर लेते हैं। उन्हें 500 मीटर क्षेत्र की बजाए सफाई के लिए 100 मी. या 50 मी. क्षेत्र ही दिया जाता है।
सफाईकर्मी अपने क्षेत्रों में सफाई करने के साथ ही घरों से कचरा लेने का काम भी करते हैं। इसके एवज में 100 से 300 रुपए तक वसूल लिए जाते हैं।
कुछ दरोगाओं की स्वास्थ्य अफसर व पार्षदों से सेटिंग होती है, जिससे वे बिना काम किए ही तनख्वाह पा रहे हैं। इसमें 10 हजार तक को खेल है।
वार्डों में बेलदार 30 से 40 फीसदी होते हैं। इनमें आधे से ज्यादा हाजिरी देकर बिना काम किए लौट जाते हैं। इसकी सूचना स्वास्थ्य निरीक्षकों को होती है।
कुछ सफाईकर्मी सुबह पांच बजे आते तो थे और साढ़े आठ बजे रवाना हो जाते। एक बेलदार दलेल में नहीं जाने के एवज में एक से डेढ़ हजार रुपए माह तक देता है। इसकी आड़ में ये हॉस्पिटल, मकान, दुकान, बिल्डिंगों, शॉपिंग मॉल सहित अन्य स्थानों का ठेका लेते हैं, जिसकी जानकारी स्वास्थ्य निरीक्षकों को भी होती है।
सेटिंग के तहत किसी वार्ड में 50 बेलदार है, तो 25 सेटिंग कर लेते हंै और काम पर आए बगैर तनख्वाह उठाते हैं।
थंब मशीनों का असर अब दिखने लगा है
निगम को मॉनिटरिंग पर ध्यान देने की जरूरत है। कमिश्नर सिंह अच्छा काम कर रहे हैं, किंतु वो कब तक मॉनिटरिंग करेंगे, इसलिए जिम्मेदार अधिकारियों को नियुक्त करें, जो सुबह से ही भ्रमण शुरू करें। अब थंब मशीनों का असर दिखने लगा है। ये व्यवस्था बेहतर है और नतीजा दिख रहा है। - छोटे यादव, पूर्व नेताप्रतिपक्ष
जो गड़बड़ी करेगा सख्ती से निपटेंगे
सफाई व्यवस्थाओं को लेकर किसी तरह की लापरवाही सहन नहीं की जाएगी। इसमें देशभर में हमारे शहर की रैंकिंग होना है, जिसमें नंबर वन बनाने के प्रयास है। इसमें केंद्र सरकार की गाइड अनुसार ही काम होंगे और जो गड़बड़ी करेगा, उससे सख्ती से निपटा जाएगा। - मनीषसिंह, कमिश्नर, नगर निगम