20 Apr 2024, 22:10:04 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

ललित उपमन्यु इंदौर। बिजली कंपनी को मिला है 55 करोड़ के भुगतान का नोटिस। नोटिस देने वाले एक वकील हैं। आंकड़ा देखकर कंपनी वालों को तगड़ा करंट लगा है। कंपनी के पांच अफसरों की विभागीय जांच शुरू हो गई है। मामला कोर्ट-कचहरी से थाने तक पहुंच गया है। कौन सच्चा, कौन झूठा यह तय करने के लिए कागजों की पड़ताल हो रही है। कंपनी में एम.एस. केले (डायरेक्टर टेक्निकल) जांच को अंजाम दे रहे हैं।

दरअसल म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने कुछ साल पहले डिफाल्टर उपभोक्ताओं से पैसा वसूली के लिए कानूनी नोटिस देने के लिए वकीलों की सहायता ली थी। तब लाखों की संख्या में नोटिस जारी किए थे। इन्हीं नोटिसों की फीस के एवज में एक वकील आशीष जैन ने विभाग को 55 करोड़ के भुगतान का नोटिस दिया है। उनका कहना है उन्होंने विभाग के लिए मेहनत की। लाखों नोटिस जारी किए। प्रति नोटिस 600 रुपए फीस के हिसाब से 55 करोड़ बनता है। उन्हें कंपनी ने बाकायदा इस काम के लिए नियुक्त किया था।

कागजों में उलझा मामला, कौन सच्चा, कौन झूठा तय नहीं
उधर, बड़े अफसरों को जब 55 करोड़ का पता चला तो उन्होंने पन्ने पलटे। देखा गया कि तब कौन थे, जिन्होंने इन वकील की सेवाओं को इतनी भारी-भरकम फीस पर स्वीकार किया था। पांच अफसरों के नाम सामने आए। पांचों को नोटिस देकर पूछा गया कि बताएं कौन सच्चा-कौन झूठा। आप या वकील साहब। बहरहाल, अफसरों ने कहा उन्होंने वकील साहब को नियुक्त ही नहीं किया था। अपनी नियुक्ति के जो दस्तावेज वे लगा रहे हैं वो संदिग्ध हैं। उधर वकील साहब दस्तावेजों की पोटली लेकर दमखम से अड़े हैं कि मुझे न केवल कंपनी ने रखा था बल्कि 600 रुपए प्रति नोटिस की फीस भी मुकर्रर की थी।

कोर्ट पहुंचा मामला

जब 55 करोड़ का आंकड़ा कंपनी के कागजों में उलझने लगा तो वकील जैन निचली कोर्ट में चले गए। उसके जवाब में कंपनी हाई कोर्ट चली गई। वहां से फरमान मिला कि बाहर ही मिल बैठकर मामले को सुलझा लो। कहा जा रहा है कि बात 15 लाख पर तय हुई थी। कंपनी इतना दे दे और कहानी खत्म करे। कंपनी ने अपने अफसरों पर फिर रौद्र रूप दिखाया कि बाहर बैठकर भी क्यों सुलझाएं, यदि मामला संदिग्ध है तो 15 लाख भी क्यों दें। जांच से घिरे अफसर फिर अड़ गए कि हम सच्चे हैं। अपने दावे को पुख्ता करने के लिए उन्होंने बाणगंगा थाने में वकील के खिलाफ शिकायत दर्ज करवा दी कि उन्होंने संदिग्ध दस्तावेजों के जरिए भुगतान का दावा किया है। कृपया कुछ करिए। वहां हालांकि मामला अभी विचाराधीन है और कंपनी की नजर पुलिस की कदमताल पर है। यदि पुलिस जांच में दस्तावेज संदिग्ध पाए गए तो 55 करोड़ और पांचों अफसर बच जाएंगे लेकिन दस्तावेजों में सच्चाई निकली तो....। अफसरों और कंपनी दोनों को झन्नाटेदार करंट लगेगा।

ये हैं जांच के घेरे में
जी.जी. ठोम्बरे, तत्कालीन एक्जीक्यूटिव डायेरेक्टर (अब रिटायर्ड)
गजरा मेहता, इडी इंदौर
गजेंद्र कुमार, डिवीजनल इंजीनियर (उत्तरी क्षेत्र)
बी.के. श्रीवास्तव (उज्जैन में पदस्थ) तब एसई विजिलेंस थे।
ओ.पी. गुप्ता  तत्कालीन एसई विजिलेंस, अब रिटायर्ड।

बोर्ड ने रोका
15 लाख का भुगतान का मामला बोर्ड बैठक में आया था यह सही है, लेकिन संचालक मंडल ने इसे खारिज कर दिया।
- संजय शुक्ला, चेयरमैन

जांच का इंतजार
55 करोड़ का आंकड़ा बड़ा है इसलिए जांच कर रहे हैं। अफसर कह रहे हैं उन्होंने वकील नियुक्त नहीं किया, दस्तावेज फर्जी हैं। उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज करवा दी है, जो परिणाम आएगा, उसी पर आगे कार्रवाई निर्भर है। पांच अफसरों को नोटिस दिए हैं। वर्तमान अफसरों की जांच शुरू कर दी है।
- आकाश त्रिपाठी, सीएमडी, पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी

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