कपिल राठौर इंदौर। डीआईजी आॅफिस में पदस्थ दो बाबुओं ने एक ही विभाग में अपनी नौकरी की सिल्वर जुबली मना ली। इस दौरान कई साहब आकर चले गए, लेकिन वे इन दोनों को अपनी कुर्सी से नहीं हिला पाए। दोनों की जानकारी अब नवागत डीआईजी को मिली है। इसके बाद इन पर गाज गिरने की संभावना है।
पुलिस मुख्यालय के सीनियर बाबू कमलसिंह चौहान और जूनियर सतीश विश्वकर्मा ने स्थापना शाखा में ही करीब 25 साल गुजार दिए। विभाग में दोनों की कई सालों से एक तरफा मनमानी चल रही है। इसे लेकर पुलिस विभाग के बड़े अधिकारी से लेकर निचले स्तर का सिपाही भी उनसे घबराता है।
आठ जिले या किसी भी एसपी आॅफिस में हो जाना था ट्रांसफर
पुलिस मुख्यालय के अधिकारियों की मानें तो दोनों बाबू एडीजी और डीआईजी के अधीन आते हैं। अगर वरिष्ठ अधिकारी चाहते तो उनका ट्रांसफर एडीजी के अधीन आने वाले आठ जिलों के एसपी आॅफिस में हो जाता। वहीं पूर्व या पश्चिम के एसपी मुख्यालय में भी इन्हें भेजा जा सकता था, लेकिन साहबों तक पहुंच के चलते दोनों ने कभी अपनी सीट नहीं
हिलने दी।
पूर्व डीआईजी ने हटाया
पूर्व डीआईजी संतोषकुमार सिंह ने जूनियर बाबू विश्वकर्मा को स्थापना शाखा से हटा दिया था। सूत्रों के मुताबिक, विश्वकर्मा ने छह सीएसपी आॅफिसों से सांठगांठ कर वहां सालों से जमे पुलिसकर्मियों की झूठी जानकारी ऊपर तक पहुंचा दी थी। जब इसका पता डीआईजी संतोष सिंह को लगा था तो उन्होंने विश्वकर्मा को स्थापना शाखा से हटाकर ऊपर बने फंड विभाग में भेज दिया था। लेकिन उनका पूरा कामकाज बड़े बाबू चौहान के नेतृत्व में ही चलता है। सूत्रों के मुताबिक, चौहान अपनी जिम्मेदारी विश्वकर्मा को सौंपना चाहते हैं।
शिकायत के बाद कार्रवाई
दोनों बाबुओं के बारे में जानकारी नहीं है। अगर शिकायत मिलेगी तो कार्रवाई करेंगे। - हरिनारायणचारी मिश्रा, डीआईजी