रफी मोहम्मद शेख इंदौर। टैक्स वाले डिपार्टमेंट के बाद अब प्रोविडेंट फंड आॅर्गेनाइजेशन भी जल्दी ही अधिक से अधिक कर्मचारियों को पीएफ सदस्य बनाने के लिए अभियान चलाएगा। प्रदेश के लिए चार लाख और देशभर में एक करोड़ नए सदस्यों को पीएफ से जोड़ने का टारगेट रखा गया है। खास बात यह है कि इसके लिए मात्र तीन महीने का समय दिया है। वर्तमान में जीवित करीब पांच करोड़ अकाउंट्स का यह 20 प्रतिशत है, जो औसत रूप में चार साल में बनते हैं। इसके लिए कंस्ट्रक्शन और कांट्रेक्ट इंडस्ट्री को मुख्य रूप से रडार पर रखा जाएगा।
एक करोड़ अकाउंट एक साथ खोलना किसी चुनौती से कम नहीं
पीएफ के अधिकारियों की उच्चस्तरीय बैठक में यह टारगेट निश्चित किया है। टारगेट को देशभर के अलग-अलग क्षेत्रों में बांटा जाएगा। बड़ी बात यह है कि वर्तमान में पीएफओ के पास करीब नौ करोड़ खाते हैं, जिसमें से चार करोड़ अभी चालू नहीं है। बचे हुए अकाउंट पिछले 40 साल में शुरू हुए हैं। इस प्रकार एक करोड़ अकाउंट एक साथ खोलना किसी चुनौती से कमी नहीं है, क्योंकि औसतन सालभर में 20 से 25 लाख नए अकाउंट खोले जाते हैं, जबकि नए अकाउंट के लिए 1 जनवरी से लेकर 31 मार्च तक का ही समय दिया है। इस लिहाज से यह टारगेट करीब चार गुना नहीं, बल्कि करीब सोलह गुना है।
दो इंडस्ट्री पर टारगेट
इस टारगेट को पूरा करने के लिए मुख्य रूप से दो इंडस्ट्री पर नजर रहेगी। इसमें कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री सबसे पहले रखी गई है। पीएफओ का मानना है कि इस इंडस्ट्री में काम करने वाले लाखों श्रमिक ऐसे हैं, जिन्हें पीएफ का लाभ नहीं दिया जा रहा है। इस कारण इन्हें टारगेट पर रख लक्ष्य को आसानी से पूरा किया जा सकता है, वहीं दूसरी कांट्रेक्ट इंडस्ट्री पर नजर रहेगी। वर्तमान में न केवल सरकारी, बल्कि प्राइवेट इंडस्ट्री, आॅफिस आदि अधिकांश काम कांट्रेक्ट पर करवाते हैं और जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेते हैं, जबकि इनके यहां काम करने वाले प्रत्येक कर्मचारी का प्रॉविडेंट फंड कटना जरूरी है।
प्रदेश में चार लाख से ज्यादा
इस टारगेट को जब अलग-अलग रीजन में बांटा जाएगा, तो मप्र में वर्तमान में 40 लाख से ज्यादा पीएफ सदस्यों के खाते हैं, जिसमें से 25 लाख चालू है। इस हिसाब से पूरे प्रदेश में करीब चार लाख नए खाते खोलना पड़ेंगे। इसका पूरा भार इंदौर, जबलपुर और भोपाल पर आएगा, जिससे इन्हें अतिरिक्त प्रयास करना होंगे। ग्वालियर, सागर, उज्जैन जैसे रीजन में कम सदस्य हैं और वहां पर नए सदस्यों की संभावना भी कम ही है। इस अभियान को पूरा करने में एक बार फिर कंस्ट्रक्शन और कांट्रेक्ट इंडस्ट्री के खिलाफ बड़ा अभियान चलाना पड़ेगा।
हरसंभव कोशिश करेंगे
जैसे ही हमें विभाग के निर्देश मिलेंगे, हम हरसंभव कोशिश करेंगे कि अधिक से अधिक नए सदस्यों को पीएफ से जोड़ा जा सके। हमने पहले से ही कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री के श्रमिकों को सदस्य के रूप में जोड़ने की लगातार कोशिश की है।
- अजय मेहरा, रीजनल कमिश्नर, पीएफ आॅर्गेनाइजेशन मप्र