मुकेश मुवाल इंदौर। सख्त कानून व्यवस्था के कारण शहरी क्षेत्र में अपहरण के मामलों में कमी आई, वहीं देहात क्षेत्र अब भी असुरक्षित है। वर्ष 2016 में नवंबर माह तक के आंकड़े बयां करते हैं कि इस बार देहात क्षेत्र में अपहरण के मामले बढ़े हैं। इसका खास कारण ये भी है कि अपहर्ताओं ने सीमावर्ती क्षेत्रों का चयन किया। हालांकि शहर के जो थाने अपहरण के मामलों में बीते सालों में बदनाम रहे, वहां आंकड़े कम हैं, पर जिनमें कम थे, वहां आंकड़ा बढ़ गया है।
वर्ष 2016 में अपहरण का आंकड़ा पूर्वी क्षेत्र में 203 रहा, जो 2014 में 238 व 2015 में 246 था। पश्चिम क्षेत्र में ये 160 है, जो 2015 में 177 और 2014 में 160 था। देहात क्षेत्र में ये 2016 में 76 है, लेकिन 2014 में 54 और 2015 में 67 था। स्पष्ट है कि देहात क्षेत्र में अपहरण के मामले बढ़े हैं।
मासूम बच्ची को नहीं ढूंढ पाई पुलिस
एमवाय अस्पताल से 25 फरवरी और 3 अपै्रल को हुए बच्चा चोरी के दो सनसनीखेज मामलों में संयोगितागंज पुलिस ने आरोपियों को पकड़ा था। वहीं खजराना से बच्चा चुराकर ले गई महिला खुद उसे छोड़ गई थी। दोनों ही मामलों में अफसरों ने खुले मन से थाना पुलिस की पीठ थपथपाई थी। हालांकि हाल ही में खजराना के धीरज नगर से ही लापता चार वर्षीय बच्ची अर्चना का पुलिस पता नहीं लगा सकी है। परिजन ने एक महिला पर शक जताया है।
मर्जी से गर्इं नाबालिग
जांचकर्ता पुलिसकर्मियों का कहना है कि अपहरण के 90 प्रतिशत मामलों में लड़की नाबालिग हैं, जो मर्जी से किसी युवक के साथ गई हैं। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के हिसाब से मामले में अपहरण का केस दर्ज किया है। करीब 40 प्रतिशत मामलों में तो ये किशोरियां बरामद भी हो गर्इं और आरोपी भी पकड़े गए हैं।