कृष्णपाल सिंह इंदौर। 70 किमी दूर जलूद से इंदौर शहर को पानी सप्लाय किया जाता है, लेकिन यहां बिजली की जर्जर लाइन पर लोड बढ़ने से फॉल्ट हो जाते हैं, जो पानी के रास्ते में बाधक है। जलूद पर 24 घंटे फर्स्ट, सेकंड और थर्ड फेज के पंप चलते हंै, जिससे शहर में नर्मदा के पानी की पूर्ति हो रही है। नर्मदा लाइन और बिजली की लाइन दशकों पुरानी है, ऐसे में पंपों पर लोड बढ़ने पर बिजली लाइन में फॉल्ट आ जाता है, बल्कि नर्मदा लाइन में फूट जाती है।
इसके बाद भी दोनों लाइन का कोई स्थायी हल नहीं निकाला गया। हालांकि आए दिन होने वाली समस्या को देखते हुए निगम ने 300 किमी की जर्जर लाइन बदलने का काम शुरू कर दिया है, लेकिन बिजली के तार बदलने की कोई पहल नहीं की गई। आंकड़ों की मानें तो अगस्त 2016 से दिसंबर 2016 तक 20 से ज्यादा बार बिजली के फॉल्ट हुए। इसमें कभी तार टूटे, तो कभी जंपर उड़ गए। मतलब, चार माह में 1330 से ज्यादा क्षेत्रों में पानी का संकट रहा।
ये होती है परेशानी
24 घंटे चलने वाले पंप लाइन में फॉल्ट होते ही बंद हो जाते हैं, जिसे दुरुस्त करके दोबारा शुरू करने में करीब दो से पांच घंटे लग जाते हैं। तब जाकर पानी सप्लाय हो पाता है। इतना ही नहीं, दोबारा पंप चालू होने के बाद प्रेशर बनाने में कम से कम तीन से चार घंटे लगते है। उधर, निगम जलूद में चल रहे पंपों का बिजली बिल सालाना 120 से 130 करोड़ के आस-पास चुका रहा है।
एक पंप बंद होने पर भी दिखता है असर
नर्मदा फर्स्ट, सेकंड और थर्ड फेज के पंप चल रहे हैं। इन पंपों में बिजली या फिर अन्य कारणों से एक पंप भी खराब होता है, तो उसका असर सीधे टंकियों पर दिखाई देता है, क्योंकि पंप बंद होने से प्रेशर नहीं बन पाता है, जिसके सही तरीके टंकियों तक पानी नहीं पहुंच पाता है और पानी की किल्लत खड़ी हो जाती है।
लाइनों में होने वाले फॉल्ट का भी पता करेंगे
180 एमएलडी पानी बढ़ाने के लिए दो पंप लगाने जा रहे हैं। इसके लिए टेंडर भी जारी कर दिया है। जलूद में प्रभारी बलराम वर्मा के साथ दौरा किया था और व्यवस्थाएं देखी थी, ताकि इंदौर को और अधिक पानी मिले। अब बिजली की लाइनों में बार-बार हो रहे फॉल्ट का भी पता करेंगे। इसका असर इंदौर के पानी सप्लाय पर पड़ता है। इस संबंध में अधिकारियों के साथ बैठक कर रणनीति तैयार करेंगे।
- मालिनी गौड़, महापौर