कृष्णपाल सिंह इंदौर। नगर निगम सालों बाद एक बार फिर मैरिज गार्डन से राशि वसूलेगा। इसके लिए गार्डन की कुंडली तैयार की जाएगी। इसके आधार पर निगम द्वारा पंजीयन एवं अनुमति शुल्क के रूप में 3500 से 15000 रुपए तक सालाना राशि वसूल की जाएगी। इसी आधार पर निगम गार्डन को लाइसेंस जारी करेगा।
हालांकि टैक्स की राशि निगम द्वारा नप्ती कर वसूली जाती है, इसीलिए उसे इसमें शामिल नहीं किया गया है, वहीं, मैरिज गार्डन अब तक लाइसेंस से छूट पा रहे थे वो हजारों रुपए डकार गए हैं। मतलब, पांच हजार रुपए सालाना राशि वसूल की जाती थी, जो सालों से अदा नहीं की गई या मैरिज गार्डन वाले दबा गए, इसीलिए निगम को अब सख्ती से नई राशि के साथ ही पुरानी राशि की भी वसूली करनी चाहिए। इसके अलावा मैरिज गार्डन में यदि पांच वर्ष तक नवीनीकरण के लिए निर्धारित समयावधि में शुल्क जमा करवाते हंै, तो उसे पर्याप्त मानकर नवीनीकरण की आवश्यकता नहीं होगी।
नहीं बन रहा था लाइसेंस
शहर में करीब 250 से मैरिज गार्डन के लाइसेंस निगम में सालों से नहीं बन रहे थे। इस कारण निगम को लाखों रुपए का चुना लगा रहा था। अब नई व्यवस्था के लागू होने से निगम को फायदा होगा। इसमें परिषद के प्रस्ताव की कॉपी के आधार पर शुल्क वसूली का काम तेजी से शुरू हो जाएगा। उधर, लाइसेंस को लेकर निगम में अब तक चार करोड़ रुपए जमा हो चुके हैं। ये राशि अब तक की सबसे ज्यादा है। इसमें 38 हजार से ज्यादा लाइसेंस बन गए हैं। अब मैरिज गार्डन के लाइसेंस बनने से राशि के ग्राफ में इजाफा होगा। इसमें गार्डन की सभी दरों में प्रत्येक पांच वर्ष बाद शुल्क वृद्धि करने का अधिकार होगा।
अग्निशमन का अनापत्ति प्रमाण पत्र शुल्क
1500 व.मी. तक के विवाह स्थल - 2000
1500 से 5000 व.मी. तक के लिए - 4000
5000 से अधिक व.मी. के लिए - 6000
ये भी देना होगा...
> विवाह स्थल पंजीयन शुल्क।
> विवाह स्थल पर उपयभोग अनुमति शुल्क।
> नगरीय निकाय को देय कोई भी शुल्क कर अतिरिक्त होगा।
अब ये होगा
> भूमि भवन स्वामित्व की जांच ।
> 30 दिन की समय सीमा है आवेदन को स्वीकृत व अस्वीकृत करने की।
> मैरिज गार्डन अस्वीकृति के बाद अपील भी कर सकेंगे।
...और निगम खजाने में होगा इजाफा
न्यायालय के आदेश पर मैरिज गार्डन से शुल्क वसूला जाएगा। इसमें अलग-अलग वर्ग फीट के आधार पर लाइसेंस की राशि वसूल की जाएगी। इससे निगम खजाने में इजाफा हो सकेगा। इसके अलावा मैरिज गार्डन जो भी दस्तावेज देंगे उसकी पड़ताल टैक्स के दौरान भी कर सकेंगे, ताकि कहीं पर गड़बड़ी हो, तो सख्ती से कार्रवाई की जाए। फिलहाल मामले को परिषद में रखा जाएगा।
-देवेंद्रसिंह, अपर आयुक्त,