अनूप सोनी इंदौर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही जनधन खातों में जमा कालेधन को गरीबों का ही करने के लिए भले ही लाख दिमाग लगा रहे हों, लेकिन उससे पहले जमाकर्ताओं ने अपना दिमाग लगा लिया है। पैसा निकालने के लिए वे चेक और आॅनलाइन ट्रांजेक्शन का सहारा ले रहे हैं। इसमें बैंकों की भी मिलीभगत है, जो आरबीआई की रोक के बावजूद पैसा रिलीज कर रही हैं।
नोटबंदी के बाद अब तक जीरो बैलेंस वाले जनधन खातों में करोड़ों रुपए जमा हो चुके हैं। इनमें इंदौर के भी करीब 95 हजार खाते शामिल हैं। अचानक आई इस राशि पर सरकार की भी नजर थी, यही कारण है कि सरकार ने कुछ दिन पहले इन खातों से राशि निकालने की सीमा एक महीने में 10 हजार रुपए तय कर दी थी।
खुद को ऐसे बचा रहे खाताधारक
दूसरों का कालाधन अपने खातों में जमा करने के बाद कार्रवाई के डर से कुछ दिनों के दौरान कई लोगों ने अपने जनधन खाते में जमा राशि चेक के माध्यम से अन्य खातों में ट्रांसफर की है। यही नहीं उन्होंने आॅनलाइन पेमेंट भी किया। ये सब ट्रांसफर तय सीमा से कई गुना ज्यादा किए गए हैं।
बैंक अधिकारी भी बेबस
इधर, कुछ बैंक मैनेजरों का कहना है कि इस संबंध में स्थिति स्पष्ट नहीं है। सरकार ने राशि निकालने की सीमा तो तय की है, लेकिन चेक और आॅनलाइन ट्रांजेक्शन पर किसी तरह की कोई रोक नहीं लगाई है तो ऐसे में हम किसी का पेमेंट नहीं रोक सकते।
ऐसे तो निकल जाएगी सारी राशि
सरकार ने कालाधन रोकने के लिए नोटबंदी की, लेकिन लोगों ने गरीबों को बहला-फुसलाकर जनधन खातों में करोड़ों रुपए जमा करवा दिए। इन खातों से रुपए निकालने की सीमा तय होने के बाद अब वे चेक और आॅनलाइन ट्रांजेक्शन से पूरी राशि निकाल लेंगे। ऐसे में सरकार की कोशिश बेकार जाएगी।
नहीं निकाल सकते
सरकार ने जनधन खातों में विड्रॉल की जो लिमिट तय की है, उसमें चेक और आॅनलाइन ट्रांजेक्शन भी शामिल हैं।
- मुकेश भट्ट, लीड बैंक अधिकारी, बैंक आॅफ इंडिया, इंदौर