विनोद शर्मा इंदौर। टॉवर चौराहे पर फुटपाथ घेरकर भाजपा नेता रमेश गोधवानी ने जो टाइम्स स्क्वेअर बनाया है, उसमें तीन हजार वर्गफीट से ज्यादा अवैध निर्माण है। हाईकोर्ट के आदेश पर इसे हटाने के लिए नगर निगम ने नोटिस तो दिया लेकिन हटाने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। उलटा, निगम के अधिकारी ने शिकायतकर्ताओं को डपट दिया।
टॉवर चौराहा स्थित सिद्धि विनायक कंस्ट्रक्शन डेवलपर्स तर्फे विनीत पिता विजय गोस्वामी के प्लॉट नं. 1 पर गोधवानी व भागीदारों ने मनमाने ढंग से टाइम्स स्क्वेअर बिल्डिंग तान दी। इसका खुलासा ‘दबंग दुनिया’ ने 3 अक्टूबर को ‘फुटपाथ पर आ गया टॉवर चौराहे का टाइम्स’ शीर्षक से किया था। ‘बंदी’ के कारण पूरी बिल्डिंग बनने तक बगले झांकते आया निगम खुलासे से हरकत में आया और जांच की। पता चला 538.86 वर्गमीटर की मंजूरी के विपरीत 824.98 वर्गफीट अवैध निर्माण किया है। अंतर सीधे 286.10 वर्गमीटर का।
ऐसे हुआ अवैध निर्माण (वर्गमीटर में)
फ्लोर मंजूर निर्माण अंतर
ग्राउंड फ्लोर 121.08 192.46 77.38
मेजनाइन फ्लोर 62.90 192.46 129.56
फर्स्ट फ्लोर 177.45 220.46 42.58
सेकंड फ्लोर 177.45 220.03 42.58
कुल 538.86 824.98 286.10
मार्जिनल ओपन स्पेस (एमओएस) हजम
फ्लोर मंजूर निर्माण अंतर
फ्रंट 4.65 4.42 0.23
बेक 2.50 --- 2.50
एक तरफ 3.36 1.72 0.64
दूसरी तरफ 2.0 --- 2.00
(आंकड़े मीटर में)
- भवन में बेसमेंट का रेम्प छोड़कर लगभग 214.8 वर्गफीट निर्माण स्वीकृति से ज्यादा हुआ।
- भवन की प्लिंथ ग्राउंड लेवल से 0.70 मीटर नीचे है जो गलत है।
पुरानी बिल्डिंग तोड़कर बनाया था टाइम्स
यहां 4000 वर्गफीट पर एक बिल्डिंग थी जिसे दिसंबर 2013 में तोड़ दिया गया। 500 वर्गफीट की दो दुकानें (एसएफडब्ल्यू, सतनाम फायर वर्क्स और दूसरे में यूको बैंक का एटीएम है) चूंकि 20 साल पहले बेची जा चुकी थी इसीलिए उन्हें छोड़कर 3500 वर्गफीट प्लॉट पर इन दुकानें की छत को जोड़ते हुए भाजपा नेता रमेश गोधवानी ने जी+2 मार्केट तान दिया। नाम दिया टाइम्स स्क्वेअर। नीचे ड्रेस मटेरियल की दुकानें खुल गई तो ऊपर का हिस्सा अर्जून आईएएस अकादमी और एक डॉक्टर को दे दिया गया।
टॉवर चौराहे पर तान रखी है बिल्डिंग
तीन करोड़ का खेल
बिल्डिंग में 3072.71 वर्गफीट निर्माण अवैध रूप से हुआ है। चूंकि मामला मूल टॉवर चौराहे का है, जहां जमीन का मार्केट दाम 10 हजार वर्गफीट से अधिक है। इस लिहाज से गोधवानी एंड टीम के मनमाने निर्माण की बाजार कीमत ही 3.07 करोड़ रुपए है।
हाईकोर्ट पर भारी निगम का सपोर्ट
> बिल्डिंग को लेकर मामला हाईकोर्ट तक भी पहुंचा है। 30 सितंबर 2015 को हाईकोर्ट ने निगम को संयुक्त निरीक्षण कर बिल्डिंग जांचने और अवैध निर्माण पर रिमूवल के आदेश दिए थे। इसके विपरीत निगम ने सिर्फ संयुक्त निरीक्षण कर मौका व पंचनामा रिपोर्ट ही बनाई।
> 30 सितंबर को जारी हाईकोर्ट के आदेश पर निगम को स्वीकृति के विपरीत हुए निर्माण को जांचने में ही सालभर लग गया। इसका खुलासा 8 सितंबर 2016 को निगम के जोन-18 के भवन अधिकारी द्वारा सिद्धि विनायक कंस्ट्रक्शन डेवलपर्स को जारी नोटिस में हुआ। इसमें स्वीकृति और निर्मित निर्माण की समीक्षा कर 286 वर्गमीटर का अंतर निकाला गया।
> हाईकोर्ट ने 1 सितंबर 2015 को आदेश दिया था, अवैध निर्माण को बिल्डर स्वयं हटा ले, अन्यथा निगम आवश्यकता अनुसार कार्रवाई करे। दोनों ही सूरतों में कार्रवाई नहीं हुई।