रफी मोहम्मद शेख इंदौर। प्रदेश के सामान्य और प्रोफेशनल कॉलेजों में पढ़ने वाले अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग के विद्यार्थी एक बार फिर विभाग की नीति के कारण परेशान हो रहे हैं। इन विद्यार्थियों को अब इनकम का सेल्फ डिक्लेरेशन भरने को कहा जा रहा है, जबकि इनके पास सक्षम अधिकारी से बने हुए सर्टिफिकेट हैं। इससे पूरे नियम-कानून से बने इन सर्टिफिकेट की मान्यता ही नहीं रह गई है।
बीए, बीकॉम, बीएससी से लेकर इंजीनियरिंग-मैनेजमेंट के कोर्स चलाने वाले कॉलेजों में भी आरक्षित वर्ग के विद्यार्थियों से स्कॉलरशिप के फॉर्म जमा करवाएं जा रहे हैं। इन फॉर्म के साथ माता-पिता की कुल इनकम का सर्टिफिकेट भी अनिवार्य रूप से जमा करना है।
अभी तक यही था मान्य
अभी तक डिपार्टमेंट तहसीलदार कार्यालय या सक्षम अधिकारी द्वारा जारी इनकम सर्टिफिकेट ही मान्य करता था, लेकिन इस बार विद्यार्थियों से यह सर्टिफिकेट नहीं लेकर इनकम का सेल्फ डिक्लेरेशन सर्टिफिकेट मांगा जा रहा है। जिन विद्यार्थियों ने पहले सक्षम अधिकारी के सर्टिफिकेट जमा किए थे, उन्हें अमान्य कर दिया गया है। डिपार्टमेंट के आदेश के अनुसार कॉलेज के कर्मचारी विद्यार्थियों से नया सर्टिफिकेट देने के बाद ही फॉर्म जमा कर रहे हैं।
पूरे नियम-कानून के साथ
तहसीलदार कार्यालय द्वारा पूरे नियम-कानून के बाद ही सर्टिफिकेट जारी किया जाता है, जिसमें माता-पिता के कार्यालय द्वारा जारी वेतन प्रमाण-पत्र का सत्यापन जरूरी होता है। व्यापारी, कृषक या अन्य से जरूरी प्रमाण मांगे जाते हैं। इसके बाद इनका वेरिफिकेशन भी होता है। वर्तमान नीति के अनुसार पूरी प्रक्रिया से बने प्रमाण-पत्र की कोई महत्ता नहीं रह गई है और बिना कोई सबूत के दिया गया प्रमाण-पत्र मान्य हो रहा है।
इसलिए बनाया था नियम
डिपार्टमेंट का आदेश सरकार के सेल्फ डिक्लेरेशन वाले जाति और आय सर्टिफिकेट की नीति के बाद लागू हुआ है। जबकि वास्तव में इसके पीछे ऐसे विद्यार्थियों को तत्कालिक लाभ देना था, जिनके पास ऐसे सर्टिफिकेट तैयार नहीं होते हैं और वह प्रक्रिया में होते हैं। इनकी स्कॉलरशिप नहीं रुके इसलिए सेल्फ डिक्लेरेशन वाला नियम लाया गया था। बाद में जारी सर्टिफिकेट इन्हें जमा करना होता है।
फर्जीवाड़े
की आशंका
नई प्रक्रिया से स्कॉलरशिप में फर्जीवाड़े की आशंका फिर बढ़ गई है। स्कॉलरशिप अलग-अलग वर्ग में निश्चित आय वाले विद्यार्थियों को प्रदान की जाती है। इससे ज्यादा आय वाले छात्रवृत्ति के पात्र नहीं होते हैं। अधिकांश नौकरीपेशा वेतन प्रमाण-पत्र जैसी प्रक्रिया और सरकारी वेरिफिकेशन के चलते वास्तविक आय बताते हैं। इस कारण वो कैटेगरी में आने के बावजूद स्कॉलरशिप नहीं पा पाते हैं। अब खुद दिए गए सर्टिफिकेट से उनकी राह आसान हो गई है।
उसे अमान्य कर दिया
हमने तहसीलदार कार्यालय द्वारा जारी किया गया सर्टिफिकेट जमा करवाया तो उसे अमान्य कर दिया गया। अब हमसे सेल्फ डिक्लेरेशन वाला सर्टिफिकेट भरवाया गया है, जबकि वो पूरी प्रक्रिया से बना है।
- राजेश यादव, विद्यार्थी
सरकार का आदेश है..
मुख्यमंत्री की सेल्फ डिक्लरेशन प्रमाण-पत्र की घोषणा के बाद ही सरकार का आदेश है इसलिए ऐसा कर रहे है। पिछड़ा वर्ग के विद्यार्थियों के लिए यह जरूरी किया गया है।
- वेदप्रकाश श्रीमाली, सहायक संचालक, अल्पसंख्यक व पिछड़ा वर्ग