29 Mar 2024, 03:36:37 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

विनोद शर्मा इंदौर। स्कीम-54 मैकेनिकनगर स्थित दो प्लॉट के नामांतरण को लेकर लगी मानहानि याचिका का निराकरण कर हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने इंदौर विकास प्राधिकरण को जमकर लताड़ा। जस्टिस पीके जायसवाल की सिंगल बेंच ने दो टूक शब्दों में कहा कि प्राधिकरण की माफी नाकाफी है। हाई कोर्ट की सिंगल और डबल बेंच द्वारा दिए गए आदेश का पालन करते हुए प्राधिकरण को शपथ-पत्र के साथ अनुपालन रिपोर्ट कोर्ट के सामने प्रस्तुत करना होगी। अन्यथा प्राधिकरण के खिलाफ कोर्ट कार्रवाई करेगा।

खारिज कर दिया था आवेदन
जिस कंटेम्ट केस (412/2015) की सुनवाई में कोर्ट ने प्राधिकरण को फटकारा है, वह 2015 में एससीएस बिल्डर्स एंड डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दायर किया गया था। 21 नवंबर 2016 को जारी आदेश में कोर्ट ने कहा कि सिर्फ माफी प्राधिकरण के लिए मामले से बचने का हथियार साबित नहीं हो सकता। सिंगल और डिविजन बेंच के आदेश का पालन कर प्राधिकरण को आदेश जारी होने से 30 दिन में शपथ-पत्र के साथ अनुपालन रिपोर्ट प्रिंसिपल रजिस्ट्रार के सामने प्रस्तुत करना होगी। एससीएस ने 4 नवंबर 2008 को एमपी रियल एस्टेट एंड डेवलपर्स की डायरेक्टर सुनंदा गुप्ता और वंदना गुप्ता से दोनों प्लॉट खरीदे थे। रजिस्ट्री के बाद एससीएस बिल्डर्स ने दोनों प्लॉटों के नामांतरण के लिए 9 जनवरी 2009 को प्राधिकरण में आवेदन किया। प्राधिकरण ने नामांतरण नहीं किया, उल्टा आवेदन खारिज कर दिया। इस फैसले को कंपनी ने हाई कोर्ट में चुनौती (डब्ल्यूपी 2195/2012) दी। कंपनी की पैरवी वरिष्ठ अभिभाषक एके सेठी ने की। 
 
प्राधिकरण ने कहा कोर्ट में है मामला
मामले में प्राधिकरण ने अपना पक्ष रखते हुए कोर्ट को ईओडब्ल्यू द्वारा एमपी रियल एस्टेट एंड डेवलपर्स और प्राधिकरण पदाधिकारियों के खिलाफ धारा 420, 467, 468, 471, 120बी और पीसीए की धारा 13(1) (डी) और 13 (2) के तहत दर्ज प्रकरण (11/2008) की जानकारी दी। साथ ही कहा कि प्लॉट और लीज संबंधित सभी दस्तावेज ईओडब्ल्यू 25 मार्च और 26 अगस्त 2008 को जब्त कर चुका है। 
 
कोर्ट ने कहा- डुप्लीकेट कागज तैयार करें
10 सितंबर 2013 को कोर्ट ने कहा कि इसमें प्लॉट खरीदार का क्या कसूर है। प्राधिकरण डुप्लीकेट दस्तावेज तैयार कर कंपनी द्वारा लगाए गए नामांतरण आवेदन का दो महीने में निराकरण करे। 
 
डिविजन बेंच में भी हारा प्राधिकरण
आईडीए ने 2014 में कोर्ट के इस फैसले को हाई कोर्ट की डिविजन बेंच में चुनौती (डब्ल्यूए-316/2014) दी। 10 नवंबर 2014 को कोर्ट ने प्राधिकरण की अपील खारिज करते हुए सिंगल बेंच के आदेश को यथावत रखा। यह भी कहा कि प्राधिकरण के पास यदि दस्तावेज नहीं है तो ईओडब्ल्यू में अप्लाय कर जब्त दस्तावेजों की सर्टिफाई कॉपी मांगें और नामांतरण करें। 
 
लगाना पड़ी अवमानना याचिका 
कंपनी ने 3 मई 2015 को नोटिस जारी किया और सिंगल व डिविजन बेंच से हुए आदेश के आधार पर नामांतरण करने की अपील की। यदि नामांतरण नहीं हुआ तो इसे कोर्ट की अवमानना माना जाएगा। कंपनी प्राधिकरण के खिलाफ अवमानना याचिका भी दायर कर सकती है। बावजूद इसके प्राधिकरण की अड़बाजी जारी रही। इसीलिए 14 जुलाई 2015 को कंपनी ने अवमानना याचिका दायर कर दी। 
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