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दिल्ली के बदनाम ‘देशभक्त’ के नाम पर कर रहे थे वसूली

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Nov 26 2016 10:16AM | Updated Date: Nov 26 2016 10:16AM
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विनोद शर्मा इंदौर। कैंसर और एड्स के नाम पर चंदा वसूली करती रही इंदौरी चंदा गैंग के संबंध मई 2015 में पुलिस एनकाउंटर में मारे गए मनोज वशिष्ठ के एनजीओ देशभक्त सेना ट्रस्ट से भी हैं। मनोज के एनकाउंटर के सालभर बाद संदीप चौधरी और उसके कथित भाई सचिन मलिक ने इस ट्रस्ट को इंदौर में आगे बढ़ाया। इसके लिए दिल्ली और मेरठ के लड़के भी बुलाए गए, जो देशभक्त सेना ट्रस्ट से जुड़े रहे हैं। 
 
आगर पुलिस की मेहरबानी से छूटी और झाबुआ पुलिस के हत्थे चढ़ी इंदौरी चंदा गैंग के संबंध दिल्ली तक हैं। बताया जा रहा है कि आदत के अनुसार संदीप चौधरी नस्तीबद्ध हो चुके ट्रस्टों पर नजर रखता था। इसी कड़ी में मेरठ से इंदौर आए उसके भाई सचिन मलिक ने दिल्ली के देशभक्त सेना ट्रस्ट की जानकारी दी। इस ट्रस्ट को 2007 में बनाने वाले मोस्ट वांटेड मनोज वशिष्ठ को 16 मई 2015 को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने एनकाउंटर में मार गिराया था।
 
बागपत कनेक्शन... 
दिल्ली पुलिस ने जिस मनोज वशिष्ठ का एनकाउंटर किया था, वह मूलत: बागपत के पावला गांव का रहने वाला था। दिल्ली में दस साल से रह रहे मनोज की पत्नी प्रियंका वशिष्ठ 2010 से 2015 के बीच बागपत जिला पंचायत की अध्यक्ष रही। भाई अनिल वशिष्ठ बागपत नगर पालिका के चेयरमैन पद पर सपा के बैनर तले चुनाव लड़ चुका है। दबंग दुनिया के हाथ लगे दस्तावेजों के अनुसार मेरठ होते हुए संदीप के पास इंदौर आए सचिन पिता राजवीरसिंह मलिक का स्थायी पता 204/ब हिसावदा-2 बागपत है। 1984 में जन्मे सचिन का मतदाता पहचान-पत्र (जीएमएस1928381) भी इसी पते का बना है।

सचिन इंदौर लाया ‘देशभक्त’
मई 2015 में हुए मनोज के एनकाउंटर के बाद अगस्त 2015 में सचिन मेरठ से इंदौर आया और ममेरे भाई संदीप से मिला। संदीप ने उसे चंदा गैंग के कथित धंधे की जानकारी दी। इस पर सचिन ने संदीप को देशभक्त सेवा ट्रस्ट और मनोज के एनकाउंटर की जानकारी दी, जिसके बाद संदीप ने अपना शैतानी दिमाग दौड़ाते हुए पहले इस ट्रस्ट के पंजीयन नंबर हासिल किए, फिर लोगों व अन्य दस्तावेजों की कॉपी। इस ट्रस्ट को नए कलेवर में आगे बढ़ाने के लिए दोनों निपानिया स्थित एनजीओ भवन भी गए। वहां इसमें आंशिक संशोधन की सलाह दी गई। संदीप ने इसके लिए आरएनटी मार्ग स्थित एक मार्केट में आॅफिस खोलने की तैयारी भी कर ली थी। 
 
सरहद और सेना के नाम का लेना था फायदा
अगस्त से इस नए ट्रस्ट पर ज्यादा से ज्यादा काम किया जाना था। इसके लिए अमित सिसोदिया जैसे बेरोजगार युवाओं को रोजगार देने के नाम पर ट्रस्ट से जोड़ा जाने लगा। अमित सिसोदिया ने बताया कि जून में जिस वक्त वह संदीप से जुड़ा, उस वक्त देशभक्त सेना ट्रस्ट पर काम चल ही रहा था। संंदीप ने कहा था कि जल्द ही आॅफिस भी खोल रहे हैं इस ट्रस्ट का, लेकिन एनजीओ भवन से मिली समझाइश और मनोज की हिस्ट्री समझने के बाद मामला थोड़ा आगे बढ़ा। तब तक के लिए हमें कहा गया कि तुम कैंसर और एड्स के नाम पर ही चंदा करो। संदीप के एक अन्य राजदार ने बताया कि ट्रस्ट को लेकर मनोज का मकसद जो भी रहा हो, लेकिन यहां संदीप का मकसद सिर्फ सरहद और सेना के जवानों के नाम पर चंदा वसूली करना ही था।
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