विनोद शर्मा इंदौर। कैंसर और एड्स के पीड़ितों की मदद के नाम पर लोगों से चंदा वसूली को इंदौर के आधा दर्जन युवाओं ने अपना धंधा बना लिया है। इनमें से तीन युवाओं को जुलाई के महीने में झाबुआ पुलिस कैंसर व एड्स केअर सोसायटी के फर्जी रसीद कट्टों के साथ गिरफ्तार भी कर चुकी है। हालांकि पुलिस इस खेल के मास्टर माइंड तक नहीं पहुंच सकी। संदीप चौधरी नाम का यह शख्स विजयनगर इंदौर में रहता है। यह चंदा गैंग न सिर्फ झाबुआ बल्कि इंदौर, धार, आलीराजपुर, उज्जैन, आगर और शाजापुर में भी हजारों रसीदें काटकर 10 करोड़ से ज्यादा की उगाही कर चुकी है।
17 जुलाई को व्यवसायी योगेश सालेचा की शिकायत पर राणापुर (झाबुआ) पुलिस ने कैंसर एड्स क्योर नामक संस्था की रसीदें काटकर चंदा वसूलने वाले तीन लोगों को गिरफ्तार किया था। इनमें सचिन पिता राजवीर मलिक (32), राघव पिता रामसिंह गुर्जर (25) और अमित पिता उत्तमसिंह सिसोदिया (28) शामिल थे। पुलिस पूछताछ में इन्होंने संदीप का नाम नहीं कबूला क्योंकि वह बाहर रहकर इन्हें छुड़वाने का काम करता है। ऐसे ही एक मामले में वह जुलाई में ही आगर पुलिस स्टेशन से भी इन्हें छुड़वा चुका है। हालांकि तफ्तीश के दौरान दबंग दुनिया के सामने अमित ने संदीप के नाम का खुलासा कर दिया।
ऐसे आए थे पकड़ में
राणापुर के व्यवसायी योगेश सालेचा ने बताया कि तीनों चंदा लेने उनके पास पहुंचे। उन्होंने 500 रुपए का चंदा दिया भी। वे रसीद दे रहे थे तभी चंदा दे चुके वहीं के तीन लोग धर्मेश जैन, राजेश व कैलाश भी पहुंचे। उन्होंने रसीद पर पंजीयन नंबर न होने की बात बताई। चारों ने पंजीयन नंबर के बारे में पूछताछ शुरू की तो तीनों भाग गए। मामले की सूचना तत्काल राणापुर पुलिस को दी। पुलिस ने घेराबंदी के बाद तीनों को उनकी कार (अल्टो 800 जिसका नंबर यूपी17सी8717) के साथ पकड़ा। थाना प्रभारी भीमसिंह सिसोदिया ने तीनों के खिलाफ भादंवि की धारा 34 और 420 के तहत धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया। कुछ दिन पहले ही जमानत मिली। 8 और 10 नवंबर को मामले की सुनवाई झाबुआ कोर्ट में भी थी।
ऐसे पहुंचे संदीप तक
मामले की जानकारी मिलने के बाद दबंग दुनिया ने सरगना की तलाश शुरू कर दी। पहली कड़ी हाथ लगी 28 अक्टूबर 2016 को जब अमित सिसोदिया से उसके कबीटखेड़ी स्थित घर पर मुलाकात हुई। बातचीत में अमित ने बताया कि मैं राऊ बायपास पर ईडन गार्डन नाम की निर्माणाधीन टाउनशीप में कंस्ट्रक्शन से जुड़ा काम करता था। जून में नौकरी छोड़ दी। चूंकि संदीप के साथ सात-आठ साल पहले मैं काम कर चुका था। इसीलिए मैंने उनसे नौकरी की बात की। उन्होंने कहा ठीक है देशभक्त सेवा ट्रस्ट के नाम से एनजीओ शुरू कर रहे हैं उससे जोड़ लेंगे। फिलहाल तो कैंसर व एड्स केअर संस्था का काम करो। सचिन और राधव ‘जो कि पहले से संदीप के लिए काम करते थे’, के साथ मैंने काम शुरू किया ही था कि झाबुआ पुलिस ने पकड़ लिया। मैं इनके चक्कर में फंस गया। पूरा परिवार परेशान हुआ है।
ऐसे चल रही चंदा गैंग
संदीप चौधरी मेरठ से है। झाबुआ पुलिस द्वारा पकड़ा गया सचिन मलिक उसके रिश्ते में है, जो मेरठ का रहने वाला है। दोनों ऐसे एनजीओ तलाशते हैं, जो कि अर्से से निष्क्रिय है। बाद में उनके रसीद कट्टे छपवाते हैं। एनजीओ में नौकरी के नाम पर लड़कों को कट्टा पकड़ाकर चंदा वसूली के लिए छोड़ देते हैं।
लड़के ऐसे ढूंढे जाते हैं जो कि पढ़े-लिखे हों ताकि चंदा लेते वक्त वे चंदा देने वाले को ट्रस्टं के बारे में ज्यादा अच्छे से समझा सके।
जिसे पुलिस रिकॉर्ड में राघव पिता रामसिंह गुर्जर बताया गया है असल में उसका नाम अक्षय सिंह गुर्जर है। 1 जनवरी 1996 को जन्मा राघव यूं तो ज्ञानशीला डेवलपर्स लिमिटेड में वाइस प्रेसीडेंट सेल्स एंड मार्केटिंग है। उसके खिलाफ कई आपराधिक रिकॉर्ड दर्ज हैं।
जांच करवाएंगे
मामला मेरे संज्ञान में आया है। हमने जांच के लिए टीम को बोल दिया है। ठगी का धंधा किसी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेंगे। - संतोष सिंह, डीआईजी