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रामकृष्ण मिशन ने करोड़ों में बेच डाला चितले सदन

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Nov 19 2016 9:55AM | Updated Date: Nov 19 2016 9:55AM
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विनोद शर्मा इंदौर। जमीन की हेराफेरी के मामले में भूमाफियाओं की तरह धार्मिक व सामाजिक संस्थाएं भी पीछे नहीं रह रही हैं। उषानगर का चितले भवन इसका बड़ा उदाहरण है। चितले परिवार व्यवस्था पत्र लिखकर भवन को रामकृष्ण मिशन को सौंप गया था, ताकि महिलाओं व बच्चों के लिए उषानगर में एक आश्रम चलता रहे। जमीन की कीमतों ने आसमान क्या छुआ, मिशन ने बोली लगाकर बिल्डर को आश्रम बेच दिया। मामला 108-109 उषानगर स्थित चितले भवन का है। दोनों प्लॉट का साइज 8800 वर्गफीट है।

प्लॉट नं. 109 पर भवन बना है, जबकि प्लॉट नं. 108 की 4800 वर्गफीट जमीन खाली है। 1960 में उषा ट्रस्ट ने वामन गणेश चितले को प्लॉट 99 साल की लीज पर दिया था। 1980 में प्लॉट की मालिकी निर्मला चितले को सौंप दी गई। चितले मिशन की सदस्य रही हैं। जून 1996 में संपत्ति का व्यवस्था पत्र रामकृष्ण मिशन किला मैदान के नाम लिख दिया। सितंबर 1996 में मिशन ने कब्जा लिया और महिलाओं व बच्चों के लिए आश्रम शुरू कर दिया। इसका समय सुबह 8 से दोपहर 12 बजे और शाम को 4 से रात 8 बजे है।

आसपास के लोगों का विरोध
आसपास रहने वालों लोगों का कहना है कि जब चितले परिवार ने घर धार्मिक कार्यों के लिए दान में दिया है तो उसका इस्तेमाल भी वैसा ही होना चाहिए। बिल्डर को जमीन बेचना उनकी भावनाओं का अपमान है। वैसे भी अभी जो आश्रम है, वह महिलाओं और बच्चों के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है।

नहीं बिक सकती जमीन
मामले में एडवोकेट चेतन निगम से भी कानूनी राय ली गई। उन्होंने दो टूक शब्दों में स्पष्ट कर दिया कि जमीन नहीं बिक सकती। उन्होंने कहा कि निर्मला चितले ने रामकृष्ण मिशन को जो व्यवस्था पत्र दिया था, उसमें संपत्ति विक्रय करने के अधिकार का जिक्र नहीं है। यह भी स्पष्ट नहीं है कि चितले ने उषा ट्रस्ट में 30 वर्ष की लीज भरकर सदर भूमि की पूरी मालिकी हासिल की हो। न यह स्पष्ट है कि चितले को जमीन के अधिकार मिले।

यह कहना है आश्रम का
संपत्ति चितले ने दान दी थी। उनकी इच्छा थी कि उनके जीते जी इसका इस्तेमाल आश्रम के लिए हो। ऐसा हुआ भी। डेढ़-दो साल पहले चितले का निधन हुआ, इसके बाद आश्रम ने संपत्ति बेचने का निर्णय लिया।


साढ़े चार करोड़ में किया सौदा
गाइडलाइन वैल्यू निर्माण एरिया की 4200 रुपए/वर्गफीट व खुले एरिया की 5000 रुपए/वर्गफीट है। सात हजार वर्गफीट एरिया खुला है। 2250 वर्गफीट निर्माण है, जिसकी कीमत 94.50 लाख आंकी गई। खुले एरिया की कीमत 3.50 करोड़ आंकी गई। 4.40 करोड़ में सौदा हुआ।
2014 मेें ही बेच रहे थे- नवंबर-दिसंबर 2014 में रामकृष्ण मिशन ने अचल संपत्ति के विक्रय के लिए आह्वान पत्र जारी किया था। उसके अनुसार प्लॉट नं. 108-109 का क्षेत्रफल 8800 वर्गफीट है। कुल 2250 वर्गफीट पर भवन बना है। संपर्क व संपत्ति अवलोकन के लिए 6 से 15 नवंबर का वक्त तय कर संजीव पारिख का नाम-पता पीजे संस लिमिटेड 23 महारानी रोड दिया था। इसमें दान का जिक्र नहीं था। लिखा था जमीन मिशन मालिकी की है।

कई बार हुआ सौदा- अभी सिक्ख बिल्डर से बात हुई है। बयाना पेटे बड़ी रकम मिली है। रजिस्ट्री होना है। आश्रम की व्यवस्था देखने वालों का कहना है बयाने तो पहले भी हुए हैं, पर बात बनी नहीं। बिल्डर कभी नकद-चेक देने का कहते तो कभी गाइडलाइन से कम कीमत बताते।

सीधी बात

उषानगर चितले भवन का क्या मामला है?
-    कोई मामला नहीं।
ट्रस्ट संपत्ति बेच रहा है?
-    आपको किसने कहा, किस हक से पूछ रहे हैं।
मिशन एक ट्रस्ट है और ट्रस्ट गलत करता है तो जवाबदेही तो बनती है?
-    बनती होगी। आपको क्या लेना-देना।
लोगों ने शिकायत की?
-    आपको क्यों की। करना है तो सरकारी डिपार्टमेंट में करे।
क्या जमीन बेची है?
-    आपको जो छापना है छापो।
-संजीव पारीख, सदस्य मैनेजमेंट कमेटी
रामकृष्ण मिशन

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